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Women Reservation Bill: बिल पारित होने के बाद संसद में कम हुई महिला सांसदो की ताकत
Women Reservation Bill: देश भर से निचले सदन के लिए चुनी गईं कुल महिला सांसदों में से पश्चिम बंगाल 11 महिलाओं के साथ सबसे आगे है, कुल 797 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था।
Women Reservation Bill: देश की संसद ने भले ही महिला आरक्षण बिल को पारित कर दिया हो लेकिन 19वीं लोकसभा में पिछले चुनाव से इस बार महिला सांसदो की संख्या में घटोत्तरी हुई है। जहां पिछली बार 11 महिलाएं लोकसभा पहुंची थी। वहीं इस बार इनकी संख्या कम हो गयी और वह घटकर सात पर आ गयी है। उससे भी बड़ी चिंता जनक बात यह है कि लेकिन चिंताजनक बात यह है कि देश के 8 राज्यों से एक भी महिला प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पायी है। केरल, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, मिजोरम और सिक्किम ने एक महिला उम्मीदवार का नारी वंदन नहीं हुआ है।वहीं राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए तो लोकसभा में इस बार कुल 74 महिलाएं चुनी गईं जबकि 2019 के आम चुनाव में यह संख्या 78 थी।
देश भर से निचले सदन के लिए चुनी गईं कुल महिला सांसदों में से पश्चिम बंगाल 11 महिलाओं के साथ सबसे आगे है। कुल 797 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। इस मामले में भाजपा ने अपने आपको आगे करके सबसे अधिक 69 को और कांग्रेस ने 41 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया था।इससे पहले के लोकसभा चुनावों पर यदि गौर किया जाए तो सत्रहवीं लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या सबसे अधिक 78 थी, जो कुल संख्या का 14 प्रतिशत थी। इसके बाद 16वीं लोकसभा में 64 महिलाएं सदस्य थीं जबकि 15वीं लोकसभा में यह संख्या 52 थी। भाजपा की हेमा मालिनी, तृणमूल की महुआ मोइत्रा, राकांपा (शरद पवार गुट) की सुप्रिया सुले और समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने लोकसभा चुनाव में अपनी सीटें बरकरार रखीं
जबकि कंगना रनौत और मीसा भारती जैसी उम्मीदवारों ने अपनी जीत से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा.इस बार भाजपा की 30 महिला उम्मीदवारों ने लोकसभा चुनाव जीता। जिनमें कांग्रेस की 14, तृणमूल कांग्रेस की 11, समाजवादी पार्टी की चार, द्रमुक की तीन और जनता दल (यूनाइटेड) और लोजपा (आर) की दो-दो महिला उम्मीदवार जीतीं है।
संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बाद यह पहला चुनाव है। इस कानून में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। हांलाकि यह कानून अभी तक लागू नहीं किया गया है।जहां तक उत्तर प्रदेश की बात है तो संसद में इस बार उत्तर प्रदेश से महिला सांसदों का प्रतिनिधित्व कम हो गया है।
पिछले लोकसभा चुनाव में यूपी ने 11 महिलाओं को लोकसभा भेजा था। इनमें से अकेले आठ महिलाएं भाजपा की थीं। इस बार यूपी से केवल सात महिलाएं संसद पहुंची हैं। इनमें से पांच अकेले सपा की हैं।समाजवादी पार्टी की प्रिया सरोज सबसे कम उम्र में सांसद बनी हैं। वह अपने पिता तूफानी सरोज की सीट से चुनाव लड़ी थी।
मछलीशहर सीट से जीत दर्ज करने वाली 25 वर्षीय प्रिया सरोज सपा के पूर्व सांसद व वर्तमान में केराकत से सपा विधायक तूफानी सरोज की बेटी हैं। इकरा हसन की भी चर्चा हो रही हैं। सिर्फ 27 वर्ष की उम्र में कैराना लोकसभा सीट से सांसद बनी इकरा हसन ने भाजपा के प्रदीप कुमार चौधरी को शिकस्त दी है।इनके अलावा मथुरा से फिल्म अभिनेत्री हेमामालिनी एक बार फिर सांसद चुनी गयी हैं। वहीं सहयोगी दल अपना दल एस की अनुप्रिया पटेल तीसरी बार चुनाव जीती हैं।सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव पूर्व में कन्नौज से सांसद रह चुकी हैं। इस बार उन्होंने अपने ससुर मुलायम सिंह यादव की परम्परागत सीट मैनपुरी से चुनाव में विजय हासिल की है।
जबकि बांदा से सपा की कृष्णा पटेल चुनाव जीती हैं।मजेदार बात यह है कि सभी राजनीतिक दल राजनीति में महिलाओं को आगे लाने की बात तो करते हैं पर टिकट देने के मामले में बेहद कंजूस बन जाते हैं। इस बार चुनाव लड़ने वाली कुछ 797 में करीब 75 महिलाएं चुनाव जीती है।