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Lok Sabha Election: गाजीपुर में पिता-पुत्री दोनों मैदान में, अफजाल अंसारी का चुनाव निशान साइकिल तो नुसरत को मिली राजभर वाली छड़ी
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा सीट पर मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी और अफजाल की बेटी नुसरत दोनों ने नामांकन दाखिल किया है।
Lok Sabha Election 2024: इस बार के लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल की कई सीटों पर कड़ा मुकाबला हो रहा है। बाहुबली पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की मौत के बाद अंसारी कुनबा गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में अपनी ताकत दिखाने में जुटा हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि इस लोकसभा सीट पर मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी और अफजाल की बेटी नुसरत दोनों ने नामांकन दाखिल किया है। शुक्रवार को नाम वापसी की समय सीमा समाप्त हो गई और इसके बाद गाजीपुर के सभी प्रत्याशियों को चुनाव निशान का भी आवंटन कर दिया गया है।
अफजाल अंसारी समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं और वे साइकिल चुनाव निशान पर अपनी ताकत दिखाएंगे। दूसरी और उनकी बेटी नुसरत को छड़ी चुनाव निशान मिला है। उल्लेखनीय है कि सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के प्रत्याशी छड़ी निशान पर ही चुनाव लड़ते हैं। बगल की घोसी लोकसभा सीट पर राजभर के बेटे अरविंद राजभर छड़ी चुनाव निशान पर ही चुनावी अखाड़े में उतरे हैं। ओपी राजभर ने खुद पिछले विधानसभा चुनाव में गाजीपुर के जहूराबाद विधानसभा सीट पर इसी निशान पर जीत हासिल की थी। गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में उनकी पार्टी का कोई प्रत्याशी नहीं है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सबकी निगाहें
दरअसल गाजीपुर लोकसभा सीट से पिता अफजाल अंसारी और उनकी बेटी नुसरत ने एक विशेष रणनीति के तहत नामांकन दाखिल किया है। दरअसल अफजाल अंसारी को गैंगस्टर के मामले में चार साल की सजा मिली थी और इस सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने अस्थायी तौर पर रोक लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को 30 जून तक इस मामले में फैसला सुनाने का निर्देश दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट में यह मामला चल रहा है और इस मामले में अगली तारीख 20 मई की लगी हुई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्य सरकार और कृष्णानंद राय के बेटे की ओर से अपील दायर की गई है जिसमें अफजाल की सजा बढ़ाने की मांग की गई है।
अगर इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला अफजाल अंसारी के खिलाफ गया तो फिर वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। यही कारण है कि अंसारी कुनबे ने एक विशेष रणनीति के तहत नुसरत का भी नामांकन करा रखा है। जानकारों का कहना है कि यदि हाईकोर्ट की ओर से अफजाल अंसारी को राहत नहीं मिली तो फिर अंसारी कुनबा पूरी मजबूती के साथ नुसरत को चुनाव लड़ाएगा।
अफजाल अंसारी ने बना रखी है यह रणनीति
गाजीपुर के लोकसभा चुनाव में नुसरत भी काफी सक्रिय दिख रही हैं। पिछले दिनों अफजाल अंसारी ने पार्टी कार्यालय में गठबंधन के सहयोगी नेताओं से नुसरत का परिचय भी कराया था। इस दौरान उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया था कि यदि हाईकोर्ट की ओर से उन्हें राहत नहीं मिली तो फिर नुसरत गठबंधन की प्रत्याशी होंगी। यही कारण है कि नुसरत ने शुक्रवार को आखिरी तारीख को भी अपना नामांकन वापस नहीं लिया।
समाजवादी पार्टी की ओर से अफजल के साथ ही नुसरत को भी पार्टी का सिंबल साइकिल अलॉट किया गया था। वैसे इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला 20 मई तक टल जाने के बाद नुसरत का सपा प्रत्याशी के रूप में दाखिल किया गया पर्चा खारिज कर दिया गया है।
अब वे निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। अब 20 मई की तारीख का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। यदि 20 मई को हाईकोर्ट का फैसला अफजाल अंसारी के पक्ष में नहीं रहा तो समाजवादी पार्टी की ओर से नुसरत को समर्थन देने का ऐलान किया जा सकता है। यदि फैसला अफजाल अंसारी के पक्ष में रहा तो फिर नुसरत चुनावी दौड़ से हटाने का बड़ा ऐलान कर सकती हैं।
भाजपा और बसपा से मिल रही कड़ी चुनौती
गाजीपुर लोकसभा सीट पर आखिरी चरण में एक जून को मतदान होने वाला है मगर अभी तक चुनावी तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। अब सबकी निगाहें इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगी हुई हैं। हाईकोर्ट का फैसला आने पर ही इस लोकसभा क्षेत्र की असली तस्वीर सामने आ सकेगी।
भाजपा की ओर से इस लोकसभा सीट पर पारसनाथ राय को चुनाव मैदान में उतारा गया है जबकि बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के रूप में डॉक्टर उमेश कुमार सिंह चुनौती देने में जुटे हुए हैं। इन दोनों प्रत्याशियों का आरोप है कि मुकदमे में उलझे होने के कारण अफजाल अंसारी ने पिछले पांच वर्षों में क्षेत्र पर कोई ध्यान नहीं दिया। इसे लेकर उन्होंने अफजाल अंसारी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।