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क्या अपनी मां की हार का बदला ले पाएंगी रोहिणी, रूडी को हराना लालू के लिए बना नाक का सवाल
Lok Sabha Election 2024: लालू प्रसाद यादव खुद रूडी को दो लोकसभा चुनाव में हरा चुके हैं मगर 2014 के लोकसभा चुनाव में रूडी ने राबड़ी देवी को पटखनी देकर अपनी हार का बदला ले लिया था।
Lok Sabha Election 2024: बिहार के लोकसभा चुनाव में इस बार राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव के लिए सारण लोकसभा सीट प्रतिष्ठा की जंग बन गई है। सारण में जीत के जरिए लालू अपनी बेटी रोहिणी आचार्य की शानदार लॉन्चिंग करना चाहते हैं मगर भाजपा उम्मीदवार राजीव प्रताप रूडी के खिलाफ यह जंग आसान नहीं मानी जा रही है।
लालू प्रसाद यादव खुद रूडी को इस क्षेत्र में दो लोकसभा चुनाव में हरा चुके हैं मगर 2014 के लोकसभा चुनाव में रूडी ने लालू की पत्नी राबड़ी देवी को पटखनी देकर अपनी हार का बदला ले लिया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में रूडी ने लालू के समधी चंद्रिका राय को शिकस्त दी थी। ऐसे में सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में रोहिणी आचार्य इस लोकसभा क्षेत्र में अपनी मां राबड़ी देवी की हार का बदला ले पाएंगी या नहीं।
सारण सीट से रोहिणी की सियासी लॉन्चिंग
अपने पिता लालू यादव को किडनी देकर रोहिणी आचार्य बिहार में चर्चा का विषय बनी थीं। पटना के गांधी मैदान में पिछले दिनों हुई विपक्ष की महारैली के दौरान लालू प्रसाद यादव ने भीड़ से रोहिणी आचार्य का परिचय कराया था। अब सोनपुर के हरिहरनाथ मंदिर में दर्शन के बाद लालू यादव ने रोहिणी को सारण के सियासी मैदान में उतार दिया है।
सारण लोकसभा क्षेत्र पर रूडी की मजबूत पकड़ मानी जाती है और वे इस क्षेत्र में चार बार चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे में लालू कुनबे की ओर से इस बार पूरी ताकत लगाने की तैयारी है ताकि 2014 में राबड़ी देवी को मिली हार का बदला लिया जा सके।
रूडी को दो बार हरा चुके हैं लालू यादव
छपरा लोकसभा सीट को परिसीमन के बाद सारण के नाम से जाना जाता है। छपरा लोकसभा सीट से ही 1977 में पहली बार 29 साल की उम्र में लालू यादव सांसद बने थे। बाद में उन्होंने कई बार इस सीट से चुनाव जीता। अब उन्होंने अपने इस गढ़ से अपनी बेटी को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया है।
लालू यादव का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट से रूडी ने 1996 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। हालांकि 1998 के चुनाव में उन्हें राजद के हीरालाल राय के सामने हार का सामना करना पड़ा था। 1999 में रूडी ने फिर इस सीट पर जीत हासिल करके अपनी ताकत दिखाई थी।
2004 के लोकसभा चुनाव में लालू यादव खुद इस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए उतरे और उन्होंने रूडी को 60,000 वोटों से हरा दिया था। 2009 के चुनाव में भी बाजी लालू के ही हाथ में रही और उन्होंने रूडी को हराकर संसद का सफर तय किया था।
राबड़ी को हराकर रूडी ने लिया था बदला
बाद में चारा घोटाले में दोषी करार दिए जाने के बाद लालू यादव के चुनाव लड़ने पर रोक लग गई तो उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी पत्नी राबड़ी देवी को चुनाव मैदान में उतारा मगर रूडी ने उन्हें हराकर लालू कुनबे को करारा झटका दिया। लालू यादव के प्रचार की कमान संभालने और राजद नेताओं की फौज उतारने के बावजूद राबड़ी देवी को करीब 41 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।
2019 के लोकसभा चुनाव में लालू यादव ने इस लोकसभा क्षेत्र में अपने समधी चंद्रिका राय को चुनाव मैदान में उतारा था। राजद की ओर से पूरी ताकत लगाए जाने के बावजूद रूडी ने लालू यादव के समधी चंद्रिका राय को करीब एक लाख 38 हजार वोटों से हराया था। इस तरह लालू यादव रूडी को दो बार हराने में जरूर कामयाब रहे मगर उनके कुनबे का कोई सदस्य या रिश्तेदार रूडी को नहीं हरा सका।
चार बार लालू तो चार बार जीते रूडी
मजे की बात यह है कि सारण (पहले छपरा) लोकसभा सीट से लालू यादव और रूडी दोनों चार-चार बार चुनाव जीत चुके हैं। लालू यादव ने 1977,1989, 2004 और 2009 में इस लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया जबकि रूडी ने 1996, 1999, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की।
अब एक बार फिर रूडी का इस चुनाव क्षेत्र में मुकाबला लाल कुनबे से ही हो रहा है। रोहिणी आचार्य का पहला चुनाव होने के कारण राजद मुखिया लालू यादव अपनी बेटी की शानदार लॉन्चिंग
करना चाहते हैं जबकि दूसरी ओर रूडी ने भी कमर कस रखी है।
लालू कुनबे के लिए आसान नहीं होगी जंग
ऐसे में रोहिणी आचार्य के लिए यह सियासी जंग आसान नहीं मानी जा रही है। यह तो तय है कि आने वाले दिनों में लालू कुनबा इस लोकसभा क्षेत्र में अपनी पूरी ताकत लगाएगा मगर दूसरी ओर भाजपा की ओर से भी आक्रामक चुनाव अभियान की तैयारी है।
रोहिणी आचार्य और रूडी के मुकाबले के कारण सारण सीट बिहार में चर्चा का विषय बनी हुई है। चर्चा इस बात की भी हो रही है कि रोहिणी आचार्य अपनी मां की हार का बदला ले पाएंगी या नहीं। अब यह देखने वाली बात होगी की चुनावी बाजी जीतने में कौन कामयाब होता है।