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नक्सली एरिया में एक ऐसा स्कूल जहां प्रोजेक्टर पर होती है पढ़ाई

Admin
Published on: 4 March 2016 12:33 PM IST
नक्सली एरिया में एक ऐसा स्कूल जहां प्रोजेक्टर पर होती है पढ़ाई
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चंदौलीः एक तरफ जहां केंद्र और प्रदेश सरकार मिलकर प्राथमिक स्तर पर शिक्षा व्यवस्था के सुधार के लगातार प्रयास कर रहे है, तो वहीं नक्सल क्षेत्र व देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह के पैतृक जनपद में चल रहा यह प्राथमिक विद्यालय अपने आप में एक मिशाल है। जहां कम संसाधन व शिक्षको के प्रयास से नज़ीर कायम हो पाया है, और नक्सल क्षेत्र के बच्चों को कान्वेंट स्कूलो की तरह वो भी निःशुल्क शिक्षा प्राप्त हो रही है। जिससे इन नौनिहालो का भविष्य सुरक्षित कहा जा सकता है।

प्रोजेक्टर पर होती है पढ़ाई

-चंदौली जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र चकिया का प्राथमिक विधालय है।

-इस प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को प्रोजेक्टर माध्यम से शिक्षा दी जाती है।

-इसके अलावा कंप्यूटर की शिक्षा एवं संगीत की भी शिक्षा दी जाती है ।

-विद्यालय में नविन व ज्ञानप्रद पुस्तको से सुसज्जित एक पुस्तकालय भी है।

-यहाँ बच्चे ज़मीन पर बैठने की बजाय कुर्सी और टेबल बैठकर शिक्षा ग्रहण करते है।

कैसे हुआ ये संभव

-ये सब विद्यालय के प्रधानाचार्य और शिक्षकों के प्रयास से संभव हुआ है।

-जिन्होंने नक्सल क्षेत्र के बच्चों को सीबीएसई पैटर्न के तर्ज पर शिक्षा मुहैया कराने की ठानी।

-इस काम में विद्यालय के पूर्व छात्र ने भी आर्थिक रूप से मदद की।

-जिसके कारण नक्सल क्षेत्र में स्थित यह विद्यालय यूपी में एक मिशाल बन गया है।

-यहां हिंदी माध्यम से सभी विषयो की पढ़ाई होती है।

-नक्सल क्षेत्र के गरीब बच्चों के स्वर्णिम भविष्य का जहां निर्माण हो रहा है।

-वही बच्चे भी रूचि और लगन के साथ शिक्षा ग्रहण कर रहे है।

प्रधानाध्यापक ने क्या कहा

-जिसका नतीजा यह हुआ की जहाँ प्राथमिक विद्यालयो से बच्चे नदारत रहते है।

-वही इस विधायलय में बच्चों की संख्या 525 को पार कर गयी है।

-पढ़ाई का स्तर देखकर कान्वेंट स्कूल के बच्चे भी अब इस सरकारी स्कूल में दाखिला लेने लगे है।

-जिसके कारण पिछले दो सालो में बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

-जो इस विद्यालय के शिक्षा स्तर को दर्शाता है ।

इस विद्यालय के शिक्षकों की तरह अगर सभी सरकारी विद्यालयों के शिक्षक अपने दायित्यों का निर्वहन करने लगे तो वो दिन दूर नहीं जब सरकारी स्कूलों में भी पढ़ने वाले बच्चे भी ऊंचे स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में हिस्सा लेकर क्षेत्र और प्रदेश का नाम रौशन करने लगेंगे ।



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