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Loksabha Election 2024: बाराबंकी लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस में होगी कांटे की टक्कर, जानें समीकरण
Barabanki Loksabha Seat Constituency Details: इस सीट पर भाजपा ने पूर्व विधायक व वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष राजरानी रावत पर दांव लगाया है। जबकि कांग्रेस के दिग्गज नेता पीएल पुनिया के पुत्र तनुज पुनिया चुनावी रण में उतरें हैं।
Lok Sabha Election 2024: राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी भगवान बराह के पुनर्जन्म की धरती माना जाता है। इसे पूर्वांचल का प्रवेश द्वार कहते हैं। बाराबंकी लोकसभा सीट प्रदेश की उन सीटों में शामिल है, जहां पर कभी किसी सियासी दल का कब्जा नहीं रहा है। फिलहाल इस सीट अभी भाजपा का कब्जा है। भाजपा सुरक्षित बाराबंकी लोकसभा सीट पर चेहरा बदलकर जीत की हैट्रिक लगाने की जुगत में लगी हुई है। भाजपा ने पहले वर्तमान सांसद उपेंद्र सिंह रावत को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन उनका कथित अश्लील विडियो सामने आने के बाद उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। तब भाजपा ने पूर्व विधायक व वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष राजरानी रावत पर दांव लगाया है। जबकि कांग्रेस के दिग्गज नेता पीएल पुनिया के पुत्र तनुज पुनिया अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए चौथी बार चुनावी रण में उतरें हैं। वहीं बसपा ने शिवकुमार दोहरे को उम्मीदवार बनाया है। इस बार यहां लड़ाई त्रिकोणीय देखने को मिल रही है।
अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो भाजपा के उपेंद्र सिंह रावत ने और सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे राम सागर रावत को 1,09,970 वोट से हराकर यह सीट दुबारा भाजपा के खाते में डाली थी। इस चुनाव में उपेंद्र सिंह रावत को 5,35,594 और राम सागर रावत को 4,25,624 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार रहे दिग्गज नेता पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया के खाते में 159,611 वोट आए थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान भाजपा की प्रियंका सिंह रावत ने कांग्रेस के दिग्गज नेता पीएल पुनिया को 2,11,878 वोट से हराकर इस सीट पर करीब एक दशक बाद कमल खिलाया था। इस चुनाव में प्रियंका सिंह रावत को 4,54,214 और पीएल पुनिया को 2,42,336 वोट मिले थे। जबकि बसपा के कमला प्रसाद रावत को 1,67,150 और सपा के राजरानी रावत को 1,59,284 वोट मिले थे।
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Barabank Lok Sabha Chunav 2014 Details
यहां जानें बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र के बारे में (Barabanki Loksabha Seat Details in Hindi)
- बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 53 है।
- यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था।
- इस लोकसभा क्षेत्र का गठन बाराबंकी जिले के कुर्सी, जैदपुर, रामनगर, हैदरगढ़ और बाराबंकी सदर विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
- बाराबंकी लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों में से 2 पर भाजपा और 3 पर सपा का कब्जा है।
- यहां कुल 18,16,830 मतदाता हैं। जिनमें से 8,46,712 पुरुष और 9,70,063 महिला मतदाता हैं।
- बाराबंकी लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 11,55,708 यानी 63.61 प्रतिशत मतदान हुआ था।
बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास (Barabanki Loksabha Seats Political History)
बाराबंकी शहर कई साधुओं-संतों की तपस्यास्थली रही है। शहर का नाम बाराबंकी कैसे पड़ा, इस पर कई कथाएं प्रचलित हैं। कहते हैं कि यह भगवान बराह के पुनर्जन्म की पावन धरती है। इस वजह से इस शहर को बानह्न्या के रूप में जाना जाने लगा, जो आगे चलकर बाराबंकी हो गया। 1858 तक जिले का मुख्यालय दरियाबाद हुआ करता था, लेकिन 1859 में इसे नवाबगंज में स्थानांतरित कर दिया गया था, जो बाराबंकी का दूसरा चर्चित नाम भी है। यह धरती साहित्यिक बुद्धिजीवियों की साधना स्थली और स्वतंत्रता सेनानियों के लिए युद्धक्षेत्र रही है। कांवड़ियों की तीर्थयात्रा का स्थान महादेवा, महाभारत का कुरुक्षेत्र पारिजात वृक्ष और महाभारत युग के कुछ अंश भी यहां मौजूद हैं। बाराबंकी में देवा शरीफ की प्रसिद्ध दरगाह भी है। बाराबंकी के मशहूर शायर खुमार बाराबंकवी का मशहूर शेर है- ‘जा शौक से लेकिन पलट आने के लिए जा, हम देर तलक खुद को संभाले न रहेंगे’। बाराबंकी का सियासी मिजाज भी कुछ ऐसा ही है। यहां की जनता ने निर्दलीय से लेकर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नुमाइंदों को चुना है। पूरे देश में ज्यादातर सीटों पर लंबे समय तक कांग्रेस का कब्जा रहा, लेकिन यहां की जनता ने 1957 के उपचुनाव में ही निर्दलीय उम्मीदवार को जिता दिया था। हालांकि, सबसे ज्यादा पांच बार यहां से कांग्रेस को जीत हासिल हुई है। उसके बाद तीन बार भाजपा प्रत्याशी जीते हैं। यह समाजवाद का गढ़ रहा है, लेकिन पार्टियों के नाम बदलते रहे।
