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Lok Sabha Election: पाटलिपुत्र में मीसा भारती की इस बार भी राह आसान नहीं, हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटे हैं राम कृपाल
Lok Sabha Election 2024: भाजपा की ओर से इस बार फिर रामकृपाल यादव को इस लोकसभा सीट पर चुनाव मैदान में उतारा, राजद की ओर से मीसा भारती तीसरी बार उनसे भिड़ने के लिए मैदान में उतरी।
Lok Sabha Election 2024: बिहार के लोकसभा चुनाव में दो सीटों पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव ने इस बार अपनी दो बेटियों को चुनाव मैदान में उतारा है। उनकी बड़ी बेटी मीसा भारती पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरी हैं जबकि दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य सारण में अपनी किस्मत आजमा रही हैं। पाटलिपुत्र लोकसभा सीट की सियासी जंग मीसा भारती के लिए आसान नहीं मानी जा रही है।
भाजपा प्रत्याशी रामकृपाल यादव ने 2014 और 2019 से दोनों चुनावों में इस क्षेत्र में उन्हें पटखनी दी धी। भाजपा की ओर से इस बार फिर रामकृपाल यादव को इस लोकसभा सीट पर चुनाव मैदान में उतारा गया है जबकि राजद की ओर से मीसा भारती तीसरी बार उनसे भिड़ने के लिए मैदान में उतरी हैं। पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर इस बार मीसा को जीत दिलाने के लिए राजद ने पूरी ताकत लगा रखी है मगर फिर भी उनकी मुश्किलों का अंत होता नहीं दिख रहा है। ऐसे में रामकृपाल यादव के हैट्रिक रोकना लालू कुनबे के लिए आसान नहीं होगा।
पाटलिपुत्र लोकसभा सीट का स्वरूप
पाटलिपुत्र लोकसभा की सीट 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी। इससे पहले पटना के लिए केवल एक लोकसभा सीट थी। परिसीमन के बाद पटना को दी सीटों में बांटा गया। एक पाटलिपुत्र और दूसरा पटना साहिब। 2008 के परिसीमन से तीन लोकसभा क्षेत्रों से लेकर पाटलिपुत्र लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बनाया गया था।
इस लोकसभा क्षेत्र में जहानाबाद से मसौढ़ी,आरा से पालीगंज एवं मनेर तथा पटना लोकसभा क्षेत्र से फुलवारी, दानापुर व बिक्रम विधानसभा क्षेत्रों को शामिल कर नया नाम दिया गया था। 2009 के लोकसभा चुनाव से ही इस सीट पर एनडीए का कब्जा रहा है और विपक्षी दलों को करारी शिकस्त मिलती रही है।
2009 के चुनाव में हार गए थे लालू यादव
पाटलिपुत्र लोकसभा सीट के इतिहास की बात की जाए तो 2009 में इस सीट पर हुए पहले चुनाव में राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव खुद चुनावी अखाड़े में उतरे थे। उस चुनाव में एनडीए की ओर से जदयू ने रंजन प्रसाद यादव को चुनावी अखाड़े में उतारा था।
राजद की ओर से पूरी ताकत लगाए जाने के बावजूद रंजन ने लालू को इस चुनाव में पटखनी दे दी थी। उल्लेखनीय बात यह है कि रंजन यादव को किसी जमाने में लाल का काफी ग़रीबी माना जाता था।
2014 और 2019 में मीसा को मिली हार
2014 के लोकसभा चुनाव में रामकृपाल यादव राजद के टिकट के दावेदार थे मगर पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। ऐसे में रामकृपाल यादव भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे। दूसरी ओर राजद ने लालू की बड़ी बेटी मीसा भारती को चुनाव मैदान में उतारा था मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी दोनों उम्मीदवारों का आमना-सामना हुआ मगर मीसा भारती 2014 की अपनी हार का बदला नहीं ले सकी। उल्टे एक और हार उनके खाते में दर्ज हो गई।
रामकृपाल यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी लालू की बेटी मीसा को शिकस्त देकर अपनी ताकत दिखाई थी। अब 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी इन्हीं दोनों उम्मीदवारों के बीच मुकाबला हो रहा है और इस बार भी मीसा भारती की सियासी मुश्किलें बढ़ी हुई दिख रही हैं।
