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Cabinet Meeting 2024: प्रधानमंत्री मोदी का विकसित भारत का रोडमैप और मिशन 400 का लक्ष्य पाने का आत्मविश्वास

Cabinet Meeting 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले दो कार्यकाल की उपलब्धियों को देखते हुए एक बार फिर मोदी सरकार का आना तय

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Newstrack Network
Published on: 5 March 2024 12:37 PM GMT
Cabinet Meeting 2024
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Cabinet Meeting 2024: आगामी लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया प्रारम्भ होने में अब गिनती के दिन बचे हैं,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकसित भारत के रोडमैप के साथ पूरी तरह चुनावी मोड में हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह आश्वस्त हैं कि उनके पिछले दो कार्यकाल की उपलब्धियों को देखते हुए एक बार फिर भी मोदी सरकार का आना तय है।यही कारण है कि उनके नेतृत्व में मंत्रिपरिषद की अंतिम बैठक में 2047 तक विकसित भारत बनाने के विजन पर चर्चा की गयी।इस बैठक में न सिर्फ वर्ष 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने के दृष्टिपत्र पर चर्चा हुई। अपितु मई 2024 में गठित होने वाली नई सरकार के कार्यकाल के पहले सौ दिन के एजेंडे पर भी विचार विमर्श हुआ। कैबिनेट बैठक में प्रधानमंत्री ने जहाँ फिर से सरकार बनने का विश्वास जताया । वहीं उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार के पहले 100 दिन का समय हनीमून पीरियड नही होता।अपितु ठोस कार्य करने का समय होता है। प्रधानमंत्री ने बैठक में अपने सभी मंत्रियों को विवादित बयानबाजी न करने और डीपफेक वीडियो से बचने की सलाह दते हुए कहा कि बोलते समय केवल अपनी सरकारी योजनाओं और उपलब्धियों पर ही फोकस रखें।

तूफ़ानी दौरे पर प्रधानमंत्री, उठाया संदेशखाली का मुद्दा

कैबिनेट की बैठक के बाद प्रधानमंत्री राज्यों के तूफानी चुनावी दौरों पर निकल चुके हैं। वह सभी प्रान्तों में हज़ारों करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास व उद्घाटन करने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आक्रामक तेवर में हैं । जहाँ भी जा रहे हैं वहाँ भ्रष्टाचार, परिवारवाद व घोटालों सहित अनेकानेक मुददों को उठाकर विरोधियों की धार कुंद करने व उन्हें अपने ही राज्य में घेरने का काम रहे हैं।पश्चिम बंगाल के दौरे में अपनी चुनावी जनसभाओं में उन्होंने संदेशखाली का मुद्दा जोरदार ढंग से उठाकर ममता बनर्जी की आवाज को कमजोर करने का सफल प्रयास किया। अब ऐसा लग रहा है कि संदेशखाली बंगाल ही नहीं अपितु संपूर्ण भारत में भी विपक्ष के लिए कठिन समस्या बनने जा रहा है।क्योंकि विपक्ष के एक भी नेता ने मुस्लिम वोट खिसकने के डर से संदेशखाली की घटना की निंदा तक नहीं की। संदेशखाली में हिन्दू महिलाओं के साथ हुई त्रासदी पर विपक्षी दलों के नेताओं की आपराधिक चुप्पी कोई साधारण बात नहीं है। यह वही विपक्ष है जो मणिपुर की घटना पर संसद को ठप कर देता है । हाथरस की एक आपराधिक वारदात के लिए वहां की दौड़ लगा देता है ।,किंतु जब संदेशखाली में शाहजहां शेख व उसके गुर्गे पिछड़ी जाति की हिंदू महिलाओं के साथ निकृष्टतम अमानवीय अपराध करते हैं तब यह लोग चुप्पी साध लेते हैं । क्योंकि शाहजहाँ शेख मुसलमान है और पीड़ित हिंदू महिला समाज उनका वोटबैक नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विरोधी दलों के नेताओं की इसी विकृत राजनीति को पूरे जोर से उठा रहे हैं।

अबकी बार चार सौ पार के लिए हर जतन

आक्रामक चुनावी तैयारियों के बीच भारतीय जनता पार्टी ने अपना 400 पार का मिशन प्राप्त करने के लिए 195 उम्मीदवारों की घोषणा करके विरोधी दलों पर एक मनावैज्ञानिक बढ़त बना ली है।हालांकि बंगाल के आसनसोल से भोजपुरी गायक पवन सिंह ने टिकट वापस कर और दिल्ली में डॉ. हर्षवधन ने राजनीति से सन्यास लेकर भाजपा नेतृत्व को कुछ परेशान जरूर किया है किंतु समय रहते इस प्रकार की छुटपुट घटनाएं घटित हो जाने से फिलहाल भाजपा को मिशन 370 पार और एनडीए 400 पार का मिशन पूरा करने में कोई समस्या नहीं आने जा रही है।भाजपा ने अपने मिशन को पूरा करने के लिए ही समय से पूर्व टिकट वितरण किया है। भाजपा की195 उम्मीदवारों की सूची जारी करने का यह कदम उसके आत्मविश्वास को दर्शाता है क्योंकि उसने उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों में कई सांसदो को दोबारा टिकट दिया है और 34 केंद्रीय मंत्रियों को भी फिर से टिकट मिला है।

