TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Loksabha Election 2024: बागपत लोकसभा सीट चौधरी चरण सिंह की रही है कर्मभूमि, बीजेपी ने तीन बार खिलाया कमल

Loksabha Election 2024 Baghpat Seat Hsitory: चौधरी अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी इस सीट पर 2019 के चुनाव में उतरे। लेकिन उनको इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

Sandip Kumar Mishra
Published on: 24 March 2024 4:25 PM IST (Updated on: 14 May 2024 7:57 PM IST)
Loksabha Election 2024: बागपत लोकसभा सीट चौधरी चरण सिंह की रही है कर्मभूमि, बीजेपी ने तीन बार खिलाया कमल
X

Loksabha Election 2024: यूपी का बागपत जाट-राजनीति का केंद्र है। कभी यह क्षेत्र मेरठ का हिस्सा हुआ करता था। यह लोकसभा सीट चौधरी चरण सिंह की कर्मभूमि रही है, जिन्हें हाल ही में भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह की पहचान भूमिधर किसानों के नेता, महात्मा गांधी के अनुयायी और खेती से जुड़ी अर्थव्यवस्था विशेषज्ञ के तौर पर रही है। लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा के उम्मीदवार डॉ. सत्यपाल सिंह ने 23502 वोटों से जीत दर्ज की थी। डॉ. सत्यपाल सिंह को 525789 और आरएलडी के जयंत चौधरी को 502287 वोट मिले थे। बागपत लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 11 है। इसमें वर्तमान में 5 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इस लोकसभा क्षेत्र का गठन बागपत जिले के बड़ौत, छपरौली व बागपत एवं गाजियाबाद के मोदीनगर और मेरठ के सिवालखास विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर हुआ है। यह लोकसभा क्षेत्र 1967 में अस्तित्व में आया था। यहां कुल 16,16,476 मतदाता हैं। जिनमें से 7,19,241 पुरुष और 8,97,150 महिला मतदाता हैं। बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 में कुल 64.68 प्रतिशत मतदान हुआ था।



सांसद डॉ सत्यपाल सिंह जन्म 29 नवंबर 1955 को बागपत के बसौली गांव में हुआ था। वे महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस रह चुके हैं। वे मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने हाईप्रोफाइल नौकरी को दो वर्ष पूर्व ही अलविदा कह वीआरएस ले लिया। उसके बाद भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने 2014 में बागपत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के प्रमुख अजीत सिंह को 2,09,866 वोटों से हराया था।


बागपत लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास

यह क्षेत्र 1957 और 1962 के चुनावों में सरधना लोकसभा क्षेत्र में आता था। 1957 में यहां से प्रसिद्ध क्रांतिकारी विष्णु चंद्र दुबलिश कांग्रेस के टिकट पर चुने गए थे। उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के पीतम सिंह को हराया था। 1962 में कांग्रेस के कृष्ण चंद्र शर्मा जीते थे, जिन्होंने निर्दलीय रघुवीर सिंह शास्त्री को हराया था। फिर 1967 में निर्दलीय रघुवीर सिंह शास्त्री ने कांग्रेस के कृष्ण चंद्र शर्मा को हराया था। रघुवीर सिंह शास्त्री को कुल 1,54,518 और केसी शर्मा को 66,960 वोट ही मिले थे। 1971 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के रामचंद्र विकल उम्मीदवार बनाए गए। उनके सामने रघुवीर सिंह भारतीय क्रांति दल से उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए, पर हार गए। दोनों के बीच हार का अंतर करीब 1,58,010 वोटों का था। रामचंद्र विकल के प्रयास से 1974 में दिल्ली-सहारनपुर वाया शामली रेल लाइन का निर्माण हुआ था, जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। इस रेल लाइन के चालू होने से न केवल बागपत बल्कि दूसरे जिलों के भी लाखों लोगों का सफर आसान हो गया है। उधर 1971 में ही पड़ोस के मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र में चौधरी चरण सिंह की हार हुई. उन्हें सीपीआई के विजयपाल सिंह ने 50,279 वोट से हराया था। इमरजेंसी के बाद 1977 के चुनाव में चौधरी चरण सिंह मुजफ्फरनगर की जगह बागपत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने चले गए। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के रामचंद्र विकाल पर 1,21,538 से बड़ी जीत दर्ज की। चौधरी चरण सिंह की जीत का सिलसिला यहीं नहीं रुका, वे इसके बाद 1980 और 1984 में भी सांसद चुने गए। 1980 में भी उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार रामचंद्र को हरा दिया। फिर 1984 में उन्होंने कांग्रेस के महेश चंद को दुबारा 85,674 वोटों से हराया था।

