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UP Lok Sabha Election: छठे चरण की इन सीटों पर कांटे का मुकाबला, भाजपा और इंडिया गठबंधन की प्रतिष्ठा दांव पर

UP Lok Sabha Election: शनिवार को वोटिंग वाली सभी लोकसभा सीटों पर इस बार भी कांटे का मुकाबला हो रहा है। 14 सीटों पर कुल 162 प्रत्याशी मैदान में हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 24 May 2024 9:38 AM IST
Lok Sabha Election 2024
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अखिलेश यादव, पीएम मोदी, राहुल गांधी  (photo: social media )

UP Lok Sabha Election: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पांच चरण का मतदान पूरा हो गया है जबकि अब शनिवार को होने वाले छठे चरण के मतदान पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। छठे चरण में प्रदेश की 14 लोकसभा सीटों के साथ ही बलरामपुर जिले की गैसंडी विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए मतदान होगा। इन सभी सीटों पर गुरुवार की शाम चुनावी शोर थम चुका है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा इन 14 में से 9 सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी जबकि बसपा ने चार सीटों पर जीत हासिल की थी। समाजवादी पार्टी सिर्फ आजमगढ़ सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी।

शनिवार को वोटिंग वाली सभी लोकसभा सीटों पर इस बार भी कांटे का मुकाबला हो रहा है। इन 14 सीटों पर कुल 162 प्रत्याशी मैदान में हैं जिनमें 146 पुरुष और 16 महिला प्रत्याशी शामिल हैं। इनमें से चार सीटों को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है और इन सीटों पर भाजपा और इंडिया गठबंधन के दिग्गज प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। यही कारण है कि दोनों खेमों ने जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है।

आजमगढ़ लोकसभा सीट

समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाने वाली आजमगढ़ लोकसभा सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने जीत हासिल की थी। 2019 के चुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस सीट पर अपने ताकत दिखाई थी। हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव में करहल सीट से चुनाव जीतने के बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। 2022 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ ने सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को कड़े मुकाबले में हरा दिया था।

इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर दिनेश लाल यादव निरहुआ पर ही भरोसा जताया है जबकि सपा ने फिर धर्मेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतार कर उन्हें उपचुनाव की हार का बदला लेने का बड़ा मौका दिया है।


बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती आजमगढ़ सीट पर तीन बार उम्मीदवार बदला है। मायावती ने आज़मगढ़ सीट पर सबसे पहले पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर पर दांव लगाया था, लेकिन कुछ ही दिनों पर जारी नई सूची में उनका टिकट कट गया। इसके बाद बसपा ने महिला मुस्लिम उम्मीदवार शबीहा अंसारी को टिकट दिया। बाद में मायावती ने फिर बड़ा बदलाव करते हुए अब आजमगढ़ में महमूद आलम पर दांव लगाया है।


मायावती के इस कदम ने मुस्लिम वोट बैंक में बंटवारे का बड़ा खतरा पैदा कर दिया है। मुस्लिम-यादव बहुल इस लोकसभा सीट पर तीनों दलों के बीच दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है। सैफई कुनबे के लिए आजमगढ़ का चुनाव प्रतिष्ठा की जंग माना जा रहा है।

इलाहाबाद लोकसभा सीट

प्रदेश में लोकसभा चुनाव की सियासी जंग में इस बार सबकी निगाहें इलाहाबाद सीट पर भी लगी हुई हैं। इलाहाबाद के चुनावी अखाड़े में इस बार दो सियासी दिग्गजों के बेटों के बीच दिलचस्प मुकाबला हो रहा है। भाजपा इस लोकसभा सीट पर पिछले दो चुनावों से जीत हासिल करती रही है और इस बार पार्टी हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटी हुई है। पार्टी ने इस बार रीता बहुगुणा जोशी का टिकट काटकर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी के बेटे नीरज त्रिपाठी को चुनाव मैदान में उतारा है।


प्रदेश में सपा-कांग्रेस के गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है और कांग्रेस ने इस सीट पर आठ बार विधायक और दो बार सांसद चुने गए कुंवर रेवती रमण सिंह के बेटे उज्जवल रमण सिंह को टिकट देकर नीरज त्रिपाठी की मजबूत घेरेबंदी की है। उज्जवल रमण सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए गत दो अप्रैल को कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी और फिर पार्टी ने उन्हें चुनावी अखाड़े में उतार दिया।

