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Election 2024 : बृजभूषण का टिकट कटा, कैसरगंज से बेटे करण भूषण को बीजेपी का टिकट, जानिए क्या है समीकरण
Election 2024 : लंबे इंतजार के बाद आखिरकार भारतीय जनता पार्टी ने कैसरगंज लोकसभा सीट पर अपने पत्ते खोल दिए हैं। भाजपा ने इस लोकसभा सीट पर मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काट दिया है, मगर उनके छोटे बेटे करण भूषण सिंह को चुनाव मैदान में उतारकर उन्हें मरहम लगाने का भी प्रयास किया है।
Election 2024 : लंबे इंतजार के बाद आखिरकार भारतीय जनता पार्टी ने कैसरगंज लोकसभा सीट पर अपने पत्ते खोल दिए हैं। भाजपा ने इस लोकसभा सीट पर मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काट दिया है, मगर उनके छोटे बेटे करण भूषण सिंह को चुनाव मैदान में उतारकर उन्हें मरहम लगाने का भी प्रयास किया है। बृजभूषण सिंह का कैसरगंज के साथ ही आसपास की 5-6 लोकसभा सीटों पर भी असर माना जाता रहा है और इसलिए पार्टी उन्हें नाराज करने के जोखिम से बचना चाहती थी। अब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने लंबे मंथन के बाद बृजभूषण के छोटे बेटे और उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष करण भूषण को चुनाव मैदान में उतारने का आधिकारिक ऐलान कर दिया है।
जानकार सूत्रों का कहना है कि बृजभूषण सिंह को भरोसे में लेने के बाद पार्टी की ओर से यह कदम उठाया गया है। पार्टी नेतृत्व ने इस बाबत उनसे पहले ही बातचीत कर ली थी। इस लोकसभा क्षेत्र में कल नामांकन की आखिरी तारीख है। मजे की बात यह है कि अभी तक समाजवादी पार्टी की ओर से भी इस सीट पर अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है। अब भाजपा की ओर से पत्ते खोलने के बाद माना जा रहा है कि सपा भी जल्द ही इस सीट पर अपने उम्मीदवार का ऐलान कर देगी। करण भूषण के चुनाव मैदान में उतरने से इस लोकसभा सीट पर अब रोमांचक मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है।
लंबे समय से बना हुआ था सस्पेंस
बृजभूषण सिंह के बड़े बेटे प्रतीक भूषण भाजपा के विधायक हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर कैसरगंज से करण भूषण सिंह को भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने की जानकारी पहले ही दे दी थी। कैसरगंज लोकसभा सीट को लेकर लंबे समय से सस्पेंस बना हुआ था। सूत्रों के मुताबिक पार्टी हाईकमान ने टिकट के संबंध में बृजभूषण सिंह से फोन पर बातचीत की थी।
इस बातचीत के दौरान हाईकमान की ओर से उनके छोटे बेटे करण भूषण सिंह को पार्टी का टिकट दिए जाने के संबंध में जानकारी दी गई थी। कैसरगंज लोकसभा सीट से बृजभूषण सिंह ने पिछला लोकसभा चुनाव भारी मतों से जीता था मगर इस बार महिला पहलवानों से यौन शोषण के आरोपों के कारण उनका टिकट काटा गया है।
बृजभूषण को भरोसे में लेकर पार्टी का ऐलान
इससे पहले बृजभूषण सिंह कैसरगंज सीट से टिकट की मांग पर अड़े हुए थे। टिकट काटे जाने की चर्चाओं पर उनका कहना था कि आखिरकार मेरी क्या गलती है कि कि मेरा टिकट काटा जा रहा है। वे टिकट की दावेदारी वापस लेने को तैयार नहीं थे मगर बाद में उन्होंने अपने छोटे बेटे करण भूषण को टिकट दिए जाने पर सहमति जाता दी थी। सूत्रों का कहना है कि पार्टी हाईकमान ने दिल्ली में बातचीत के दौरान बृजभूषण को इसके लिए तैयार कर लिया था। बृजभूषण की सहमति के बाद आज पार्टी की ओर से करण भूषण को चुनाव मैदान में उतारे जाने का बड़ा ऐलान कर दिया गया।
