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Lakhimpur Kheri: तिकुनिया कांड के बाद टेनी के लिए हैट्रिक लगाना बड़ी चुनौती, सपा-बसपा ने कर रखी है मजबूत घेराबंदी

Lok Sabha Election 2024: इस बार के लोकसभा चुनाव में अजय मिश्र टेनी का टिकट सवालों के घेरे में था। उनका टिकट कटने की आशंका जताई जा रही थी ।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 2 May 2024 10:58 AM IST
Ajay Mishra Teni
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Ajay Mishra Teni  (photo: social media )

Lok Sabha Election 2024: किसान आंदोलन के दौरान देश-दुनिया में चर्चित हुए तिकुनिया कांड के बाद लखीमपुर खीरी सीट पर हो रहे लोकसभा चुनाव पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। तिकुनिया कांड की आंच के बावजूद भाजपा ने इस लोकसभा सीट पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को चुनाव मैदान में उतार दिया है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद टेनी इस बार हैट्रिक लगाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। टेनी की घेरेबंदी करने के लिए सपा और बसपा ने जातीय समीकरण का ध्यान रखते हुए मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं।

कुर्मी वोट बैंक को साधने के लिए समाजवादी पार्टी ने कुर्मी बिरादरी के उत्कर्ष वर्मा को टिकट दिया है तो दूसरी ओर सिख मतदाताओं का समीकरण साधने के लिए बसपा ने सिख बिरादरी के अंशय कालरा को चुनाव मैदान में उतार दिया है। किसान आंदोलन के दौरान लखीमपुर खीरी सबसे ज्यादा चर्चा में रहा और ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि सपा और भाजपा की घेरेबंदी के बावजूद टेनी यहां पर कमल खिलाने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं। लखीमपुर खीरी में चौथे चरण में 13 मई को मतदान होने वाला है।

लखीमपुर खीरी सीट का जातीय समीकरण

इस बार के लोकसभा चुनाव में अजय मिश्र टेनी का टिकट सवालों के घेरे में था। उनका टिकट कटने की आशंका जताई जा रही थी मगर भाजपा ने जातीय समीकरण साधने के लिए टेनी को तीसरी बार लखीमपुर के सियासी अखाड़े में उतारा है। यह सीट ब्राह्मण व कर्मी बहुल है। माना जा रहा है कि इसी कारण भाजपा टेनी का टिकट काटने का जोखिम नहीं उठा सकी। इस इलाके में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या करीब तीन लाख बताई जाती है।

वैसे कुर्मी और अन्य ओबीसी मतदाताओं का रुख चुनाव का फैसला करने में निर्णायक माना जाता है। कुर्मी और ओबीसी मतदाताओं की संख्या करीब सात लाख है। दलित, मुस्लिम और सिख मतदाता भी चुनाव को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। इस इलाके में करीब पौने तीन लाख मुस्लिम, ढाई लाख दलित और करीब एक लाख सिख मतदाता भी प्रत्याशियों की किस्मत लिखने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।


किसान संगठनों के दबाव पर भी इस्तीफा नहीं

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी ने पहली बार 2012 के विधानसभा चुनाव में निघासन सीट पर जीत हासिल की थी। इसके बाद पार्टी ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें मौका दिया और दोनों मौकों पर वे कमल खिलाने में कामयाब रहे।

बाद में 2021 में उन्हें केंद्रीय गृह राज्यमंत्री बनाया गया था। बाद में तिकुनिया कांड में उनके बेटे का नाम सामने आने के बाद किसान संगठनों ने उनके इस्तीफे के लिए देशव्यापी दबाव बनाया था मगर वे अपने पद पर बने रहे।


कुर्मी उम्मीदवार के जरिए टेनी की घेराबंदी

क्षेत्र में कुर्मी मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने बड़ा सियासी दांव खेला है। उन्होंने कुर्मी बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले उत्कर्ष वर्मा को चुनाव मैदान में उतारकर टेनी को घेरने का प्रयास किया है।