दो सियासी दिग्गजों के बेटों के चुनाव मैदान में उतरने से इलाहाबाद में दिलचस्प मुकाबले की बिसात बिछ गई है। बसपा ने इस लोकसभा क्षेत्र में रमेश पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया है मगर मुख्य रूप से मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही माना जा रहा है।


जौनपुर लोकसभा सीट

पूर्वांचल की सबसे दिलचस्प मुकाबले वाली सीटों में जौनपुर की लोकसभा सीट भी शामिल है। भाजपा ने इस बार इस सीट पर महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह पर दांव लगाया है। जौनपुर के मूल निवासी कृपाशंकर सिंह लंबे समय तक महाराष्ट्र की सियासत में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने इस लोकसभा क्षेत्र में किसी जमाने में बसपा मुखिया मायावती के काफी करीबी माने जाने वाले बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है। हालांकि सपा का एक खेमा कुशवाहा को बाहरी बताते हुए पूरी ताकत के साथ प्रचार में उदासीन बना हुआ है।


इस लोकसभा क्षेत्र में सबसे बड़ा सियासी खेल बसपा मुखिया मायावती ने किया है। पहले उन्होंने बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था मगर नामांकन के आखिरी दिन उनका टिकट कट गया। बसपा के टिकट पर आखिरी दिन मौजूदा सांसद श्याम सिंह यादव ने नामांकन दाखिल किया। श्रीकला के टिकट को लेकर धनंजय सिंह और बसपा ने परस्पर विरोधी बयान दिए थे। धनंजय सिंह का कहना था कि बसपा की ओर से उनकी पत्नी का टिकट काट दिया गया जबकि बसपा का कहना था कि श्रीकला के चुनाव में लड़ने से इनकार करने के बाद मौजूदा सांसद को चुनाव मैदान में उतारा गया।


अपनी पत्नी श्रीकला का टिकट कटने के बाद पूर्व सांसद और बाहुबली नेता धनंजय सिंह ने मौजूदा लोकसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। धनंजय सिंह ने जौनपुर में अपने समर्थकों की बड़ी बैठक बुलाई थी और इस बैठक के दौरान उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को जीत दिलाने का फैसला सुनाया। धनंजय के इस ऐलान के बाद अब जौनपुर लोकसभा सीट का समीकरण पूरी तरह बदल गया है।

धनंजय सिंह के ऐलान से भगवा खेमा काफी खुश नजर आ रहा है क्योंकि क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह के सियासी राह अब आसान मानी जा रही है। दरअसल धनंजय सिंह का जौनपुर से जुड़े हर जाति के मतदाताओं में अच्छा दखल है। इसके साथ ही जौनपुर में क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या करीब दो लाख है और इन मतदाताओं का पूरा समर्थन अब कृपाशंकर सिंह को हासिल होने की उम्मीद जताई जा रही है। ऐसे में धनंजय सिंह का ऐलान बड़ा सियासी असर डालने वाला साबित हो सकता है।

मछलीशहर लोकसभा सीट

जौनपुर के चार विधानसभा क्षेत्रों और वाराणसी के पिंडरा विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर मछलीशहर लोकसभा सीट बनाई गई है और यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस लोकसभा क्षेत्र में पिछले दो चुनावों में भाजपा ने जीत हासिल की है और इस बार पार्टी सीट पर हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटी हुई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर काफी दिलचस्प मुकाबला हुआ था और भाजपा उम्मीदवार बीपी सरोज मात्र 181 मतों से जीतने में कामयाब हुए थे। उन्होंने बसपा प्रत्याशी त्रिभुवन राम को कड़े मुकाबले में हराया था।


2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी के तूफानी सरोज ने जीत हासिल की थी और इस बार सपा ने उनकी अधिवक्ता बेटी प्रिया सरोज को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा ने इस सीट पर पंजाब कैडर के पूर्व आईएएस अफसर कृपा शंकर सरोज को टिकट दिया है।

इस सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने वाले तीनों प्रमुख दलों के प्रत्याशी पासी जाति से ताल्लुक रखने वाले हैं। सपा और बसपा दोनों ने इस सीट पर पूरी ताकत लगा रखी है जबकि पिछले चुनाव में नजदीकी जीत हासिल करने वाले बीपी सरोज भी पूरी मजबूती के साथ मैदान में डटे हुए हैं।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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