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Election Results 2024: मुस्लिमों ने चुपचाप किया बड़ा खेला, अखिलेश और ममता हुए मालामाल, कांग्रेस को भी भारी फायदा
Election Results 2024: मुस्लिम मतदाताओं के भारी समर्थन के चलते समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस तीनों दलों को भारी फायदा हुआ है।
Election Results 2024: सात चरणों में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे से साफ है कि भाजपा इस बार बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई है। हालांकि एनडीए के बहुमत हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर सरकार बनाने जा रहे हैं। भाजपा को इस बार उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में बड़ा झटका लगा है। इन राज्यों में विपक्ष को मिली कामयाबी में मुस्लिम मतदाताओं की बड़ी भूमिका मानी जा रही है।
खास तौर पर उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मुस्लिम मतदाताओं ने इस बार साइलेंट रहकर एकपक्षीय रुख अपनाते हुए ईवीएम का बटन दबाया है। मुस्लिम संगठनों और तंजीमों ने आखिरी क्षण तक चुप्पी साध रखी थी और यही कारण था कि उनके किसी एक्शन का रिएक्शन भी नहीं हो सका। मुस्लिम मतदाताओं के भारी समर्थन के चलते समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस तीनों दलों को भारी फायदा हुआ है। दूसरी ओर मुसलमानों की ओर से चुपचाप खेले गए इस गेम से हिंदू मतों का कोई ध्रुवीकरण नहीं हो सका जिससे भाजपा को करारा झटका लगा है।
यूपी में काम कर गई अखिलेश-राहुल की रणनीति
भाजपा को इस बार के लोकसभा चुनाव में 240 सीटें मिली हैं और पार्टी बहुमत से 32 सीट दूर रह गई है। भाजपा को यह झटका देने में उत्तर प्रदेश की प्रमुख भूमिका रही है जहां समाजवादी पार्टी ने 37 सीटों पर जीत हासिल कर ली है जबकि कांग्रेस को भी 6 सीटों पर जीत मिली है।
भाजपा को यह झटका देने में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट बनाए रखने की रणनीति में प्रमुख भूमिका निभाई है।उत्तर प्रदेश से भले ही पांच मुस्लिम सांसद चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं मगर प्रदेश में मुसलमानों ने एकतरफा इंडिया गठबंधन के पक्ष में मतदान किया है। मुस्लिम संगठन और तंजीमों ने इस बार वोटिंग तक चुप्पी बनाए रखी और ईवीएम का बटन दबाते हुए बड़ा सियासी खेल कर दिया। मुस्लिम संगठनों की ओर से चुपचाप किए गए इस खेल के कारण कोई प्रतिक्रिया भी नहीं सामने आई।
पश्चिम बंगाल में ममता के पक्ष में एकतरफा वोटिंग
इसी तरह पश्चिम बंगाल में इस बार भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा था मगर टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी ने 29 सीटें जीतते हुए भाजपा को करारा झटका दिया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में 18 सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा इस बार सिर्फ 12 सीटों पर सिमट गई है। समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के बीच एक बड़ी समानता यह रही है कि दोनों ही दलों को बड़ी जीत दिलाने में मुसलमान की बड़ी भूमिका रही है।
दोनों ही राज्यों उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मुसलमानों ने भाजपा के खिलाफ निर्णायक रूप से इन दोनों दलों के पक्ष में मतदान किया है। इस कारण दोनों की सीटों में भारी उछाल दर्ज किया गया है। इसके साथ ही दलित और ओबीसी मतदाताओं के समर्थन ने सोने में सुहागा कर दिया और इन दोनों दलों को बड़ा सियासी फायदा मिला जबकि भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।
मुसलमानों ने चुपचाप कर दिया बड़ा खेला
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने टिकट बंटवारे में भी सूझबूझ दिखाई। बहुजन समाज पार्टी की ओर से सबसे ज्यादा 20 मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे गए थे। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने इस बार सिर्फ चार मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे जबकि कांग्रेस ने सिर्फ दो मुसलमानों को टिकट दिया था। इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से बचने की दोनों दलों की एक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ कासिम इलियास का कहना है कि इस बार देश और खास कर उत्तर प्रदेश के मुसलमानों ने लोकसभा चुनाव का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण नहीं होने दिया।
भाजपा की ओर से भले ही मुसलमानों को लेकर भड़काऊ बयान दिए गए मगर मुस्लिम संगठनों या मुसलमानों के किसी धर्मगुरु की ओर से कोई आक्रामक बयान नहीं दिया गया। मुसलमानों ने काफी सूझबूझ के साथ भाजपा को हराने के लिए अलग-अलग चुनाव क्षेत्रों में चुपचाप एकतरफा वोटिंग की।
भाजपा के इस बयान से लामबंद हुए मुस्लिम
सियासी जानकारों का भी मानना है कि चुनाव के दौरान मुस्लिम विरोधी बयान और माहौल भाजपा के खिलाफ गया है। भाजपा की ओर से लंबे समय से पसमांदा मुसलमान में पैठ बनाने की कोशिश की जा रही थी मगर यह कोशिश भी पूरी तरह नाकाम दिखी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में लगातार पिछड़ों के कोटा से मुसलमानों को आरक्षण न देने का ऐलान करते रहे। उन्होंने यहां तक कहा कि मोदी के रहते यह काम कभी नहीं किया जा सकता। उन्होंने इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला भी बोला था।
भाजपा के अन्य नेता भी पूरे चुनाव अभियान के दौरान मुस्लिम आरक्षण को लेकर लगातार हमलावर बने रहे। इसी का नतीजा था कि मुस्लिम वर्ग पूरी तरह इंडिया गठबंधन के पक्ष में लामबंद हो गया। मुसलमानों की ओर से इस मुद्दे पर खुलकर कोई बयान कभी नहीं दिया गया मगर विभिन्न चरणों के मतदान के दौरान विभिन्न चुनाव क्षेत्रों में मुसलमानों ने चुपचाप ईवीएम का बटन दबाकर बड़ा सियासी खेल जरूर कर दिया।
मुसलमानों ने मतदान में दिखाई समझदारी
जानकारों का कहना है कि ऐसी बात नहीं है कि मुसलमानों ने पहली बार भाजपा को हराने के लिए मतदान किया है मगर इस बार उन्होंने मतदान में समझदारी जरूर दिखाई है। उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी भी चुनावी अखाड़े में उतरी थी। पार्टी की ओर से 20 मुस्लिम प्रत्याशी भी उतारे गए थे। इसके बावजूद मुसलमानों ने अपने वोटों का बंटवारा रोकने और भाजपा को हराने के लिए इंडिया अलायंस के पक्ष में एकतरफा वोटिंग की है।
जानकारों के मुताबिक इसी तरह पश्चिम बंगाल में भी मुसलमानों के सामने तृणमूल कांग्रेस के अलावा लेफ्ट और कांग्रेस का भी विकल्प था मगर पश्चिम बंगाल में उन्होंने भाजपा को हराने के लिए तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में एकतरफा वोटिंग की।।