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लापरवाही: हल्के में ली सहारनपुर हिंसा, क्यों स्पॉट पर नहीं गए यूपी के दो टॉप मोस्ट अधिकारी?
योगी सरकार ने भले ही सहारनपुर मामले में तबादले और सस्पेंड कर कार्रवाई की हो, लेकिन इस मामले में उच्च अधिकारियों की लापरवाही भी खुल कर सामने आ रही है।
लखनऊ: योगी सरकार ने भले ही सहारनपुर मामले में तबादले और सस्पेंड कर कार्रवाई की हो, लेकिन इस मामले में उच्च अधिकारियों की लापरवाही भी खुलकर सामने आ रही है। 5 मई को महाराणा प्रताप जयंती के मौके पर हुई हिंसा के बाद तत्कालीन प्रमुख सचिव गृह देवाशीष पांडा और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुलखान सिंह सहारनपुर गए थे। जिनकी वापसी के अगले दिन ही फिर हिंसा भड़क गई थी। अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इतने सीनियर अफसरों ने मौके पर ना जा कर महज़ बैठक कर खानापूर्ति क्यों कर ली?
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बता दें कि जातीय हिंसा से सुलगते यूपी के सहारनपुर जिले के शब्बीरपुर में हुई घटनाओं पर योगी सरकार ने बुधवार (24 मई) को कार्रवाई की। हिंसा पर नियंत्रण पाने में असफल रहे सहारनपुर के एसएसपी सुभाष चंद्र दुबे और डीएम नरेंद्र प्रताप सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके अलावा डीआईजी, कमिश्नर, एसडीएम और सीओ को भी सस्पेंड किया गया है। जेके शाही की जगह केएस इमैनुएल को डीआईजी, सहारनपुर बनाया गया है।
सहारनपुर में पीके पांडेय को डीएम और मुजफ्फरनगर के एसएसपी बबलू कुमार को सहारनपुर का नया एसएसपी बनाया गया है। पीके पांडेय अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी हैं। साल 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद भी सुभाष दुबे को सस्पेंड किया गया था। वह उस समय भी मुजफ्फरनगर में एसएसपी की पोस्ट पर तैनात थे।
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गृह सचिव और एडीजी भेजे गए सहारनपुर
शब्बीरपुर सहारनपुर में हुई ताजा हिंसा के बाद योगी सरकार ने डीएम सहारनपुर नरेंद्र प्रताप सिंह, एसएसपी सुभाष चंद्र दुबे के अलावा एसडीएम और सीओ को भी सस्पेंड कर दिया है। 19 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती के मौके पर जुलूस निकाले जाने को लेकर दलितों और राजपूतों के बीच शुरू हुई जातीय हिंसा बार-बार भड़क जा रही है। जिसे रोकने में यह दोनों ही सीनियर अफसर असफल साबित हो रहे थे। बसपा सुप्रीमो मायावती के शब्बीरपुर दौरे के बाद शुरू हुई ताजी हिंसा में 2 लोगों की मौत हो गई है। इस हिंसा के बाद गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्रा, एडीजी (लॉ एंड आर्डर) आदित्य मिश्रा, आईजी एसटीएफ अमिताभ यश, डीआईजी सिक्योरिटी विजय भूषण को हालात संभालने के लिए सहारनपुर भेजा गया है। इसके साथ एसएसपी मुज़फ्फरनगर बबलू कुमार के अलावा आसपास के जिलों में तैनात 5 आईपीएस अफसरों को सहारनपुर भेजा गया है। यह सभी पीएसी में कमांडेंट हैं।
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प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी भी गए थे सहारनपुर
सहारनपुर में लगातार जारी जातीय हिंसा के बीच तत्कालीन प्रमुख सचिव गृह देवाशीष पांडा और पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह सहारनपुर गए थे। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के साथ मीटिंग करने के बाद दोनों अफसर वापस लौट गए। जिसके बाद अगले दिन ही फिर हिंसा के आग भड़क उठी। जानकार कहते हैं कि मीटिंग करने के साथ इन सीनियर अफसरों को शब्बीरपुर जाना चाहिए था। जिससे पीड़ितों में सरकार और पुलिस प्रशासन के प्रति भरोसा बढ़ सके, लेकिन दोनों अफसरों ने वहां जाना मुनासिब नहीं समझा।
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रिटायर्ड डीजी बोले एसएसपी हटाने से नहीं चलेगा काम
यूपी पुलिस के मुखिया रहे अरविंद कुमार जैन कहते हैं कि किसी भी अफसर को सहारनपुर जैसे जिले में बिगड़े माहौल के बीच जमने के लिए समय देना होगा। वो कहते हैं कि जो हालात हैं, उससे निपटने के लिए पुलिस को बराबर से सख्ती करनी होगी। कानून का पालन करना हो तभी हालत बेहतर किए जा सकते हैं। अरविंद जैन का मानना है कि बार-बार एसएसपी बदलने से कुछ नहीं होगा। सॉफ्ट पुलिसिंग से हट कर सख्ती से कार्रवाई करनी होगी।
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