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यह समय दुख में सहभागी बनने का, बहाने बनाकर बचाव का नहीं
पीएम नरेंद्र मोदी की सरपरस्ती में बनी प्रदेश की सरकार से यह उम्मीद नहीं की जा रही थी कि वह विफलताओं को ढकने के काम में जुट जाएगी।
योगेश मिश्र
लखनऊ: बाबा राघवदास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली कंपनी अथवा ऑक्सीजन न आपूर्ति करने वाले अफसरों के बचाव का जरिया है या फिर सरकार की असंवेदनशीलता कि दो दिन में 48 नौनिहालों की मौत को लेकर दुख जताने और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की जगह सरकार के मंत्री और खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ऐसे बयान दे रहे हैं जो मृतकों के परिजनों के लिए जले पर नमक का काम कर रहे हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी की सरपरस्ती में बनी प्रदेश की सरकार से यह उम्मीद नहीं की जा रही थी कि वह विफलताओं को ढकने के काम में जुट जाएगी। प्रचंड जनसमर्थन मिलने पर बनी सरकार लोकनीति की जगह राजनीति ही करती रहेगी।
इन वजहों से गले नहीं उतरता मंत्री का बयान
यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने शनिवार (12 अगस्त) को दोपहर बाद पैंतरा बदलते हुए इन मौतों को सामान्य मौत करार दिया। कहा कि पिछले सालों के भी अगस्त के आंकड़े उठाकर देखे जाएं तो तब भी ऐसे ही मौतें हुई थीं। अगर दो दिन में किसी सरकारी उच्च स्तरीय चिकित्सा संस्थान में 48 बच्चे मर जाएं, बच्चों के परिजन एक दिन पहले ऑक्सीजन की कम आपूर्ति की सूचना प्रभारी बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील अहमद को दे चुके हों, परिजनों ने डॉ. कफील अहमद को यह भी कहा था कि एक घंटे बाद ऑक्सीजन खत्म हो जाएगी, यह सुनकर उनकी नींद उड़ गई हो, वह अस्पताल पहुंच गए हों, ऑक्सीजन सिलिंडरों की खेप मंगाई जा रही हो, उसके आने में देर हो रही हो, शहर के मयूर गैसेज ऑक्सीजन सिलिंडर कंपनी को नकद भुगतान पर सिलिंडर रिफिल करने के लिए तैयार किया गया हो, इसके लिए डॉ. कफील ने अपना एटीएम कार्ड तक दे दिया हो, पुराना आपूर्तिकर्ता 58 लाख रुपए के बकाए की नोटिस दे चुका हो, तब मंत्री सिद्धार्थनाथ का यह कहना कि मौतें सामान्य हैं, गले नहीं उतरता।
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सामान्य, असामान्य का भेद खत्म
उनके बयान से यह भी निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि सरकार की नुमाइंदगी करते समय उनके लिए सामान्य, असामान्य का भेद खत्म हो गया है। उनकी शोहरत लाल बहादुर शास्त्री के रिश्तेदार की हैसियत से है। लाल बहादुर शास्त्री ने एक रेल दुर्घटना पर इस्तीफा दे दिया था। अपनी जिम्मेदारी कबूल करने, लोकनीति के अविस्मरणीय शास्त्री जी से जुड़े प्रसंग देश की करोड़ों जनता की जुबान पर अब भी चढ़े हैं।
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योगी के लिए बच्चों की मौत की वजह गंदगी
पीएम नरेंद्र मोदी की डगर चढ़ रहे योगी आदित्यनाथ इन मौतों के लिए गंदगी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वह एक पूर्वांचल के एक बड़े मठ के महंत भी हैं। धर्म, कल्याण का पाठ पढ़ाता है, दुख में उम्मीद जगाता है। धर्म आश्रय भी देता है पर धर्मध्वजा लहराने वाले सीएम के बयान में यह सब नदारद है। वह कहते हैं कि गंदगी से मौतें हुई हैं। वह सूबे के मुखिया हैं। ऑक्सीजन आपूर्ति करने की जिम्मेदारी जितनी उनकी है, गंदगी दूर करने की जिम्मेदारी भी उतनी ही है। क्योंकि उन्होंने अपनी सरकार बनने के बाद लखनऊ के बालू अड्डे के पास नरेंद्र मोदी की तर्ज पर स्वच्छता अभियान का संदेश देने की कोशिश की थी। उनके कई मंत्री अपने कार्यालय में सफाई करते मीडिया की तस्वीरों में नजर आए थे।
बच्चे मरे नहीं, इंसेफ्लाइटिस की लड़ाई में शहीद हुए
बच्चों की सिलसिलेवार मौत से महज दस घंटे पहले बतौर सीम योगी आदित्यनाथ इसी मेडिकल कॉलेज का दौरा करके आए थे। चंद घंटों में गंदगी अगर 48 बच्चों की मौत का सबब बनने लगे तो सूबे के मुखिया के तौर पर राजनीति के नए चरित्र के तहत इसे भी विपक्ष के सर माथे फोड़ना होगा या फिर पीएम नरेंद्र मोदी की तरह इस जिम्मेदारी को कुबूल करके ड्राइव चलाना होगा ताकि जिनके लाल बिछड़ें हैं, वह आश्वस्त हो सकें कि बच्चों की मौत का सिलसिला खत्म होगा। उनके बच्चे मरे नहीं, इंसेफ्लाइटिस की लड़ाई में शहीद हुए हैं।
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यह समय दुख में सहभागी बनने का, बहाने बनाकर बचाव का नहीं
ठीक दो दिन बाद श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है। वासुदेव इस दिन अपने पुत्र को यशोदा की गोद तक पहुंचाने में सफल हो गए थे। लेकिन जन्माष्टमी के अवसर पर उत्तर प्रदेश कुछ गरीब मजलूम लोग अपने बच्चों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज से अपने घर ले जाने में कामयाब नहीं हुए तो यह समय उनके दुख में सहभागी बनने का है, लोकनीति चलाने का है, बचाव करने का नहीं। क्योंकि मुट्ठी भर लोग पांच साल की प्रचंड सरकार की दीवार में कोई सुराख भी नहीं कर सकते, वह अब आहत मन से जिएंगे।
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क्या कहा सिद्धार्थनाथ सिंह ने ?
-मौत की वजह सिर्फ ऑक्सीजन की कमी ही नहीं है. इसके कई कारण हैं।
-2014 से अगस्त के महीने में 19 बच्चों की मौत प्रतिदिन होती है।
-मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित करके इस पर जांच की जाएगी।
-दोषी के खिलाफ कार्रवाई होगी।
-सीएम योगी 9 अगस्त को मेडिकल कालेज गए थे।
-लेकिन किसी ने गैस सप्लाई का मामला उनके सामने नहीं रखा।