Loksabha Election 2024: बिजनौर लोकसभा सीट पर मायावती, मीरा कुमार और रामविलास पासवान लड़ चुके हैं चुनाव, जानें यहां का समीकरण

Loksabha Election 2024 Bijnor Seats Details: बिजनौर लोकसभा सीट पर एनडीए के सहयोगी रालोद ने चंदन चौहान को और सपा ने यशवीर सिंह को मैदान उतारा है। वहीं बसपा ने चौधरी विजेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है।

Sandip Kumar Mishra
Published on: 8 April 2024 1:31 PM GMT (Updated on: 14 May 2024 1:41 PM GMT)
Loksabha Election 2024: बिजनौर लोकसभा सीट पर मायावती, मीरा कुमार और रामविलास पासवान लड़ चुके हैं चुनाव, जानें यहां का समीकरण
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Loksabha Election 2024: देश की राजधानी दिल्ली से 183 किमी की दूरी पर स्थित बिजनौर जिले का सियासी गलियारों में एक अहम स्थान है। इस धरा से देश के जाने माने दिग्गजों ने अपने सियासी जीवन की शुरुआत की है। जिनमें उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा प्रमुख मायावती, पूर्व उपप्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार और लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया रामविलास पासवान सरीखे दिग्गज शामिल हैं। बिजनौर लोकसभा सीट पर एनडीए के सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने चंदन चौहान को उम्मीदवार बनाया है। जबकि इंडिया गठबंधन के तहत सपा ने यशवीर सिंह को मैदान उतारा है। वहीं बसपा ने चौधरी विजेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है। सभी राजनीतक दल हर बार की तरह इस बार भी मुस्लिम और दलित मतदाताओं को साधने में जुटे हुए हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में राष्ट्रीय लोक दल (रालोद), सपा और बसपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे मलूक नागर ने भाजपा के कुँवर भारतेन्द्र सिंह को 69,941 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में मलूक नागर को 5,56,556 और कुँवर भारतेन्द्र सिंह 4,86,362 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के नसीमुद्दीन सिद्दीकी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। उनको महज 25,833 वोट से संतोष करना पड़ा था।

वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में यहां का मतदान मुजफ्फरनगर दंगे के बाद ध्रुवीकरण की लहर में हुआ और भाजपा के उम्मीदवार कुँवर भारतेन्द्र सिंह ने सपा के शाहनवाज राणा को 2,05,774 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में कुँवर भारतेन्द्र सिंह को 4,86,913 और शाहनवाज राणा को 2,81,139 वोट मिले थे। जबकि बसपा के मलूक नागर को 2,30,124 और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के जया प्रदा को 24,348 वोट मिले थे। बिजनौर लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 04 है। इसमें वर्तमान में 5 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इस लोकसभा क्षेत्र का गठन मुजफ्फरनगर जिले के पुरकाजी व मीरापुर, बिजनौर जिले के चांदपुर व बिजनौर और मेरठ जिले के हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है। फिलहाल इन 5 सीटों से 2 पर भाजपा, 2 पर राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) और 1 पर सपा के विधायक हैं। यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था। यहां कुल 16,64,125 मतदाता हैं। जिनमें से 7,68,340 पुरुष और 8,95,705 महिला मतदाता हैं। बता दें कि बिजनौर लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 11,01,966 यानी 66.22 प्रतिशत मतदान हुआ था।

बिजनौर लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास

मां गंगा नदी के तट पर स्थित बिजनौर शहर के बारे में मान्यता है कि जिस राजा भरत के नाम पर इस देश का नाम 'भारत' पड़ा, उनके पिता दुष्यंत और माता शकुंतला की मुलाकात यही हुई थी। सत्ता का हिस्सा होते हुए भी संत सा जीवन जीने और वैद्य की दवा जैसी खरी सलाह देने वाले विदुर का भी इस शहर से नाता था। इसके अलावा अकबर के नवरत्न शामिल अबुल फजल और फैजी दोनों यहीं पले-बढ़े थे। विरासत में विविधता के इस गुण को यहां की सियासत ने भी आत्मसात किया। शायद यही वजह है कि बिजनौर ने निर्दल चेहरा रहा हो या दल सबको संसद जाने का मौका दिया है। देश में हुए पहले दो चुनाव में बिजनौर लोकसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। लेकिन 1962 में यहां के मतदाता निर्दलीय उतरे आर्य समाज के प्रचारक प्रकाश वीर शास्त्री पर रीझ गए और उन्हें सांसद चुन लिया। परिसीमन के बाद 1967 में यह लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हो गई। कांग्रेस का फिर कब्जा हुआ, जिसे इमरजेंसी के बाद 1977 के चुनाव में जनता पार्टी की लहर में बिजनौर की जनता ने हटा दिया। फिर 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस के चौधरी गिरधारी लाल यहां से सांसद बने। कुछ दिनों बाद उनका निधन हुआ और बिजनौर लोकसभा सीट पर उपचुनाव की घंटी बज गई।


