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हाल यूपी पुलिस का: खुलेआम खाकी चलाए गोली, जिसको चाहे छेड़े या फिर बूटों से रौंदे 

sudhanshu
Published on: 29 Sep 2018 10:57 AM GMT
हाल यूपी पुलिस का: खुलेआम खाकी चलाए गोली, जिसको चाहे छेड़े या फिर बूटों से रौंदे 
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस का अपराधियों में ख़ौफ़ हो या न हो लेकिन आम आदमी पुलिस की गोली से दहशतज़दा है। मेरठ में मेडिकल छात्रा की पुलिस हिरासत में पिटाई और लखनऊ में हुई कथित मुठभेड़ में एप्पल स्टोर के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की ह्त्या ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे पहले नोएडा में बहन की सगाई से लौट रहे युवक को पुलिस सब इंस्पेक्टर द्वारा गोली मारे जाने, राजधानी में बेज़ुबान को गोली मार कर गिराए जाने, मडियांव में ड्राइवर की गर्दन को बूटों से रौंदें जाने और सीतापुर में सिपाही अवनींद्र तोमर द्वारा बारात पर फायरिंग करने की घटना ने खाकी को शर्मसार कर दिया है। मज़े की बात यह है यूपी पुलिस का निशाना इतना अचूक है, कि अपराधियों को गोली सीधे घुटने के आसपास लगती है। लेकिन इस बार तो हद ही हो गई, सिपाही की पिस्‍तौल से चली गोली ने एक बेगुनाह की जान ही ले ली।

पुलिस का खौफनाक चेहरा उजागर, लोगों में आक्रोश

यूपी पुलिस का खौफनाक चेहरा एक बार फिर सामने आया है। राजधानी में पुलिस के अचूक निशाने ने एप्पल स्टोर के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी के भेजे में गोली मार कर मौत की नींद सुला दिया। विवेक तिवारी अपनी महिला सहकर्मी को उस के घर छोड़ने जा रहा था। एसएसपी लखनऊ कलानिधि नैथानी के मुताबिक़ मामले की जाँच की जा रही है। विवेक अपनी महिला सहयोगी के साथ थे। तब यह पूरा घटनाक्रम हुआ है। उधर सना का एक कथित ऑडियो सामने आया है। जिसमें वह पूरी वारदात सिलसिलेवार ढंग से बता रही है। पुलिस महकमे के आलाधिकारियों की कार्यवाही से जनता संतुष्‍ट नजर नहीं आ रही है। खाकी की दहशत से लोग रात में घर से न निकलने की एक-दूसरे को हिदायत दे रहे हैं। वहीं जनता में जबरदस्‍त आक्रोश व्‍याप्‍त है।

पहले भी खाकी ने किया है शर्मसार

इससे पहले भी मेरठ में मेडिकल छात्रा के साथ पुलिस की बदसुलूकी ने खाकी पर बदनुमा दाग लगा दिया था। इसके अलावा इसी वर्ष 4 फरवरी को नोएडा में बहन की सगाई से लौट रहे जितेन्द्र यादव को सीएनजी स्टेशन पर हुई मामूली कहासुनी के बाद पुलिस सब इंस्पेक्टर ने सीने में गोली मार दी थी। इस मामले में भी दरोगा के खिलाफ मुक़दमा दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया था। इसी तरह लखनऊ में 17 फरवरी को एनकाउण्टर स्पेशलिस्ट पुलिस के इंस्पेक्टर त्रिलोकी सिंह ने बेज़ुबान जानवर तेंदुए को गोली मार कर ह्त्या कर दी थी। औरंगाबाद खालसा आशियाना में तेंदुए को गोली से मार गिराए जाने की घटना के बाद वन विभाग और पुलिस फ़ोर्स के बीच ठन गई थी। 26 अगस्त को मडियांव में पुलिस कांस्टेबिल ने बूटों से टैक्सी ड्राइवर का गला रौंद डाला। बाल पकड़ सरे राह अपमानित किया था। इस मामले में भी आरोपी पुलिसकर्मियों के निलंबन की कार्रवाई की गई था। इससे पूर्व दो साल पहले सीतापुर में नशे में धुत सिपाहियों ने एक बारात में फायरिंग करना शुरू कर दिया था। इसमें सिपाही अवनींद्र तोमर की गोली से एक मासूम की जान चली गई थी। इस मामले में अवनींद्र पर कार्यवाही हुई थी, लेकिन अब वह लखनऊ पुलिस में ही वापस बावर्दी तैनात है।

पुलिसिया कार्यशैली पर उठते सवालों के बीच अब सवाल यह भी उठ रहा है, मेडिकल छात्रा से बदसुलूकी करने वाले पुलिस जवानों और बूटों से टैक्सी ड्राइवर को रौंदने वाले पुलिसकर्मियों के निलम्बन भर की सज़ा क्या दूसरे जवानों को ऐसे गुनाह करने से रोकेगी या नहीं।

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