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उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में होगा मध्य प्रदेश की विवादित EVM का प्रयोग

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Published on: 2 Nov 2017 5:52 AM GMT
उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में होगा मध्य प्रदेश की विवादित EVM का प्रयोग
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आगरा: उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग एक बार फिर से विवादों के घिरने जा रहा है। विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत के बाद विपक्षी दलों ने EVM को लेकर चुनाव आयोग पर निशाना साधा था। बसपा ने तो लगातार प्रदर्शन भी किए हालांकि चुनाव आयोग ने सफाई देकर EVM को हर तरह से सुरक्षित और बेहतर बताया था।

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नया विवाद उत्तर प्रदेश राज्य चुनाव आयोग द्वारा आगामी निकाय चुनावों में उन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का उपयोग करने को लेकर है, जिसका उपयोग मध्य प्रदेश में पहले किया गया था। यह EVM मशीनें मध्य प्रदेश में विवाद का हिस्सा रही थी। इसको लेकर विपक्ष ने आरोप लगाया था कि बीजेपी के उम्मीदवारों की जीत में मदद करने के लिए मशीनों में धांधली की गई है। उत्तर प्रदेश में भी प्रमुख विपक्षी दल सपा ने इस मामले पर चिंता जाहिर की है।

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क्या है विवाद

इस साल अप्रैल में मध्य प्रदेश में इन ईवीएम पर एक बड़ा विवाद खड़ा हुआ था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि वे भाजपा के पक्ष में हैं। इसने मीडिया के सदस्यों के सामने एमपी राज्य चुनाव आयोग द्वारा एक मशीन को चेक किया गया था, जिसके बाद EVM पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए थे।

क्या कहना है राज्य चुनाव आयोग का

उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त चुनाव आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा ने बताया कि आयोग राज्य भर में 16 नगरपालिका निगमों में नगर पार्षदों और महापौरों के लिए चुनाव कराने के लिए 40,000 कंट्रोल यूनिट और 72,000 मतपत्र इकाइयों का उपयोग करने जा रहे हैं। इनमें से 12,000 कंट्रोल यूनिट और 16,000 मतपत्र इकाइयां राज्य चुनाव आयोग के स्वामित्व में हैं। बाकी को एमपी से लाया गया है।

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उन्होंने बताया कि चूंकि भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) और साथ ही राज्य चुनाव आयोग के पास वीवीपैट की कमी है, इसलिए इसका इस्तेमाल नहीं करने का निर्णय लिया है। भारतीय चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव के लिए हिमाचल प्रदेश और गुजरात को वीवीपेट भेजा है और उन्हें नागरिक निकायों के चुनावों के लिए फिर से तैयार किया जाना असंभव है।

क्या कहना है राजनैतिक दलों का

उत्तर प्रदेश राज्य चुनाव आयोग के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी के राज्य प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने बताया कि जहां भी वीवीपीएटी का इस्तेमाल किया गया था, वहां भाजपा चुनाव हार चुकी है। अप्रैल में भिंड में मध्यप्रदेश में ईवीएम के एक प्रदर्शन के दौरान, हम सभी ने इस समस्या को देखा टेक्नोलोजी के युग में कुछ भी संभव है। ईसीआई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पार्टियों के सभी चिंताओं को दूर किया जाए। उन्हें चुनाव के लिए वीवीपैट का इस्तेमाल करना चाहिए नहीं तो आयोग की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाए जाएंगे।

कांग्रेस के राज्य प्रवक्ता अशोक सिंह ने बताया राज्य चुनाव आयोग को चुनाव के लिए पारदर्शी तरीके से निरीक्षण करने वाली सभी मशीनें मिलनी चाहिए। हम आयोग से आगामी बैठक में मध्य प्रदेश से मंगाई जा रही ईवीएम के बारे में बात करेंगे।

यहां होंगे EVM से चुनाव

आगरा, फिरोजाबाद, अलीगढ़, मेरठ, मथुरा, लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, झांसी, कानपुर नगर, फैजाबाद, बरेली, मोरादाबाद, गाजियाबाद और सहारनपुर में ईवीएम के जरिए चुनाव कराए जाएंगे।

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