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Meerut News: राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को बताया गया, वैदिक गणित पर हुई विशेष चर्चा

Meerut News: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में प्रोफेसर जयमाला ने प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को बताते हुए कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए सभी को प्रोत्साहित कर कार्यक्रम के प्रथम सत्र की शुरुआत की।

Sushil Kumar
Published on: 31 March 2024 9:55 PM IST
The importance of Indian knowledge tradition was explained in the National Education Policy, special discussion was held on Vedic mathematics
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को बताया गया, वैदिक गणित पर हुई विशेष चर्चा: Photo- Newstrack

Meerut News: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के गणित विभाग मे "NEP के परिप्रेक्ष्य में गणित के पीजी पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान परम्परा का एकीकरण" विषय पर चल रही दो दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन का शुभारम्भ विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर शिवराज सिंह, सीनियर प्रोफेसर मृदुल कुमार गुप्ता, डीन आफ साइंस प्रोफेसर जयमाला, मुख्य वक्ता प्रोफेसर अनिल ठाकुर, विभाग के अन्य प्रोफेसर्स प्रोफेसर मुकेश कुमार शर्मा, डॉ संदीप कुमार तथा डॉ सरू कुमारी के द्वारा मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलन कर किया गया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को बताया

इसके बाद प्रोफेसर जयमाला ने प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को बताते हुए कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए सभी को प्रोत्साहित कर कार्यक्रम के प्रथम सत्र की शुरुआत की। डॉ अनिल ठाकुर ने गणित की वैदिक परिभाषा, गणित की आधुनिक परिभाषा, वैदिक दर्शन शास्त्र, शूल्व सूत्र, बोधायन सूत्र जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की। इसी के साथ इन्होंने अथर्ववेद के श्लोक के बारे में बताते हुए कहा कि दर्शनशास्त्र से कोई गणित नहीं निकलता जबकि वैदिक दर्शनशास्त्र से गणित के बड़ी संख्या में सूत्रों का निर्माण हुआ है। इसी के साथ उन्होंने बताया कि शुल्व सूत्र में ही अपरिमेय संख्या का प्रयोग किया गया है और पाई का अनुमानित मान भी शुल्व सूत्र में ही दिया गया है जबकि पाश्चात्य गणित में अपरिमेय संख्या पाई को मान्यता उन्नीसवी ईसवी में मिली है इसी क्रम में उन्होंने बताया कि वर्ग की रचना का वर्णन भी बोधायन शुल्व सूत्र में दिया गया। इसके बाद गणित विभाग के सभी शिक्षकों द्वारा अनिल ठाकुर स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।


कार्यक्रम के दूसरे सत्र में एनालिसिस मैकेनिक्स या डिफरेंशियल इक्वेशन के पाठ्यक्रम पर विस्तार से चर्चा की गई। इस चर्चा में काफी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर मंथन किया गया और सभी विषयों के प्रैक्टिकल इंप्लीकेशंस को समायोजित करने के लिए सिलेबस में कहा गया। इस चर्चा में डीन ऑफ़ साइंस डॉ जयमाला, क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर के प्रोफेसर निरंजन स्वरूप और वीएसएसडी कॉलेज कानपुर के प्रोफेसर परिजात सिन्हा ने अपने विचार प्रस्तुत किए।

कार्यक्रम के तीसरे सत्र में डॉ सोनिया गुप्ता वैदिक गणित संयोजक मेरठ प्रांत द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित पाठ्यक्रम को प्रस्तुत किया जिसके अंतर्गत लगभग 14 पाठ्यक्रम स्नातक एवं पांच पाठ्यक्रम स्नाकोत्तर छात्रों के लिए समायोजित किए गए हैं। प्रोफेसर श्री राम चौथाईवाले राष्ट्रीय वैदिक गणित संयोजक न्यास ने इन पाठ्यक्रमों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।कॉल गणना के पाठ्यक्रम में प्रो अनुराधा गुप्ता का मुख्य योगदान रहा। शुल्व सूत्र पाठ्यक्रम में निधि हांडा ने अपने विचार प्रस्तुत किया। रामानुजन कंट्रीब्यूशन इन मैथमेटिक्स में आशीष अरोड़ा ने मुख्य योगदान दिया। इंडियन फिलासफी एंड इंडियन मैथमेटिक्स में प्रो बृजेश खंभबुल्जा ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। लीलावती और बीजगणित में तेजस कुलकर्णी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। वैदिक अंकगणित, वैदिक बीजगणित, वैदिक ज्यामिति एवं इन्हीं के एडवांस पाठ्यक्रम के बारे में भी विश्व चर्चा हुई जिसमें न्यास का योगदान रहा। मनुस्क्रिप्ट ऑन इंडियन मैथमेटिक्स में प्रो बृजेश खमबुल्जा ने अपने विचार प्रस्तुत किए। इंफिनिटी सीरीज एंड अलजेब्रा आईपीएस में प्रोफेसर आशीष अरोड़ा ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। शुल्व सुत्र एंड देयर ज्योमैट्रिकल इंटरप्रिटेशन में निधि हांडा ने अपना योगदान दिया। आशीष अरोड़ा ने एडवांस नंबर थिअरी के पाठ्यक्रम को बनाने में विशेष योगदान दिया।

वैदिक गणित के अनुप्रयोगों से सभी को अवगत कराया

कार्यक्रम के चौथे सत्र में डॉ प्रेमपाल ने मॉन्यूमेंट्स यानी शिल्प विज्ञान के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए इसके पाठ्यक्रम को भी सभी के साथ में साझा किया । उन्होंने बताया की कैसे पाई की खोज से पहले वास्तु शिल्पकारो ने उच्च विद्युत चुंबकीय क्षेत्र में अधिकतम धनात्मक ऊर्जा के स्थान पर गर्भ ग्रह स्थापित किया। इसके उदाहरण जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड सांची स्तूप मध्य प्रदेश हैं।इसके बाद प्रोफेसर कोमल असरानी ने क्रिप्टोग्राफी में वैदिक गणित के अनुप्रयोगो से सभी को अवगत कराया। इसी के साथ इन्होंने क्कट्पयादी और आर्यभट्ट सिस्टम आदि के बारे में भी बताया। प्रोफेसर श्री राम चौथाई वाले ने ऑनलाइन माध्यम से जोड़कर भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ाने हेतु अपने महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किये।

कार्यक्रम के समापन समारोह में प्रोफेसर जयमाला तथा विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर शिवराज सिंह ने कार्यशाला में उपस्थित सभी अतिथि गण को मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया। इसके इसके बाद डॉक्टर संदीप कुमार ने सभी को धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम का समापन किया। इस सत्र का संचालन गणित विभाग से डॉक्टर सरू कुमारी ने किया । कार्यक्रम में गणित विभाग के सभी शोधार्थी तथा वैदिक गणित के विभिन्न छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। जिन्हें सर्टिफिकेट देते हुए विभाग के सभी शिक्षक गण उपस्थित रहे।



Shashi kant gautam

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