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Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस के सियासी दांव से ओवैसी को लगा बड़ा झटका, मुस्लिम प्रत्याशी ने बढ़ाई मुसीबत

Lok Sabha Election 2024: सीट पर वलीउल्लाह समीर को चुनाव मैदान में उतारे जाने के बाद मुस्लिम मतों के बंटवारे का बड़ा खतरा भी पैदा हो गया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 25 April 2024 4:41 AM GMT
Asaduddin Owaisi
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Asaduddin Owaisi  (photo: social media )

Lok Sabha Election 2024: लंबे इंतजार के बाद कांग्रेस ने हैदराबाद की हॉट लोकसभा सीट पर अपने पत्ते खोल दिए हैं। कांग्रेस ने हैदराबाद में मोहम्मद वलीउल्लाह समीर को अपना प्रत्याशी बनाया है। वलीउल्लाह समीर मौजूदा समय में हैदराबाद जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं और उनकी उम्मीदवारी एआईएमआईएम के मुखिया और हैदराबाद के मौजूदा सांसद असदुद्दीन ओवैसी की मुश्किलें बढ़ाने वाली साबित होगी।

मुस्लिम बहुल इस सीट पर वलीउल्लाह समीर को चुनाव मैदान में उतारे जाने के बाद मुस्लिम मतों के बंटवारे का बड़ा खतरा भी पैदा हो गया है। भाजपा ने इस सीट पर फायरब्रांड छवि वाली माधवी लता को चुनाव मैदान में उतारा है जो कि पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे में इस सीट पर अब त्रिकोणीय मुकाबले की तस्वीर उभर रही है और मुस्लिम मतों में बंटवारा ओवैसी के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है। इस लोकसभा सीट पर 1984 से ही ओवैसी परिवार का कब्जा है मगर इस बार ओवैसी कड़े मुकाबले में फंस गए हैं।

अभी तक बदले हुए थे ओवैसी के सुर

अभी कुछ दिनों पूर्व तक कांग्रेस के प्रति ओवैसी के सुर बदले हुए थे। रमजान के समय इफ्तार दावतों में ओवैसी तेलंगाना के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रेवंत रेड्डी के साथ दिखे थे। दोनों नेताओं के एक-दूसरे का मुंह मीठा करने की तस्वीरें देखकर लोगों को हैरानी भी हुई थी। एक कार्यक्रम के दौरान रेवंत रेड्डी ने ओवैसी की जमकर तारीफ भी की थी। उनका कहना था कि हैदराबाद के लोगों की मदद से ओवैसी और उनकी पार्टी के एमएलए लगातार जीत हासिल करते रहे हैं। हमने भी उन्हें हराने की कोशिश की मगर कामयाबी नहीं मिली।

विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद हमने हैदराबाद के विकास के लिए एआईएमआईएम के साथ चलने का फैसला किया। इसके जरिए हम हैदराबाद का सर्वांगीण विकास करना चाहते हैं। रेवंत रेड्डी के इस बयान के बाद माना जा रहा था कि हैदराबाद लोकसभा सीट को लेकर कांग्रेस बड़ा फैसला ले सकती है मगर बुधवार को कांग्रेस ने इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतार कर ओवैसी के सपनों पर पानी फेर दिया।


मुस्लिम मतों के बंटवारे का बड़ा खतरा

हैदराबाद लोकसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 59 फीसदी है और इन मतदाताओं के दम पर ही ओवैसी का परिवार 1984 से इस लोकसभा क्षेत्र में जीत हासिल करता रहा है। अभी तक इस सीट पर ओवैसी की उम्मीदवारी से माना जा रहा था कि मुस्लिम मतदाताओं का पूरा समर्थन ओवैसी को ही हासिल होगा मगर कांग्रेस ने भी मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर मुस्लिम मतों के बंटवारे का बड़ा खतरा पैदा कर दिया है। कांग्रेस की ओर से चुनाव मैदान में उतारे गए वलीउल्लाह समीर स्थानीय हैं और ऐसे में माना जा रहा है कि वे ओवैसी की सियासी राह में मुश्किलें पैदा कर सकते हैं।