उत्कर्ष वर्मा की कुर्मी बिरादरी के साथ ही मुस्लिम मतदाताओं पर भी अच्छी पकड़ मानी जाती है। इसके साथ ही वे सिख मतदाताओं में भी सेंधमारी करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट के बारे में एक उल्लेखनीय तथ्य यह भी है कि इस सीट पर अभी तक सबसे ज्यादा कुर्मी बिरादरी से जुड़े सांसद चुने गए हैं।


रवि वर्मा का कटे रहना सपा के लिए खतरा

यदि लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट के इतिहास की बात की जाए तो इस सीट पर कांग्रेस नेता बाल गोविंद वर्मा और उषा वर्मा ने लगातार तीन-तीन बार चुनाव जीतने में कामयाबी हासिल की। उनके पुत्र और समाजवादी पार्टी के नेता रवि प्रकाश वर्मा को भी क्षेत्र के मतदाताओं ने लगातार तीन बार सांसद भेजा। रवि वर्मा इस बार अपनी बेटी पूर्वी वर्मा को टिकट दिलाना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने समाजवादी पार्टी से इस्तीफा देकर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी। पूर्वी वर्मा ने सपा के टिकट पर पिछला लोकसभा चुनाव लड़ा था मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

रवि वर्मा को उस समय करारा झटका लगा जब यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में चली गई। इस कारण उनकी बेटी पूर्वी वर्मा की दावेदारी खत्म हो गई। इसे लेकर रवि वर्मा की नाराजगी दिख रही है और गठबंधन प्रत्याशी उत्कर्ष वर्मा को उनकी कोई मदद नहीं मिल रही है। सपा प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार से वे पूरी तरह कटे हुए हैं और इसे उत्कर्ष वर्मा के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है। रवि वर्मा की कुर्मी बिरादरी पर मजबूत पकड़ मानी जाती है और ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि उत्कर्ष वर्मा इस चुनौती का सामना करने में कहां तक कामयाब हो पाते हैं।


टेनी को मोदी और योगी का सहारा

भाजपा का टिकट मिलने के बाद टेनी क्षेत्र में जोरदार तरीके से चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। वे अपनी जनसभाओं के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जमकर गुणगान कर रहे हैं। वे अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने का प्रमुखता से जिक्र करते हैं और कहते हैं कि मोदी सरकार के कारण ही ऐसा संभव हो सका है। वे विपक्ष की ओर से किए जा रहे हमलों का जवाब देने में भी जुटे हुए हैं।

दूसरी ओर सपा प्रत्याशी उत्कर्ष वर्मा बेरोजगारी, महंगाई, पेपर लीक और गन्ना किसानों के मुद्दे को लेकर भाजपा पर तीखा हमला करने में जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि सरकार की गलत नीतियों के कारण गन्ना किसानों का बकाया फंसा हुआ है। बसपा के अंशय कालरा किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेरने में जुटे हुए हैं। इसके साथ ही वे गरीबों और युवाओं के मुद्दे भी प्रभावी ढंग से उठा रहे हैं।

तिकुनिया कांड के असर की होगी परीक्षा

खीरी लोकसभा सीट पर सबकी निगाहें इसलिए भी लगी हुई हैं कि क्योंकि इस क्षेत्र के चुनाव नतीजे से यह भी पता लगेगा कि तिकुनिया कांड में चार किसानों की मौत का कितना असर हुआ है। क्षेत्र के कई लोगों का कहना है कि तिकुनिया कांड को लेकर अभी भी किसानों के मन में घुसा बना हुआ है। किसानों का यह गुस्सा टेनी के लिए मुसीबत बन सकता है क्योंकि तिकुनिया कांड में उनके बेटे की संलिप्तता उजागर हुई थी।

वैसे इस लोकसभा क्षेत्र के तीन भाजपा विधायक भी टेनी से नाराज बताए जा रहे हैं। पलिया के विधायक रोमी साहनी, गोला गोकर्णनाथ के विधायक अमन गिरी और निघासन के विधायक शशांक वर्मा टेनी की सभाओं से गायब दिख रहे हैं। इन विधायकों की चुनाव प्रचार में कोई सक्रियता नहीं दिख रही है और विधायकों की नाराजगी भी टेनी के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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