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Ayodhya Election Result 2024: वर्षो तक याद रहेगी अयोध्या हारने की टीस

Ayodhya Election Result 2024: अयोध्या में राममंदिर की विश्वस्तरीय प्राण-प्रतिष्ठा और निर्माण को भाजपा ने जिस तरह से जनता के बीच उठाया, उसका फायदा उसे नहीं मिला।

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 5 Jun 2024 2:02 PM IST
Ayodhya Election Result 2024: वर्षो तक याद रहेगी अयोध्या हारने की टीस
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PM Modi , CM Yogi , Lallu Singh   (photo: social media)

Ayodhya Election Result 2024: जिस अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए वर्षो संघर्ष किया और मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या के दम पर इसे केन्द्र में रखकर भाजपा ने पूरे चुनाव अभियान को चलाया। उस अयोध्या का असर दूसरे राज्यों में तो दिखाई पड़ा लेकिन न तो उसका लाभ प्रदेश को मिला और न ही अयोध्या के आसपास के जिलों में मिली करारी हार को भाजपा वर्षो तक नहीं भुला पाएगी।

लोकसभा चुनाव के दौरान राममंदिर निर्माण के बाद इसकी धुन में मस्त भाजपा रणनीतिकार सोशल इंजीनियरिंग के पुराने फार्मूले का समझने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुए। इसके बावजूद सपा की रणनीति के आगे भाजपा को मंदिर निर्माण का लाभ नहीं मिल सका।

फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत अयोध्या का राम मंदिर आता है। चुनाव से ठीक पहले जनवरी में अयोध्या के भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया गया था. इस वक्त ऐसा लग रहा था कि मानों पूरे देश में पीएम मोदी की लहर है। हालांकि रुझानों में तस्वीर कुछ अलग ही है और भाजपा को फैजाबाद सीट पर हार मिली है।

बीजेपी राममंदिर के इर्द-गिर्द सभी लोकसभा सीटें हारी

अयोध्या में राममंदिर की विश्वस्तरीय प्राण-प्रतिष्ठा और निर्माण को भाजपा ने जिस तरह से जनता के बीच उठाया, उसका फायदा उसे नहीं मिला। भाजपा न केवल फैजाबाद सीट हारी, बल्कि राममंदिर के इर्द-गिर्द की सभी लोकसभा सीटें हार गयी।

भाजपा ने अयोध्या धाम के विकास पर सबसे ज्यादा फोकस किया। सोशल मीडिया से लेकर चुनाव-प्रचार में अयोध्या धाम में हुए विकास कार्यों को बताया गया लेकिन पार्टी ने अयोध्या के ग्रामीण क्षेत्रों पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया। अयोध्या धाम से अलग ग्रामीण क्षेत्र की तस्वीर बिल्कुल अलग रही।

इसके अलावा अयोध्या में रामपथ के निर्माण के लिए जमीन का अधिग्रहण किया गया. कई लोगों के घर-दुकान तोड़े गए. निराशाजनक पहलू यह रहा कि कई लोगों को मुआवजा नहीं मिला। इसकी नाराजगी चुनाव परिणाम में साफ नजर आ रही है. कुछ ऐसी ही स्थिति चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग के चौड़ीकरण में भी देखने को मिली. बड़ी संख्या में घर-दुकान तोड़े गए लेकिन प्रभावितों को उचित नहीं मिला।

भाजपा प्रत्याशी ने सांसद लल्लू सिंह पर भरोसा जताते हुए तीसरी बार चुनावी मैदान में उतारा था। नया चेहरा ना उतरना ही बीजेपी को यहां भारी पड़ गया। लल्लू सिंह के खिलाफ स्थानीय लोगों को नाराजगी का अंदाजा पार्टी नहीं लगा पाई। नतीजतन बीजेपी को प्रतिष्ठित सीट गंवानी पड़ी। लल्लू सिंह ने चुनाव-प्रचार के दौरान संविधान बदलने का बयान भी दिया था। बयान पर काफी हो-हल्ला मचा था.