भाजपा की महिला प्रत्याशी भी बड़ी चुनौती

भाजपा ने इस बार ओवैसी के खिलाफ मजबूत प्रत्याशी उतार कर उन्हें घेरने का प्रयास किया है। भाजपा की ओर से ओवैसी के खिलाफ चुनावी अखाड़े में उतारी गई माधवी लता पेशे से डॉक्टर हैं और विरिंची हॉस्पिटल की चेयरपर्सन भी हैं। इसके साथ ही वे भरतनाट्यम की डांसर भी हैं। उनका एक और मजबूत पक्ष हिंदुत्व के मुद्दे पर उनका मुखर होना है। हिंदू धर्म को लेकर अपने भाषणों से वे काफी चर्चा बटोर चुकी हैं।

भाजपा की ओर से उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने से साफ हो गया है कि पार्टी ने ओवैसी के खिलाफ हिंदुत्व कार्ड खेलने का प्रयास किया है। पिछले चुनाव में भाजपा की ओर से हैदराबाद लोकसभा सीट पर भगवत राव को उतारा गया था मगर इस बार पार्टी ने अपनी रणनीति बदल दी है। भाजपा ने हैदराबाद में पहली बार चर्चित महिला चेहरे पर दांव लगाते हुए असदुद्दीन ओवैसी को कड़ी चुनौती देने की कोशिश की है।

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को हैदराबाद में माधवी लता के पक्ष में रोड शो के दौरान नया नारा दिया- ओवैसी हैं लापता,जब से आई हैं माधवी लता। माधवी लता ने बुधवार को हैदराबाद सीट से नामांकन दाखिल किया और इस दौरान भाजपा की ओर से बड़े रोड शो का आयोजन किया गया।


1984 से ही जीत रहा है ओवैसी कुनबा

हैदराबाद लोकसभा सीट देश में काफी चर्चित रही है क्योंकि एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी इस सीट से सांसद हैं। ओवैसी की फैमिली ने इस सीट पर 1984 के लोकसभा चुनाव से ही कब्जा कर रखा है और इसे ओवैसी फैमिली का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है। असदुद्दीन के पिता सुल्तान सलाउद्दीन ओवैसी 1984 में पहली बार इस सीट से सांसद बने थे।

इसके बाद उन्होंने 2004 तक की इस सीट पर अपना कब्जा बनाए रखा। उसके बाद से असदुद्दीन ओवैसी इस सीट से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान ओवैसी ने इस सीट पर 5,17,471 वोट हासिल करते हुए भाजपा के भागवत राय को बुरी तरह हराया था। माना जा रहा है कि भाजपा ने इसी कारण इस बार प्रत्याशी बदलने का दांव खेला है। भाजपा ने इस बार मजबूत प्रत्याशी उतार कर ओवैसी की घेरेबंदी की है।


भाजपा लगा रही थी मिलीभगत का आरोप

हैदराबाद लोकसभा सीट से एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी को हराना आसान नहीं माना जाता है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2019 के चुनावों में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को 2.82 लाख वोटों के भारी अंतर से हराया था। इस बार कांग्रेस ने उनके सामने मुस्लिम उम्मीदवार लाकर इस सीट को जीतने की उम्मीद पाल रखी है।

भाजपा अभी तक हैदराबाद लोकसभा सीट पर कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार न उतारे जाने पर हमलावर थी। तेलंगाना के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जी किशन रेड्डी ने कांग्रेस और ओवैसी के बीच मिलीभगत का बड़ा आरोप लगाया था। उनका कहना था कि अंदरखाने दोनों मिले हुए हैं मगर अब कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार उतार कर यह साफ कर दिया है कि वह ओवैसी को घेरने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी। अब हैदराबाद लोकसभा सीट पर काफी दिलचस्प मुकाबला होने की उम्मीद है और इस बार ओवैसी की सियासी राह आसान नहीं रह गई है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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