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शाहजहां का 361वां उर्सः गुलाब के फूलों से सजी कब्र,कन्‍नौज से आया इत्र

Newstrack
Published on: 3 May 2016 3:50 AM GMT
शाहजहां का 361वां उर्सः गुलाब के फूलों से सजी कब्र,कन्‍नौज से आया इत्र
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आगरा: संगमरमरी इमारत और दुनिया में मोहब्बत का पैगाम देने वाले ताजमहल में गुस्ल की रस्म के साथ शाहजहां के 361वें उर्स का आगाज हुआ। अजान देकर ताज के अंदर बनी शाहजहां-मुमताज की असली कब्र खोली गई और उस पर गुलाब के फूलों की मालाएं चढ़ाई गईं। इस मौके पर ताजमहल में तीन दिन तक पर्यटकों की एंट्री फ्री कर दी गई है। यह दोनों कब्रें मुख्य इमारत के तहखाने में स्थित हैं।

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गुस्‍ल की रस्म से हुई उर्स की शुरुआत

मंगलवार को गुस्ल की रस्म के साथ शाहजहां का तीन दिवसीय उर्स शुरू हुआ। कब्रों का दरवाजा खोलने से पहले अजान दी गई। अजान के बाद गुस्‍ल की रस्म पूरी हुई। गुस्ल के लिए कन्नौज से केवड़ा और गुलाब जल मंगवाया गया था। कब्र पर गुलाब के फूलों की चादर चढ़ाई गई।

खुदाम-ए- रोजा कमेटी के अध्यक्ष ताहिरुदीन ताहिर ने शाहजहां और मुमताज की असली मजार के दरवाजे खोलकर प्रवेश करने से पहले अजान दी। इसके बाद उलेमा-ए-किरामो ने गुस्‍ल की रस्म अदा कराई। इस मौके पर हाजी तनवीर जमाली ने फातिहा पड़ा और मोलाना हाफिज इरफ़ान साहब ने दुया की रस्म पूरी की।

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चादर पोशी के बाद हुई दुया , खोली गईंअसली कब्रें

चादर चढ़ाने के बाद दुआ की रस्म हुई । इसके बाद कुरान की आयतों की पांच सूरत सभी हाफिजों द्वारा पढ़ी गई। पंचायत की रस्म हाजी हाफिज सलाहुदीन और हाफिज चीना पूरी ने कराया।

इसके बाद 2 बजे दिन में शाहजहां की असली कब्र को जायरीनों के लिए खोल दिया गया। जहां 3 और 4 मई को ताजमहल पर दोपहर 2 बजे से शाम तक पर्यटकों के लिए प्रवेश निशुल्क होगा वहीं अंतिम दिन , 5 मई को पूरे दिन प्रवेश निशुल्क रहेगा।

अन्य दो दिन होंगे ये कार्यक्रम

उर्स के दूसरे दिन 4 मई को संदल की रस्म होगी उसके बाद मुशायरा और कव्वाली का आयोजन होगा। उर्स के अंतिम दिन यानी 5 मई को पहले कुलशरीफ की रस्म होगी उसके बाद कुरानख्वानी के बाद कलमा और फातिहा पड़ा जाएगा। तव्वरुख में चने किशमिश और इलायची दाना तकसीम किया जाएगा।

हर साल चढ़ाई जाती है कई सौ मीटर लंबी चादर

खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी (ताज के पारंपरिक रखवाले) द्वारा उर्स के दौरान हर साल कब्र पर देश के विभिन्न धर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाली सतरंगी चादर चढ़ाई जाती है । पिछले साल यह 810 मीटर थी। और यह इस साल 870 मीटर के लिए बढ़ा दिया गया है जिसे 5 मई को उर्स के आखिरी दिन चढ़ाया जाएगा।

इस चादर के बारे में अनोखी बात है कि विभिन्न धर्मों के लोगों द्वारा उनकी मन्नत पूरी होने पर समिति को दिए गए कपड़ों के टुकड़े द्वारा ये चादर तैयार की जाती है । इसके अलावा, एक धार्मिक स्थल से हर साल चादर की यात्रा शुरू होती है, चाहे वो धार्मिक स्थल मंदिर, चर्च या मस्जिद हो।

क्या कहना है समिति के सदस्यों का

समिति के सदस्यों के अनुसार यह सातवीं पीढ़ी है जो मुगल सम्राट की कब्र पर चादर पोशी करेगी। उर्स के अवसर पर चादरपोशी समाज में सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश प्रसारित करने के लिए की जाती है। वहीं ताजमहल मस्जिद इंतजामिया समिति के अध्यक्ष सैयद मुनव्वर अली ने बताया की यह कई सौ सालों से चली आ रही परंपरा है। सभी तीन शाही गेट पर शहनाई और कव्वाली का आयोजन तीनों दिन किया जाएगा।

ये रहे मौजूद

इस मौके पर ताहिरुद्दीन ताहिर ,एएसआई के रामरतन ,सीओ ताज सुरक्षा अवनीश कुमार, सीआईएसएफ के सेनानायक एपी सिंह, सैयद मुनव्वर अली, नईम उद्दीन शेख, रिजवान उद्दीन, फोरोज खान और नूर मोहम्मद उपस्थित रहे।

नीचे की स्‍लाइड्स में देखें तस्‍वीरें...

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