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में जहां भाजपा ने अभी केवल 51 उम्मीदवारों की ही घोषणा की है ।वहां रामलहर और मोदी जी की गारंटी के चलते 44 वर्तमान सांसदों को टिकट दिया गया है । वहीं दूसरे दलों से आये कुछ नेताओं को भी टिकट दिया है जिसमें बसपा सांसद रितेश पांडेय का नाम प्रमुख है। भाजपा की पहली सूची में ऐसे कई सांसदों के टिकट काटे भी गये हैं जो किसी कारणवश विवादित रहे और नेतृत्व को परेशान किया। जिन सांसदों का टिकट काटा गया उसमें भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर भी हैं जिन्होंने अपनी बयानबाजी में गोडसे को महिमामंडित करने का प्रयास किया था और विवाद बढ़ जाने के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हस्तक्षेप करना पड़ गया था। वहीं डा. हर्षवर्धन कोविड काल में कुछ कठिन परिस्थितियों का ठीक से प्रबंधन नहीं कर पाये थे। वह राजनीतिक रूप से भी अत्यंत सक्रिय भी नहीं रहे थे। उधर गौतम गंभीर आयर जयंत सिन्हा ने चुनावी राजनीति से अलग रहने की बात कही है।

टिकट वितरण में केवल जिताऊँ नही, सोशल इंजीनियरिंग का रखा ख़्याल

भाजपा के टिकट वितरण से यह साफ हो गया है कि अब केवल उन्ही सांसदों व विधायकों को टिकट मिलेगा जो दल की विचारधारा के प्रति पूरी तरह से समर्पित रहेंगे और सड़क से संसद तक संपूर्ण सक्रियता दिखायेंगे। जिन लोगों को टिकट नहीं मिला या नहीं मिलेगा उसमें से अधिकांश सांसदों ने कई बार पार्टी की विचारधारा के विपरीत जाकर कार्य किया है। अनुशासन तोड़ा है । जिसमें उत्तर प्रदेश से श्रीमती मेनका गांधी और वरुण गांधी सहित ब्रजभूषण शरण सिंह जैसे कद्दावर सांसद शामिल हैं।भारतीय जनता पार्टी ने पहली सूची में 28 महिलाओं, 21 अनुसूचित जाति, 18 अनुसूचित जनजाति, ओबीसी समाज को 57 और 47 युवा उममीदवारों को टिकट दिया गया है। उम्मीदवारों की सूची में दिल्ली में पूर्व विदेश मंत्री दिवंगत नेता सुषमा स्वाराज बेटी बांसुरी स्वराज को चुनाव मैदान में उतारा है जिससे आम आदमी पार्टी के नेता बौखला गये हैं और बयान दे रहे हैं कि बासुरी को टिकट देना भाजपा का परिवारवाद है । जबकि वास्तविकता यह है कि बांसुरी एक बहुत ही मेहनती व कर्मठ नेता हैं और अपनी माता के निधन के बाद ही राजनीति में सक्रिय हुई हैं, वह सुप्रीम कोर्ट में काफी दिनों से वकालत कर रही हैं।

काम आयेगी मोदी की गारंटी

भारतीय जनता पार्टी का फैलाव अब समाज के प्रत्येक वर्ग में हो चुका है तथा पार्टी में नये प्रयोग करने का साहस भी आ चुका है। भाजपा ने जब लोकसभा चुनाव के लिए पहले दौर का सर्वे कराया था तब अनेक संसदों का टिकट कटने की आशंका व्यक्त की जा रही थी । उसके बाद मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान सहित पांच राज्यों में चुनाव में मोदी की गारंटी का नारा दिया गया जिसके अच्छे परिणाम सामने आये। राशन से लेकर आवास, सड़क से सुरक्षा और रोजगार से इलाज तक मोदी की गारंटी के नाम पर उत्तर से दक्षिण तक और पूरब से पश्चिम तक युवाओं, महिलाओं, किसानों और गरीबों को साधने का प्रयास प्रारम्भ हुआ। अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की भव्य प्राण प्रतिष्ठा के बाद संपूर्ण भारत में रामलहर चल रही है। तीसरे दौर में हर घर में राम लहर और मोदी की गारंटी का आभास हो गया । इसी बीच संपूर्ण भारत में विकसित भारत यात्रा हर गांव -हर शहर में चली और गांव परिक्रमा जैसे अभियानों का वृहद संचालन किया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी इस बार हारी हुई सीटों पर लगातार मंथन कर रही है, कार्य कर रही है और प्रधानमंत्री मोदी की जनसभाएं आयोजित की जा रही है।आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनके नेतृत्व में संपूर्ण भाजपा एकजुट होकर सही समय में टिकट वितरण कार्य समाप्त करके अपना चुनाव अभियान तेज कर रही है और मिशन 400 पार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास प्रारम्भ कर चुकी है जिसमें उसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व समस्त हिंदू संगठनों का पूरा समर्थन मिल रहा है। इस बीच आया सरसंघचालक डॉ. मोहन भगवात जी का वक्तव्य इस दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है । उन्होंने कहा है कि अनुकूल पस्थितियों में विश्राम करने वाला हार जाता है जबकि अपनी गति बढ़ाकर कार्य करने वाले को विजयश्री मिलती है। स्वाभाविक है यह सन्देश स्वयंसेवकों को चुनाव में सक्रिय करने के लिए है।


Shalini singh

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