1957 के चुनाव में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार राम सेवक यादव बने थे सांसद
आजादी के बाद 1952 में हुए पहले चुनाव में यहां कांग्रेस के मोहनलाल सक्सेना सांसद बने। वह लेखक थे और संविधान सभा के सदस्य भी। 1957 में हुए चुनाव में कांग्रेस के स्वामी रामानंद शास्त्री जीते लेकिन कुछ ही दिन बाद यहां उपचुनाव हुआ और उसमें समाजवादी नेता राम सेवक यादव ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। वह डॉ. राम मनोहर लोहिया के साथी थे। उन्होंने 1962 में डॉ. लोहिया की सोशलिस्ट पार्टी से और फिर 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उसके बाद 1971 में कांग्रेस ने वापसी की और रुद्र प्रताप सिंह सांसद बने। इमरजेंसी के बाद यहां से दो बार 1977 और 1980 में जनता पार्टी के राम किंकर संसद पहुंचे। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में फिर कांग्रेस को जीत मिली। कमला प्रसाद रावत सांसद बने। 1989 में राम सागर रावत यहां से जनता दल के टिकट पर चुनाव जीते। वह 1991 में समाजवादी जनता पार्टी और फिर 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीते। बाराबंकी लोकसभा सीट पर 1998 में बैजनाथ रावत ने भाजपा का खाता खोला, लेकिन अगले ही साल 1999 में हुए चुनाव में फिर सपा के राम सागर रावत जीत गए। 2004 में बसपा के कमला प्रसाद रावत जीते। उसके बाद 2009 में कांग्रेस ने पीएल पुनिया को टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल की थी।
बाराबंकी लोकसभा सीट के चुनावी मुद्दें
बाराबंकी जिले की अर्थव्यवस्था खेती पर आधारित है। लंबे समय तक अफीम की खेती से पहचान रखने वाले इस जिले में कई फसलें होती हैं। कई किसान तो साल में पांच फसलें उगाते हैं। अनाज, दालें, गन्ना और फल और सब्जियों की भी खेती होती है। यहां खेती से जुड़े उद्योग और व्यवसाय भी रहे, लेकिन अब वे दम तोड़ रहे हैं। यहां दो इंडस्ट्रियल और चार मिनी इंडस्ट्रियल एरिया हैं। अब इनमें कई फैक्ट्रियों में ताला पड़ चुका है। सरकारी क्षेत्र की एकमात्र कताई मिल बंद हो चुकी है। हस्तशिल्प और हथकरगा उद्योग भी यहां की पहचान रहे। रेयान और सूती धागा, स्कार्फ, शॉल, स्टोल, रुमाल उत्पादन खूब होता है, लेकिन इनमें काम करने वाले कारीगरों का जीवन स्तर नहीं उठ पा रहा। आम और सब्जियों का निर्यात होता है, लेकिन बहुत कम मात्रा में। अफीम के बाद बाराबंकी ने मेंथा की खेती में पहचान बनाई लेकिन फैक्ट्रियां बद हो जाने से अब किसानों को अच्छे दाम नहीं मिल पा रहे। ये मुद्दे चुनावों में उठते भी हैं। बुनकरों का जीवन स्तर उठाने की बात राजनीतिक दल करते हैं, लेकिन चुनाव बाद भूल जाते हैं। किसान अपने उत्पाद बेचने के लिए परेशान हैं। यहां खेती भी है, संसाधन भी और उत्पादन भी लेकिन बाजार मुहैया करवाने की कोशिशें नहीं हुईं।
बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण
बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो सुरक्षित सीट होने के कारण यहां दलित वोटों का बंटवारा तय है, लेकिन उम्मीदवारों की कोशिश होती है कि वह कितनी अन्य जातियों को जोड़ सकते हैं। पिछड़ों में कई जातियां हैं, लेकिन यादव और कुर्मी मतदाता काफी हैं। इस सूरत में मुस्लिम मतदाता काफी निर्णायक हो जाते हैं। नतीजे इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि मुस्लिम वोट एकमुश्कत पड़ता है या फिर उसका बंटवारा होता है।
बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद (Barabanki MP List in Hindi)
- कांग्रेस से मोहनलाल सक्सेना 1952 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से स्वामी रामानंद शास्त्री 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- निर्दल राम सेवक यादव 1957 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए।
- सोशलिस्ट पार्टी से राम सेवक यादव 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से राम सेवक यादव 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से रूद्र प्रताप सिंह 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता पार्टी से राम किंकर 1977 और 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से कमला प्रसाद रावत 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता दल से राम सागर रावत 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता पार्टी से राम सागर रावत 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- सपा से राम सागर रावत 1996 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से बैजनाथ रावत 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- सपा से राम सागर रावत 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- बसपा से कमला प्रसाद रावत 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से पीएल पुनिया 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से प्रियंका सिंह रावत 2014 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
- भाजपा से उपेन्द्र सिंह रावत 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।