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Lok Sabha Election Result 2024: बसपा ने दिखाया बेहतर प्रदर्शन, मुफ्त राशन, बसपा की कमजोरी का भाजपा गठबंधन नहीं उठा पाया फायदा
Lok Sabha Election Result 2024: पूर्व की तरह इस बार भी भाजपा गठबंधन के लोगों को मुफ्त राशन, आवास और बसपा की लीड न करने की कमजोरी का फायदा मिलने का अंदेशा था
Lok Sabha Election Result 2024: जिन बसपा के वोटरों को वर्ष 2014, 2019 के लोकसभा चुनाव और 2017 तथा 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए निर्णायक माना गया। वह वोटर इस बार, बसपा प्रत्याशी के साथ नजर आया। भाजपा गठबंधन को जहां 2019 के चुनाव से लगभग डेढ़ लाख कम मत मिले। वहीं, वहीं, बसपा उम्मीदवार धनेश्वर गौतम ने लगभग पौने तीन लाख वोट हासिल कर, सपा के लिए जीत का रास्ता तैयार करने में बड़ी भूमिका निभाई।
पूर्व की तरह इस बार भी भाजपा गठबंधन के लोगों को मुफ्त राशन, आवास और बसपा की लीड न करने की कमजोरी का फायदा मिलने का अंदेशा था लेकिन राबर्टसगंज सीट पर ऐसा नहीं हुआ। अगड़ों की नाराजगी देख जहां बसपा वोटरों ने अपने पार्टी के प्रत्याशी का साथ दिया। वहीं, अद एस उम्मीदवार रिंकी कोल को जहां लगभग तीन लाख वोट हासिल हुए। वहीं, बसपा कंडीडेट की ओर से अद एस उम्मीदवार को आखिरी राउंड तक चुनौती देने का सिलसिला बना रहा। भाजपा गठबंधन और बसपा के बीच महज पांच से छह हजार वोटों का दिखा अंतर काफी कुछ बयां करता दिखा।
बसपा को परंपरागत वोटरों के साथ अगड़ों के भी मिले वोट
बसपा को जहां दलित समाज से लगभग दो से सवा दो लाख वोट मिलने की उम्मीद थी। वहीं, अगड़ों का साथ मिलने का भरोसा था। अगड़े वोटरों के एक हिस्से ने बसपा का साथ भी दिया लेकिन उससे कहीं, ज्यादा सपा को दिए गए समर्थन और नाराज चल रहे लगभग 15 हजार वोटरों की ओर से नोटा के दबाए गए बटन ने, भाजपा गठबंधन को कभी न भूलने वाला, एक बड़ा सबक दे डाला ।
संगठन से कई का गिर सकता है विकेट
भाजपा के गढ़ में मिली हार को देखते हुए, संगठन से कई का विकेट गिरने का अंदेशा जताया जा रहा है। लोकसभा चुनाव में गत एक जून को पडे वोटों को देखते हुए, भाजपा गठबंधन की हार का अंदेशा जताया जा जा रहा था लेकिन दुद्धी उपचुनाव में भाजपा के कई मंत्रियों, बड़े नेताओं की ओर से हुई डैमेज कंट्रोल की कोशिश और आरएसएस की ओर से बहाए गए पसीने तथा लंबे समय बाद, दुद्धी से बैकवर्ड तबके और आरएसएस पृष्ठभूमि से जुड़े नंदलाल गुप्ता को भाजपा जिलाध्यक्ष की कमान, आरएसएस से जुड़े रहे व्यक्ति को टिकट देने के बावजूद, जिस तरह से हार मिली है, उसने राजनीतिक विश्लेषकों को भी चौंका कर रख दिया है। कहा जा रहा है कि अद एस उम्मीदवार के प्रति दिख रही नाराजगी के साथ ही, प्रचार से जुड़े एक तबके की ओर से जिस तरह से, कई गांवों में लोगों को कथित तौर पर धमकाने की कोशिश की गई, उसने भाजपा संगठन के साथ ही, आरएसएस के लोगों की मेहनत पर पानी फेर दिया।