चौधरी चरण सिंह के बेटे अजित सिंह की राजनीति में एंट्री

चौधरी चरण सिंह के पुत्र अजित सिंह 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां से जनता दल के प्रत्याशी के रूप में खड़े हुए। 1977 के बाद 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में विरोधी दलों का राष्ट्रीय गठबंधन ‘नेशनल फ्रंट’ के नाम से मैदान में उतरा था। इस मोर्चे को बीजेपी और वाममोर्चे का भी बाहरी समर्थन हासिल था। उस चुनाव में जनता दल के उम्मीदवार अजित सिंह चुनाव जीत गए। उन्होंने कांग्रेस के महेश शर्मा को भारी वोटों के अंतर से हराया था। इसके बाद 1991 में भी उन्होंने जनता दल उम्मीदवार के प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की थी। बता दें कि 1991 के लोकसभा चुनाव में जनता दल से 11 सांसद चुने गए थे। इनमें से आठ एक-एक करके अजित सिंह का साथ छोड़ गए। सिर्फ दो सांसद उनके साथ रह गए थे। अजित ने अपने जनता दल का कांग्रेस में विलय कर दिया। इसके बाद 1996 में वे कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में तीसरी बार सांसद चुने गए। उन्होंने सपा के मुखिया गुर्जर को 1,98,891 वोटों से हराया था।


अजित सिंह का जन्म 12 फरवरी 1939 को हुआ था। उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीएससी करने के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए आईआईटी खड़गपुर चले गए। इसके बाद उन्होंने अमेरिका के इलिनाइस इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से मास्टर ऑफ साइंस किया। दुनिया की प्रतिष्ठित कंपनी IBM में काम करने वाले शुरुआती भारतीयों में से एक थे। अजित सिंह ने करीब 15 साल तक अमेरिका में ही नौकरी की। जब पिता चौधरी चरण सिंह की तबियत खराब रहने लगी तब वे भारत लौट आए।

अजित सिंह का कांग्रेस के साथ सफर

अजित सिंह के कांग्रेस में शामिल होने की बात इलाके के जाट समुदाय के चौधरियों को पसंद नहीं आई. उन्होंने अजित सिंह पर दबाव बनाया कि वे अपनी अलग पहचान बनाए रखें। इसी बीच विधानसभा के चुनाव आ गए। टिकट के बंटवारे पर अजित की कांग्रेस से भी खटपट हुई और कुछ महीनों के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत की मदद से नई भारतीय किसान कामगार पार्टी बनाई। कांग्रेस छोड़ने के साथ ही उनकी लोकसभा की सदस्यता भी चली गई। इस वजह से 1997 में इस बागपत लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। अजित सिंह भारतीय किसान कामगार पार्टी (भाकिकापा) के टिकट पर यह उपचुनाव जीत गए। उधर केंद्रीय राजनीति में लगातार चल रहे बदलाव के कारण 1998 में फिर लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें पहली बार बागपत से बीजेपी को सफलता मिली। बीजेपी के टिकट पर सोमपाल सिंह शास्त्री ने अजित सिंह को हरा दिया। बता दें कि इस चुनाव में अजित सिंह भारतीय किसान कामगार पार्टी (भाकिकापा) के प्रत्याशी के रूप में उतरे थे। सोमपाल सिंह शास्त्री ने उनको 44,706 वोटों से हराया था।