सपा के अवधेश प्रसाद ने भाजपा के लल्लू सिंह को पराजित किया

अयोध्या मंडल फैजाबाद (अयोध्या) सीट से सपा के दलित प्रत्याशी व पूर्व मंत्री अवधेश प्रसाद ने भाजपा के सांसद लल्लू सिंह को 50 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया। यही नहीं इस मंडल की सबसे चर्चित सीट अमेठी से भाजपा प्रत्याशी व कद्दावर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी कांग्रेस के केएल शर्मा से बुरी तरह से चुनाव हार गयीं। बाराबंकी में कांग्रेस प्रत्याशी तनुज पुनिया ने भी भाजपा प्रत्याशी को दो लाख से ज्यादा मतों से पराजित करके यह साबित कर दिया कि मंदिर से पैदा हुयी आस्था की लहर बाराबंकी में पूरी तरह से नहीं पहुंच सकी। इसी मंडल के अम्बेडकरनगर क्षेत्र में पिछली बार बसपा के टिकट पर सांसद चुने गए रितेश पांडे को इस बार भाजपा ने प्रत्याशी बनाया था, लेकिन उसका यह दांव भी फ्लॉप साबित हुआ। यहां से सपा के लालजी वर्मा ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की। अयोध्या मंडल की ही सुल्तानपुर सीट को इस बार आठ बार से सांसद मेनका गांधी नहीं जीत सकी। ऐसा ही हाल अयोध्या मंडल के आसपास क्षेत्रों में शामिल रायबरेली में राहुल गांधी की प्रचंड जीत से भी समझा जा सकता है। राहुल करीब साढ़े तीन लाख से ज्यादा मतों से विजयी हुए। उनको सभी वर्गों से भरपूर समर्थन मिला। खीरी में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के खिलाफ भी श्थार कार कांडश् के बाद उपजे गुस्से का भाजपा ठीक से अनुमान नहीं लगा पायी। परिणाम यह हुआ कि इस सीट पर सपा के उत्कर्ष वर्मा ने टेनी को बुरी तरह से हराकर सीट छीन ली। ऐसा ही हाल धौरहरा में भाजपा की रेखा वर्मा भी थोड़े ही मतों से सपा के आनंद भदौरिया से चुनाव हार गईं। सीतापुर में तो शुरुआत में खुद कांग्रेस को भी उम्मीद न थी कि उसका प्रत्याशी चुनाव जीत पायेगा, लेकिन कांग्रेस ने इस सीट को करीब तीस साल बाद जीतकर वापस ले ली।

लखनऊ में भाजपा के राजनाथ सिंह करीब 65 हजार मतों से जीते, हालांकि पिछले चुनाव के मुकाबले यह अंतर काफी कम है। 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी जीत का अंतर 3.47 लाख था। वहीं मोहनलालगंज में भाजपा सांसद कौशल किशोर के खिलाफ नाराजगी को भी पार्टी नहीं पकड़ पाई और सपा के आरके चौधरी से उन्हें करीब 80 हजार मतों से हार का मुंह देखना पड़ा।

यह अलग बात है कि तमाम विरोधों के बाद भी कैसरगंज में भाजपा के करण भूषण सिंह प्रतिद्वंद्वी सपा प्रत्याशी पर काफी भारी पड़े। इसी तरह हरदोई, मिश्रिख, उन्नाव, गोडा, कानपुर, अकबरपुर और बहराइच की भाजपा अपनी सीटें बचाने में सफल रही। फतेहपुर में केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को पछाड़कर सपा प्रत्याशी नरेश उत्तम पटेल ने सबको चौंका दिया।


लल्लू सिंह के खिलाफ क्षेत्र में नाराजगी

अयोध्या में हार का बड़ा कारण लल्लू सिंह के खिलाफ क्षेत्र में नाराजगी थी। लोगों की नाराजगी उनके क्षेत्र में मौजूदगी को लेकर थी। उम्मीदवार के प्रति यह गुस्सा लोगों के भीतर बदलाव के रूप में उभरने लगा।

भाजपा उम्मीदवार लगातार 10 साल से सांसद थे। उनको बदले जाने का दबाव स्थानीय स्तर के नेताओं की ओर से भी बनाया जा रहा था। भाजपा यहां पर ओवर कॉन्फिडेंस का शिकार हो गई। लल्लू सिंह पर क्षेत्र में जमीन खरीद और फिर उसे ऊंचे दामों में बेचने का आरोप लगा। दरअसल, राम मंदिर पर फैसले के बाद जमीन खरीद-बिक्री का मामला जोर-शोर से उठा था। इस पर बड़ा जोर दिया गया।





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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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