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Lok Sabha Election 2024: निर्णायक साबित हो सकती है हाथी की दिशा, नये चेहरों पर हो रहा विचार
Lok Sabha Election 2024: पार्टी सूत्रों के अनुसार बसपा सुप्रीमो के पास कुछ नये चेहरों के नाम भी भेजे गए हैं, जिन पर विचार चल रहा है, लेकिन पुराने चेहरे भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
Lok Sabha Election 2024: चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का एलान करने के साथ राजनीतिक रण शुरू हो गया है। भाजपा पहले ही अपने प्रत्याशी का एलान कर चुकी है तो कांग्रेस-सपा गठबंधन प्रत्याशी का एलान दो-तीन दिन के अन्दर होने की संभावना है, लेकिन बसपा खेमे में अभी तक खामोशी है। पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लडऩे वाली बसपा इस बार अकेले मैदान में उतरने का एलान कर चुकी है। ऐसे में बसपा किसे प्रत्याशी बनाती है, इस पर सभी दलों की नजर है। खासकर कांग्रेस-सपा गठबंधन बसपा को मुश्किल में डाल सकता है।
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा--बसपा गठबंधन प्रत्याशी के रूप में श्याम सुंदर सिंह यादव मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें महज 6.32 प्रतिशत मत ही हासिल हुए। गठबंधन के दृष्टिकोण से यह प्रदर्शन काफी निराशाजनक था। यह गठबंधन कांग्रेस प्रत्याशी से करीब 3.50 लाख वोटों से पीछे रह गया था। वर्ष 2014 में जब बसपा ने अकेले चुनाव लड़ा तो वह कांग्रेस प्रत्याशी से करीब 1.25 लाख वोटों से आगे रही थी। यही वजह है कि वर्तमान सपा-कांग्रेस गठबंधन के लिए बसपा प्रत्याशी परेशानी की वजह बन सकती है। गठबंधन ने अभी तक प्रत्याशी का एलान नहीं किया है, पर माना यही जा रहा है कि प्रत्याशी का चयन हो चुका है और बस आधिकारिक एलान होना बाकी है, पर बसपा ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
पार्टी सूत्रों के अनुसार बसपा सुप्रीमो के पास कुछ नये चेहरों के नाम भी भेजे गए हैं, जिन पर विचार चल रहा है, लेकिन पुराने चेहरे भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक पार्टी सबसे बाद में ही अपने प्रत्याशी का एलान गठबंधन प्रत्याशी घोषित होने के बाद ही करेगी। ऐसे में सपा-कांग्रेस गठबंधन बसपा को भाजपा का साथी बताकर घेरने का प्रयास करेगा। इसमें गठबंधन कितना सफल होता है, यह तो समय ही बताएगा। हालांकि बसपा पदाधिकारी मजबूत प्रत्याशी उतारने की बात कहने के साथ ही जीत का दावा कर रहे हैं।
बसपा बुंदेलखंड प्रभारी लालाराम अहिरवार ने कहा प्रत्याशी के तौर पर कई नामों पर विचार चल रहा है। जल्द ही नाम की घोषणा होगी। पार्टी एक मजबूत प्रत्याशी को चुनाव में उतारेगी। कैडर अंदरूनी तौर पर सक्रिय है और अपने प्रत्याशी को जिताने में जी-जान लगा देगा।