अजित सिंह ने रालोद किया गठन

अजित सिंह ने 1998 में चुनान हारने के बाद भारतीय किसान कामगार पार्टी (भाकिकापा) का साथ छोड़ दिया। उन्होंने राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के नाम से अपनी पार्टी को फिर से संगठित किया, जिसे इन दिनों उनके पुत्र जयंत चौधरी संचालित कर रहे हैं। अजित सिंह 1999 में रालोद के टिकट पर बागपत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ें और बीजेपी के सोमपाल शास्त्री को 1,54,419 वोटों से हरा दिया। बता दें कि सोमपाल शास्त्री को हराना उनके लिए शानदार जीत थी, क्योंकि एक साल पहले ही वे सोमपाल से चुनाव हार गए थे. अजित सिंह 1999 के बाद 2004 और 2009 में भी इस सीट से चुनाव जीते। लेकिन उनकी यह विजय-यात्रा 2014 में रुक गई। लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी ने फिर से यहां से बाजी मारी। बीजेपी ने सत्यपाल सिंह को यहां से उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने उसे दूसरी बार इस सीट पर जीत दिलाई। उस चुनाव में सपा के गुलाम मुहम्मद दूसरे और अजित सिंह तीसरे स्थान पर रहे। चौधरी अजित सिंह का 6 मई 2021 को निधन हो गया।

चौधरी चरण सिंह की विरासत पर छाये असमंजस के बादल

चौधरी अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी इस सीट पर 2019 के चुनाव में उतरे। लेकिन उनको इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। बीजेपी के सत्यपाल सिंह फिर यहां से चुनाव जीत गए। जयंत चौधरी काफी छोटे अंतर से यह चुनाव हारे थे। लेकिन इस हार के बाद चौधरी चरण सिंह की विरासत पर असमंजस के बादल छाए रहे। इस बार उन्होंने बीजेपी के साथ गठबंधन किया है, पर रालोद के लिए दो सीटें ही छोड़ी गई हैं।


अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य हैं। जयंत का जन्म अमेरिका के डलास, टेक्सास में 27 दिसंबर 1978 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री वेंकटेश्वर कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद 2002 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से अकाउंटिंग और फाइनेंस में मास्टर डिग्री प्राप्त की। जयंत की शादी चारु सिंह से हुई है और उनके दो बच्चे हैं।

बागपत लोकसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण

बागपत लोकसभा सीट पर मुस्लिम मतदाता की संख्या 3,50,000 है। उनके बाद जाट मतदाता की संख्या 4,00,00 हैं तो गुर्जर और राजपूत भी करीब 1,00,000 से अधिक हैं। इस सीट पर ब्राह्मण त्यागी करीब 1,50,000 हैं। वहीं 1,50,000 दलित और 50,000 यादव मतदाता हैं। इसके अलावा पिछड़े और अन्य पिछड़े मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है।

बागपत लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद

  • कांग्रेस से विष्णु चंद्र दुबलिश 1957 में हुए लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से कृष्ण चंद्र शर्मा 1962 में हुए लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • निर्दल रघुवीर सिंह शस्त्री 1967 में हुए लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से रामचंद्र विकल 1971 में हुए लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से चौधरी चरण सिंह 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी-एस से चौधरी चरण सिंह 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • लोकतांत्रिक क्रांति दल से चौधरी चरण सिंह 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से अजित सिंह 1989 और 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से अजित सिंह 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भारतीय किसान कामगार पार्टी से अजित सिंह 1997 में हुए लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से सोमपाल शास्त्री 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • राष्ट्रीय लोक दल से अजित सिंह 1999, 2004 और 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से डॉ सत्यपाल सिंह 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।


\
Sandip Kumar Mishra

Sandip Kumar Mishra

Content Writer

Sandip kumar writes research and data-oriented stories on UP Politics and Election. He previously worked at Prabhat Khabar And Dainik Bhaskar Organisation.

Next Story