आखिर कौन हैं करण भूषण
करण भूषण सिंह उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं। 1990 में पैदा होने वाले करण भूषण को गत फरवरी महीने में उसे उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ का अध्यक्ष चुना गया था। इसके साथ ही वे सहकारी ग्राम विकास बैंक (नवाबगंज,गोंडा) के अध्यक्ष भी हैं। वैसे उन्होंने अभी तक एक बार भी चुनाव नहीं लड़ा है और अब सीधे लोकसभा के चुनावी अखाड़े में उतरने जा रहे हैं।
करण भूषण ने डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से बीबीए और एलएलबी की डिग्री हासिल की है। इसके साथ ही उन्होंने ऑस्ट्रेलिया से बिजनेस मैनेजमेंट का डिप्लोमा भी किया है। अब वे कैसरगंज के चुनावी अखाड़े में अपनी ताकत दिखाएंगे।
पिता के दम पर चुनावी अखाड़े में उतरेगा बेटा
कैसरगंज लोकसभा सीट पर भाजपा ने बृजभूषण सिंह के बेटे करण भूषण को टिकट जरूर दिया है मगर उनका पूरा चुनाव बृजभूषण सिंह के नाम पर ही लड़ा जाएगा। बृजभूषण शरण सिंह की कैसरगंज और आसपास की लोकसभा सीटों पर मजबूत पकड़ मानी जाती रही है और इसके दम पर वे छह बार संसद का चुनाव जीत चुके हैं। कैसरगंज लोकसभा सीट उनकी मजबूत पकड़ को इसी बात से समझा जा सकता है कि उन्होंने पिछले तीन लोकसभा चुनाव में विपक्षी उम्मीदवारों को भारी मतों से हराया है। इसीलिए उन्हें इस बार भी टिकट का सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा था मगर महिला पहलवानों से जुड़ा मामला आड़े आ गया। अब बृजभूषण सिंह के कंधों पर अपने बेटे को संसद में पहुंचाने की बड़ी जिम्मेदारी होगी।
कैसरगंज में बसपा का ब्राह्मण कार्ड
बहुजन समाज पार्टी के मुखिया मायावती ने कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए नरेंद्र पांडेय को चुनाव मैदान में उतारा है। ट्रांसपोर्ट व्यवसायी नरेंद्र पांडेय मूल रूप से बहराइच जिले की पयागपुर विधानसभा सीट के अंतर्गत आने वाले रामनगर खजुरी गांव के रहने वाले हैं। पयागपुर विधानसभा सीट कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत ही आती है।
नरेंद्र पांडेय 2004 से ही बसपा से जुड़े हुए हैं और अब बहन जी ने उन्हें कैसरगंज के चुनावी अखाड़े में उतार दिया है। नरेंद्र पांडेय की उम्मीदवारी के जरिए बसपा ब्राह्मण और दलित वोटों को गोल बंद करना चाहती है।
कैसरगंज लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। दरअसल पार्टी भाजपा उम्मीदवार की घोषणा का इंतजार कर रही थी। माना जा रहा है कि अब पार्टी जल्द ही अपने उम्मीदवार की घोषणा कर देगी।
कैसरगंज का जातीय समीकरण
यदि कैसरगंज के जातीय समीकरण की बात की जाए तो इसे ब्राह्मण बहुल सीट माना जाता रहा है। इस लोकसभा क्षेत्र में करीब 20 फ़ीसदी ब्राह्मण और 18 फ़ीसदी दलित मतदाता हैं। इसीलिए मायावती ने ब्राह्मण कार्ड खेलने की कोशिश की है। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी करीब 18 फ़ीसदी है। इस लोकसभा क्षेत्र में अन्य जातियों की बात की जाए तो 12 फीसदी यादव, 10 फ़ीसदी राजपूत,नौ फीसदी निषाद और सात फ़ीसदी कुर्मी मतदाता हैं। बृजभूषण शरण सिंह अभी तक सभी बिरादरियों में अपनी पकड़ के जरिए जीत हासिल करते रहे हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि वे अपने बेटे के लिए जातीय समीकरण साधने में कहां तक कामयाब हो पाते हैं।