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Election 2024: गुजरात में BJP के सामने पिछला प्रदर्शन दोहराने की बड़ी चुनौती, PM मोदी और शाह के गढ़ में विपक्ष को भी उम्मीदें
Lok Sabha Election 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गढ़ में होने वाली इस सियासी जंग को भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की जंग माना जा रहा है।
Lok Sabha Election 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात में लोकसभा की सभी सीटों पर तीसरे चरण में आज मतदान हो रहा है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गुजरात में क्लीन स्वीप करते हुए कांग्रेस को करारा झटका दिया था। इस बार भाजपा के सामने 2014 और 2019 का प्रदर्शन दोहराने की बड़ी चुनौती है। भाजपा ने चुनाव नतीजे की घोषणा से पूर्व ही सूरत में विपक्ष को करारा झटका देते हुए निर्विरोध जीत हासिल कर ली है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गढ़ में होने वाली इस सियासी जंग को भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की जंग माना जा रहा है। दूसरी ओर विपक्ष ने इस बार भाजपा की कड़ी घेरेबंदी कर रखी है। राज्य में भाजपा को मजबूत चुनौती देने के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने हाथ मिला लिया है। केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला के बयान के बाद क्षत्रियों की नाराजगी राज्य में भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत बनी हुई है। ऐसे में सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई है कि भाजपा विपक्ष की चुनौतियों से निपटने में कहां तक कामयाब हो पाती है।
1984 के बाद हर चुनाव में भाजपा भारी
गुजरात के लोकसभा चुनाव में लंबे समय से भाजपा अपनी ताकत दिखती रही है। 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पैदा हुई सहानुभूति लहर में कांग्रेस ने 24 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि भाजपा के खाते में सिर्फ एक सीट आई थी मगर उसके बाद हर चुनाव में भाजपा कांग्रेस पर भारी पड़ती रही है। यदि हाल के चुनाव की बात की जाए तो 2004 के चुनाव में भाजपा ने राज्य में 14 और 2009 में 15 सीटों पर जीत हासिल की थी। इन दोनों चुनावों में दिल्ली में यूपीए की सरकार बनी थी मगर इसके बावजूद कांग्रेस गुजरात में भाजपा से पीछे गई थी।
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए राज्य की सभी लोकसभा सीटों पर कब्जा कर लिया था। भाजपा ने इस बार भी 400 पार के लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य की सभी सीटों पर जीत का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। पीएम मोदी की अपार लोकप्रियता के दम पर भाजपा को इस लक्ष्य को हासिल कर लेने का पूरा भरोसा है।
विधानसभा चुनाव में मिली थी ऐतिहासिक जीत
वैसे भाजपा का यह भरोसा अनायास नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य में ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। गुजरात के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 156 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बड़ी जीत के कारण पार्टी को पिछले चुनाव की अपेक्षा 57 सीटों का फायदा हुआ था। दूसरी ओर कांग्रेस सिर्फ 17 सीटों पर सिमट गई थी। आम आदमी पार्टी को 5 सीटों पर जीत मिली थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 77 सीटों पर जीत हासिल की थी और इस तरह कांग्रेस को 60 सीटों का बड़ा सियासी नुकसान झेलना पड़ा था।
गुजरात में विधानसभा की 182 सीटें हैं और इनमें 156 सीटों पर जीत हासिल करना भाजपा की ऐतिहासिक उपलब्धि माना गया था। गुजरात के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 1985 में कांग्रेस को मिली सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड भी ध्वस्त कर दिया था। 1985 में माधव सिंह सोलंकी की अगुवाई में कांग्रेस ने 149 सीटों पर जीत हासिल की थी जो गुजरात में किसी भी पार्टी की अब तक की सबसे बड़ी जीत थी मगर भाजपा इससे भी काफी आगे निकल गई थी।
रुपाला के बयान पर क्षत्रिय समाज नाराज
वैसे इस बार के लोकसभा चुनाव में क्षत्रिय समाज की नाराजगी ने भाजपा की चिंता बढ़ा रखी है। केंद्रीय मंत्री और गुजरात की राजकोट लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार पुरुषोत्तम रुपाला के एक विवादित बयान पर क्षत्रिय समाज भड़का हुआ है। क्षत्रिय समाज की नाराजगी को दूर करने के लिए रुपाला माफी मांग चुके हैं मगर क्षत्रिय समाज की नाराजगी अभी तक दूर नहीं हो सकी है। रुपाला ने खुद की गलती की सजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिए जाने पर सवाल भी उठाए हैं। क्षत्रिय समाज की ओर से रुपाला की उम्मीदवारी खारिज करने की मांग की गई थी। हालांकि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इस मांग को खारिज कर दिया था।
दरअसल रुपाला का ताल्लुक पाटीदार समाज से है जिसे भाजपा का कोर वाटर माना जाता रहा है। रुपाला की उम्मीदवारी खारिज करने की स्थिति में भाजपा को पाटीदार बिरादरी के नाराज होने का खतरा महसूस हो रहा था। गुजरात के पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को पाटीदार बिरादरी के साथ ही क्षत्रिय समाज का भी जमकर समर्थन हासिल हुआ था। इस बार भी पाटीदार समाज बीजेपी के साथ मजबूती से खड़ा है मगर क्षत्रिय समाज का रुख देखा जाना बाकी है। पीएम मोदी और गृहमंत्री शाह ने इस दिशा में काम किया है। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि क्षत्रिय समाज किसे समर्थन देता है।
आप-कांग्रेस गठबंधन ने लगाई ताकत
गुजरात में भाजपा की मजबूती स्थिति को देखते हुए कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया है। इस गठबंधन के तहत कांग्रेस 24 और आप दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है। हालांकि कांग्रेस ने एक सीट पर भाजपा को पहले ही वाकओवर दे दिया है। आप के साथ गठबंधन के बाद कांग्रेस को इस बार अपनी पारंपरिक वोट बैंक को मजबूत बनाने की उम्मीद है। वैसे भाजपा और विपक्ष के वोट शेयर में इतना बड़ा अंतर है कि इस खाई को पाटना आसान नहीं माना जा रहा है।
वैसे भाजपा में भी कुछ सीटों पर खींचतान की स्थिति दिखी है। बड़ोदरा में दो बार की संसद रंजन बेन भट्ट ने इस बार टिकट मिलने के बावजूद चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। साबरकांठा में भीकाजी कामा ने भी अपने खिलाफ लगाए गए पोस्टर के बाद यही कदम उठाया। वैसे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने जल्द ही डैमेज कंट्रोल करने में कामयाबी हासिल की है।
पीएम मोदी और शाह की प्रतिष्ठा दांव पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य होने के कारण गुजरात पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं। राज्य में चुनावी शोर थम चुका है और तीसरे चरण में मंगलवार को राज्य की सभी लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होना है। इस राज्य में पीएम मोदी और शाह दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है और यही कारण है कि भाजपा ने साख बचाने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है।
दूसरी ओर विपक्ष भी भाजपा के इस मजबूत किले में सेंधमारी करने की कोशिश में जुटा हुआ है विपक्ष को अपनी इस मुहिम में कहां तक कामयाबी मिल पाएगी, यह 4 जून को घोषित होने वाले नतीजे से ही साफ हो सकेगा।