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भारतीय महिलाओं का जीवन खतरे में! पुरुषों से पहले खत्म हो सकती है जिंदगी

आजकल के बढ़ती जनसंख्या की वजह से वातावरण में काफी बदलाव आ रहें हैं। त्योहारों के बाद तो और ज्यादा प्रदूषण फैलता दिखाई देता है।

Roshni Khan
Published on: 2 Nov 2019 11:14 AM GMT
भारतीय महिलाओं का जीवन खतरे में! पुरुषों से पहले खत्म हो सकती है जिंदगी
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लखनऊ: आजकल के बढ़ती जनसंख्या की वजह से वातावरण में काफी बदलाव आ रहें हैं। त्योहारों के बाद तो और ज्यादा प्रदूषण फैलता दिखाई देता है। हर तरफ धूंआ-धूंआ नजर आ रहा है। यही धूंआ सबसे ज्यादा हमारे शारीर को नुकसान पहुंचता है और ऐसा बताया भी जा रहा है कि अगर हमने इस बार काबू नहीं पाया तो हमें जल्द ही अपनी लाइफ से हाथ धोना पड़ेगा। दिन-पर-दिन इसका हाल बेकार होता जा रहा है, इसलिए हमें अपने वातावरण को देखते हुए ये काम करना होगा। जिससे हमारा वातावरण और शारीर दोनों ही सही रहे।

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एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दुनिया के 225 देशों में दूसरे सबसे ज्यादा प्रदूषित देश में आता है और जहां लगभग आधे अरब की आबादी अपने जीवन के 7 साल खो रही है, जीवन भर भारतीयों ने लगभग पांच दशकों में 19 साल की बढ़ोतरी की है। जबकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वे 2019 के परिणाम के मुताबिक, 1970-75 के बीच पैदा हुआ बच्चा 49 साल, 8 महीने और 12 दिन तक जिंदा रह सकता है, जबकि 2012-16 के बीच पैदा हुआ बच्चा 69 साल तक जिंदा रहने का अंदाजा लगाया जा रहा है।

महिलाओं का जीवन

सबसे खास बात यह है कि भारत में जीवन संभावना की बात आने पर महिलाओं के पास हमेशा पुरुषों के मुकाबलें कम जीवन होता है जीने के लिए। 1980 के शुरुआत तक, महिलाओं का पुरुषों की तुलना में कम जीवन काल था- ऐसा सिर्फ शहरों में था जहां महिलाएं पुरुषों से आगे निकल गईं। अगर हम चाहतें हैं नवजात शिशुओं के लिए अच्छा जीवन तो बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का होना बहुत जरुरी हैं। 1970-75 और 2012-16 के बीच, जबकि महिलाओं की लम्बी उम्र में लगभग 44% की वृद्धि हुई है, पुरुषों की संख्या में 32% वृद्धि हुई है। लेकिन 1970 के दशक की शुरुआत में पैदा हुई लड़की, एक ही समय में पैदा हुए लड़के की तुलना में 6 महीने कम जीती है।

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शिशु मृत्यु दर 57 से घटाकर 33 प्रति हो गई

शिशु मृत्यु दर (IMR) को प्रति 1,000 जीवित जन्में बच्चों का औसतन 57 से घटाकर 33 प्रति हो गया है, ये 2017 की रिपोर्ट में पता चला. जीवन प्रत्याशा में सबसे वृद्धि यूपी में देखी गई है, जहां 1 साल के बच्चे को 3 साल, 3 महीने और एक नवजात से 18 दिन अधिक जीने की ही उम्मीद है। परेशानी की बात ये है कि केरल, जहां नवजात शिशु के लिए 75.2 वर्ष की जीवन प्रत्याशा सबसे अधिक है, वो एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां नवजात शिशु की तुलना में एक वर्ष की आयु से 1 महीने और 6 दिन घट गई है।

Roshni Khan

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