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रोहिंग्या पर अत्याचारों के विरुद्ध न बोलने पर सू की से मानवाधिकार अवार्ड वापस
यंगूनः एम्नेस्टी इंटरनेशनल ने आंग सान सू की से अपना सर्वाधिक सम्मानजनक मानवाधिकार अवार्ड वापस ले लिया है। एम्नेस्टी ने आरोप लगाया है कि म्यानमार की नेता ने अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों के विरुद्ध हिंसा पर कुछ न बोलकर मानवाधिकार की बुराइयों को बढ़ावा दिया है।
एक समय लोकतंत्र के लिए संघर्ष में विजेता की तरह सम्मानित हुई सू की से अगस्त 2017 में रोहिंग्या का पलायन शुरू होने के बाद तमाम अंतरराष्ट्रीय सम्मानों को वापस लिया जा चुका है।
सुरक्षा बलों पर हमलों के बाद म्यानमार की सेना द्वारा छेड़े गए सघन अभियान के चलते करीब सात लाख रोहिग्या म्यानमार के पश्चिमी बार्डर से बांग्लादेश में जा चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्र के जांच कर्ताओं ने आरोप लगाया है कि म्यानमार की सेना अभियान चलाकर नरसंहार के इरादे से आगजनी, बलात्कार और हत्या कर रही है।
सू की का प्रशासन एक तरफा रूप से इन निष्कर्षों को रद कर चुका है। उनका कहना है कि सेना जवाबी कार्रवाई में अभियान चला रही है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह ने जुंटा सैन्य शासन का विरोध करने के लिए घर में नजरबंद की गई सू की को 2009 में कॉन्शस अवार्ड के लिए नामित किया था।
अपने रिहा होने के आठ सालों में सू की की पार्टी 2015 में विजयी हुई और उन्होंने सेना के साथ अधिकारों में भागीदारी कर सरकार बनाई लेकिन सुरक्षा बलों पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है।
एम्नेस्टी ने मंगलवार को जारी एक वक्तव्य में कहा कि वह रोहिंग्या के विरुद्ध हुई हिंसा पर एक भी शब्द बोलने में असफल रही हैं और यह उस सम्मान के लिए शर्मनाक है जो उन्हें प्राप्त है। इतना ही नहीं वह सेना की जवाबदेही पर कवच के रूप में काम कर रही हैं।
रविवार को द ग्लोबल एडवोकेसी आर्गनाइजेशन के महासचिव कुमी नायडू ने सू की को लिखा कि समूह उन से सम्मान वापस ले रहा है। इस पर म्यानमार की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।