पक्ष-विपक्ष दोनों ने ही इस चुनाव को प्रतिष्ठा का विषय बना लिया। कांग्रेस सीट बरकरार रखकर लहर बने रहने का संदेश देना चाहती थी और विपक्ष इसे जीतकर यह दिखाना चाहता था कि 1984 की जीत केवल सहानुभूति के भरोसे थी। उपचुनाव में कांग्रेस ने यहां से उम्मीदवार बनाया पूर्व उपप्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार को। वह भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी का पद छोड़कर आई थीं। उनके सामने लोकदल ने हाजीपुर से 1977 और 1980 में सांसद रहे रामविलास पासवान को उतारा, जिन्होंने 1977 में सबसे बड़े अंतर से जीत का रेकॉर्ड बनाया था। कांशीराम की अगुआई में दलितों की गोलबंदी का दौर शुरू हो चुका था और बसपा अस्तित्व में आ गई थी। बसपा से यहां उम्मीदवार बनीं मायावती। नजदीकी मुकाबले में मीरा कुमार करीब 5300 वोटों से ही रामविलास से चुनाव जीत पाईं। मायावती ने 61,504 वोट हासिल कर दिखा दिया कि भविष्य की सियासत का एक दमदार चेहरा तैयार हो रहा है। ये तीनों चेहरे राष्ट्रीय सियासत में सितारे बनकर उभरे।

1989 में मायावती यहां से चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचीं

मीरा कुमार इसके बाद सासाराम लौट गईं और रामविलास हाजीपुर। मायावती 1989 के जनादेश के लिए फिर यहां आईं और जनता ने उनको संसद पहुंचा दिया। हालांकि, 1991 में देश में चल रहे रामलहर में भाजपा के मंगल राम प्रेमी ने मायावती को करारी मात दी। इसके बाद मायावती ने यहां से लोकसभा चुनाव में कभी दावेदारी नहीं की। 1996 और 1999 में यहां फिर भाजपा को जीत मिली, जबकि 1998 में सपा का पहली बार खाता खुला। राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) को 2004 में पहली बार इस सीट पर जीत मिली। लोकसभा क्षेत्रों के नए परिसीमन के बाद 2009 में बिजनौर की सीट अनारक्षित हो गई। इससे यहां समीकरण बदल गए। इस सीट पर करीब चार दशक तक सुरक्षित होने के नाते दावेदारी नहीं हो सकती थी तो 2009 में वोटों के बिखराव ने मौका छीन लिया। भाजपा-राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) गठबंधन से संजय सिंह चौहान चुनाव लड़े तो बसपा ने शाहिद सिद्दीकी को उम्मीदवार बनाकर दलित-मुस्लिम समीकरण पर नजर गड़ाई। कांग्रेस के सैदुज्जमा मैदान में थे। लड़ाई भाजपा और बसपा के बीच हुई और 28,430 वोट से जीत राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) को मिली। कांग्रेस को करीब 85,000 वोट मिले और शाहिद सिद्दीकी की राह बंद हो गई।

बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण

बिजनौर लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर 25 प्रतिशत से अधिक मतदाता मुस्लिम हैं। करीब 3,00,000 दलित समाज के मतदाता हैं। इस लोकसभा सीट के तहत आने वाली पांच विधानसभा सीटों में दो सुरक्षित हैं। यहां करीब 1,00,000 गुर्जर मतदाता हैं तो जाटों, राजपूतों की भी संख्या प्रभावी है। संख्या के लिहाज से इस सीट से मुस्लिम मतदाता किंगमेकर हैं, लेकिन 1957 के बाद किसी मुस्लिम चेहरे को नुमाइंदगी का मौका नहीं मिला है। बता दें कि एनडीए के सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने गुर्जर बिरादरी से चंदन चौहान को उम्मीदवार बनाया है। चंदन मीरापुर से विधायक हैं, जो इसी लोकसभा सीट का हिस्सा हैं। सामाजिक समीकरणों के साथ ही गैर-मुस्लिम ध्रुवीकरण और विपक्ष में वोटों के बिखराव की संभावनाओं पर रालोद अपनी गणित सजा रही है। जबकि सपा की नजर यहां के मुस्लिम मतदाताओं के साथ पिछड़ों को साधने पर है तो बसपा की उम्मीद अपने कोर दलित वोटों के साथ दूसरों को जोड़ने पर टिकी है।

बिजनौर लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद

  • कांग्रेस से स्वामी रामानंद शास्त्री 1952 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से अब्दुल लतीफ़ गांधी 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • निर्दल से प्रकाश वीर शास्त्री 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से स्वामी रामानंद शास्त्री 1967 और 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से राम दयाल 1974 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से माही लाल 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी (सेक्युलर)से मंगल राम प्रेमी 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से चौधरी गिरधारी लाल 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से मीरा कुमार 1985 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • बसपा से सुश्री मायावती 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • भाजपा से मंगल राम प्रेमी 1991 और 1996 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से ओमवती देवी 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से शीश राम सिंह रवि 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) से मुंशीराम सिंह 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) से संजय सिंह चौहान 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से भारतेन्द्र सिंह 2014 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • बसपा से मलूक नागर 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
Sandip Kumar Mishra

Sandip Kumar Mishra

Content Writer

Sandip kumar writes research and data-oriented stories on UP Politics and Election. He previously worked at Prabhat Khabar And Dainik Bhaskar Organisation.

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