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हजारीबाग से पहले भी सामने आ चुकी हैं दिलदहला देने वाली मौत की घटनाएं, जानें 5 बड़े केस

Manali Rastogi
Published on: 15 July 2018 11:59 AM IST
हजारीबाग से पहले भी सामने आ चुकी हैं दिलदहला देने वाली मौत की घटनाएं, जानें 5 बड़े केस
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लखनऊ: झारखंड के हजारीबाग में दिल्ली के बुराड़ी जैसी घटना सामने आई है। यहां एक ही परिवार के छह लोगों के शव मिले हैं। मौके से पुलिस को तीन सुसाइड नोट भी मिला है। पुलिस मामले की जांच-पड़ताल कर रही है। Newstrack.com आज आपको ऐसे ही 5 बड़े केस के बारे में बताने जा रहा है। जिसमें एक ही परिवार के लोगों की रहस्यमयी ढंग से मौत हो गई थी।

बुराड़ी केस

एक जुलाई 2018 को एक ही परिवार के दस सदस्यों के शव छत से लगी लोहे की जाली से लटकते पाये गये थे। जबकि घर की सबसे बुजुर्ग महिला नारायण देवी का शव दूसरे कमरे में जमीन पर पड़ा पाया गया था।

मृतकों में नारायण देवी की बेटी प्रतिभा, उसके दो बेटे भावेश और ललित भी शामिल थे। पुलिस को मौके से 11 डायरियां भी मिली थी। जिसमें भटकती आत्मा’ का जिक्र है। पुलिस की जांच अभी भी जारी है।

बांद्रा सुसाइड केस

मुंबई के बांद्रा की एक सरकारी कॉलोनी में रहने वाले एक ही परिवार के चार लोगों ने 24 जून 2018 को कीटनाशक खाकर सुसाइड कर लिया था। परिवार में मरने वालों में एक पुरुष, उसकी पत्नी और दो बेटे भी शामिल थे। पुलिस को घटना स्थल पर एक सुसाइड नोट मिला था। जिसमें आर्थिक परेशानियों का जिक्र था।

सरथाणा केस

28 फरवरी 2018 को गुजरात में सूरत के सरथाणा क्षेत्र में कथित तौर पर एक ही परिवार के तीन लोगों ने सामूहिक रूप से आत्महत्या कर ली थी।

ये परिवार मजेस्टीका हाइट्स नाम की एक बिल्डिंग में रहता था। पुलिस के मुताबिक़ तीन लोगों ने बिल्डिंग की की 12वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या की थी। पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला था। जिसमें सुसाइड की वजह बढ़ते कर्ज को बताया गया था।

डचल सुसाइड केस

तेलंगाना के डचल जिले में 6 फरवरी 2018 को एक ही परिवार के चार लोगों ने सुसाइड कर लिया था।बताया जाता है कि इन सभी ने गांव के पास ही एक तालाब में कूदकर अपनी जान दी थी। पुलिस ने संदेह व्यक्त किया था कि पारिवारिक कलह के चलते ही आत्महत्या कर ली है।

देहरादून सुसाइड केस

उत्तराखंड में देहरादून के पास 4 अक्तूबर 2011 को यमुना नहर में कूदकर एक ही परिवार के 10 लोगों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली थी। पुलिस के मुताबिक़ ये सभी लोग मूल रूप से मुजफ़्फ़रनगर के थे और देहरादून और आसपास के इलाकों में मेहनत-मज़दूरी करके अपना पेट पालते थे। इन लोगों ने आत्महत्या क्यों की इस बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया था। मरने वाले लोगों में तीन महिलाएं, छह बच्चे और एक पुरुष शामिल थे।



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