पाटलिपुत्र क्षेत्र का जातीय समीकरण
पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात की जाए तो यहां पर यादव मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। दोनों प्रमुख दलों की ओर से यादव उम्मीदवार उतारे जाने के कारण इस वोट बैंक में पहले की तरह ही इस बार भी बंटवारा होना तय माना जा रहा है। यादव मतदाताओं के बाद सवर्ण वोटर आते हैं जिसमें भूमिहार मतदाता, वैश्य, राजपूत आदि हैं। सवर्ण मतदाताओं में भाजपा अपनी मजबूत पकड़ दिखाती रही है। कुशवाहा, कुर्मी और मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका भी क्षेत्र में महत्वपूर्ण मानी जाती है।
वैसे अगर विधानसभा सीटों के हिसाब से देखा जाए तो महागठबंधन ज्यादा मजबूत स्थिति में नजर आता है। दानापुर और मनेर से राजद कोटा के विधायक हैं जबकि पालीगंज, फुलवारी और मसौढ़ी से भाकपा माले पार्टी के विधायक और विक्रम विधानसभा से कांग्रेस के विधायक हैं। यही कारण है कि इस बार राजद उम्मीदवार मीसा भारती को क्षेत्र से जीत की उम्मीदें दिख रही हैं।
राम कृपाल को इसलिए अपनी जीत का भरोसा
पाटलिपुत्र के मौजूदा सांसद और इस बार प्रत्याशी बनकर फिर चुनाव मैदान में उतरे राम कृपाल यादव का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश और पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में विकास के तमाम काम हुए हैं। उनका कहना है कि मैंने हमेशा क्षेत्र की जनता की समस्याओं को लेकर संघर्ष किया है और इन समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया है।
वे विभिन्न ट्रेनों के ठहराव, बिहटा-औरंगाबाद रेल लाइन के निर्माण और क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछाए जाने को अपनी बड़ी उपलब्धि बताते हैं। उनका कहना है कि मैं हमेशा क्षेत्र की जनता के बीच सक्रिय रहा हूं और इसलिए मुझे लोगों का समर्थन हासिल होने का पूरा भरोसा है।
मीसा भारती उठा रही हैं स्थानीय मुद्दे
दूसरी ओर राजद उम्मीदवार मीसा भारती की ओर से महंगाई, बेरोजगारी, पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में विकास कार्यों की अनदेखी, नीतीश कुमार की ओर से बार-बार पाला बदल और भाजपा की ओर से युवाओं के समस्याओं को न सुलझाने के मुद्दे जोर-शोर से उठाए जा रहे हैं।
उनका कहना है कि क्षेत्र के लोग तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं और मैं क्षेत्र के लोगों को इन समस्याओं से निजात दिलाने के लिए चुनाव मैदान में उतरी हूं। वे भी क्षेत्र वासियों का समर्थन हासिल होने का भरोसा जताती हैं। उनका कहना है कि तेजस्वी यादव ने युवाओं को नौकरी दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई है और क्षेत्र के युवा उन्हें इस कारण पूरा समर्थन दे रहे हैं।
राम कृपाल इस बार भी दिख रहे मजबूत
सियासी जानकारों का मानना है कि राजद की ओर से पूरी ताकत लगाए जाने के बावजूद भाजपा उम्मीदवार राम कृपाल यादव मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि सांसद राम कृपाल हमेशा क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं और उनकी यह सक्रियता उनके लिए वरदान साबित हो सकती है। जानकारों का कहना है कि 2014 और 2019 का चुनाव हारने के बाद मीसा भारती की क्षेत्र में सक्रियता बिल्कुल नहीं रही है और वे लालू की बिटिया होने के कारण एक बार फिर टिकट हासिल करके चुनाव मैदान में उतरी हैं।
यही कारण है कि उनके लिए पिछली दो हारों का बदला लेना इस बार भी मुश्किल साबित हो सकता है। पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में सातवें चरण में एक जून को मतदान होने वाला है और ऐसे में प्रचार के आखिरी दिनों में दोनों प्रत्याशियों ने पूरी ताकत झोंक रखी है।