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Loksabha Election 2024: चंदौली लोकसभा सीट पर महेंद्रनाथ पांडेय तोड़ पाएंगे आनंदरत्न मौर्य का रिकॉर्ड? जानें सियासी बिसात
Loksabha Election 2024 Chandauli Seats Details: भाजपा ने यहां से जीत की हैट्रिक लगाने के लिए एकबार फिर अपने पुराने सिपाही डॉ.महेंद्रनाथ पांडेय पर दाव लगाया है। जबकि सपा ने वीरेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है।
Loksabha Election 2024: चंदौली लोकसभा सीट के सियासी हवा को आज तक कोई राजनीतिक दल ठीक से समझ नहीं पाया है। यहां की जनता कब किसके पाले में चली जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है। यहां किसी चुनाव में जाति तो किसी में राष्ट्रीय मुद्दे हावी रहते हैं। चंदौली की जनता ने कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा समेत सभी पार्टियों के प्रत्याशियों को मौका दिया है। चंदौली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांसदीय क्षेत्र वाराणसी के पड़ोस में स्थित है। इसलिए यहां का वर्तमान सियासी माहौल भी भगवामय है।
वाराणसी की तरह ही यहां पिछले दो बार से भाजपा के सांसद हैं। अब भाजपा ने यहां जीत की हैट्रिक लगाने के लिए एकबार फिर अपने पुराने सिपाही गाजीपुर के निवासी डॉ.महेंद्रनाथ पांडेय पर ही दाव लगाया है। जबकि इंडिया गठबंधन की वजह से समाजवादी पार्टी ने वाराणसी के वीरेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है। इन दोनों में कोई भी जीते । लेकिन वह चंदौली जिले का मूल निवासी नहीं होगा। चंदौली में लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस का उम्मीदवार मैदान में न होने से भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर होगी।
लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा के डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय जहां 4,14,135 वोट पाकर 1,56,756 वोटों से जीते थे। वहीं 2019 के चुनाव में महेद्र नाथ पांडेय 5,10,733 वोट पाने के बाद भी केवल 13,959 वोटों से ही जीत हासिल कर पाए थे। जबकि सपा बसपा गठबंधन के उम्मीदवार संजय सिंह चौहान को 4,96,774 वोट मिले थे। वहीं सुभासपा के रामगोविंद ने 18,985 वोट झटक लिए थे। इससे पहले 2014 के चुनाव में भाजपा के डॉ. महेंद्रनाथ पांडे को 4,14,135 वोट मिले थे। बसपा के अनिल कुमार मौर्य को 2,57,379 और सपा के रामकिशुन को 2,04, 145 वोट मिल सके थे। कांग्रेस के तरूणेन्द्र चंद पटेल को 27,194 वोट हासिल हुए थे। चंदौली लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 76 है।
इसमें वर्तमान में 5 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इस लोकसभा क्षेत्र का गठन चंदौली जिले की मुगलसराय, सकलडीहा और सैयदराजा के अलावा वाराणसी जिले के अजगरा व शिवपुर विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है। फिलहाल इन 5 में से 4 सीटों पर भाजपा और 1 पर समाजवादी पार्टी के विधायक हैं। यह लोकसभा क्षेत्र सुलतानपुर से अलग होकर 1952 में अस्तित्व में आया था। यहां कुल 17,56,837 मतदाता हैं। जिनमें से 7,95,388 पुरुष और 9,61,337 महिला मतदाता हैं। बता दें कि चंदौली लोकसभा सीट पर हुए चुनाव में कुल 10,86,193 यानी 61.83 प्रतिशत मतदान हुआ था।
यहां जानें सपा उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह के बारे में
सपा उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह मूल रूप से वाराणसी जिले के चिरईगांव निवासी हैं। इससे पहले वीरेंद्र सिंह कांग्रेस, बसपा और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर चुके हैं। वीरेंद्र सिंह ने चिरईगांव विधानसभा सीट से 1996 में अपना राजनीतिक कैरियर की शुरूआत की थी। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी। 2003 में चिरईगांव विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उन्होंने बसपा के टिकट पर जीत हासिल की और दोबारा विधानसभा में पहुंचे। बसपा का साथ छूटने के बाद उन्होंने सपा का दामन थामा और पार्टी की ओर से लगातार कार्य करने लगे। जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश के दिग्गज कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के प्रयासों से 2012 में उन्होंने एक बार फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए। हालांकि 2012 चुनाव के बाद उन्होंने एक बार फिर कांग्रेस छोड़ दी और 2017 में फिर से बसपा का दामन थाम लिया। उन्हें बसपा रास नहीं आई और वह फिर से समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। बीते नगर निकाय चुनाव के पहले सपा ने वीरेंद्र सिंह को राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी सौंपी थी।
चंदौली लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास
यूपी-बिहार की सीमा पर स्थित चंदौली लोकसभा सीट अपने राजनीतिक इतिहास कि वजह से हमेशा सुर्खिंयों में रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांसदीय क्षेत्र वाराणसी के पड़ोस में स्थित चंदौली लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। शुरुआती पांच चुनाव में यहां कांग्रेस पार्टी जीती थी। तब कांग्रेस को समाजवाद के पुरोधा कहे जाने वाले डॉ.राम मनोहर लोहिया भी शिकस्त नहीं दे पाए थे। 1952 व 1957 के चुनाव में डॉ. राममनोहर लोहिया को कांग्रेस के त्रिभुवन नारायण सिंह के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। त्रिभुवन नारायण सिंह 1970-71 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और बाद में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रहे। 1962 के चुनाव में कांग्रेस के बालकृष्ण सिंह जीते। 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के निहाल सिंह सांसद चुने गए। 1971 में कांग्रेस ने वापसी की और सुधाकर पांडेय सांसद बने। इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में यहां भी बदलाव दिखाई दिया। जनता पार्टी के नरसिंह यादव को जीत मिली। 1980 में जनता पार्टी के निहाल सिंह सांसद बने। 1984 में कांग्रेस की चंद्रा त्रिपाठी और 1989 में जनता दल के कैलाशनाथ सिंह सांसद चुने गए। 1991, 1996 और 1998 लगातार तीन बाद भाजपा के आनंदरत्न मौर्य को यहां से जीत मिली। 1999 में सपा के जवाहरलाल जायसवाल और 2004 में बसपा के कैलाशनाथ सिंह यादव जीते। 2009 में सपा के रामकिशुन यादव को जीत मिली। पिछले दो चुनावों 2014 और 2019 में भाजपा के डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय जीते और केंद्र में मंत्री भी बने। यहां करीब-करीब सभी राजनीतिक दल जिसमें कांग्रेस पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, जनता दल, भाजपा, सपा और बसपा ने जीत दर्ज की है। चंदौली लोकसभा सीट पर कांग्रेस भाजपा पांच बार जीत दर्ज करने में कामयाब रहे हैं।
चंदौली लोकसभा में जातीय समीकरण
चंदौली लोकसभा सीट के जातीय समीकरणों की बात करें तो यहां पर सबसे अधिक यादव मतदाताओं की भागीदारी है, जिनकी संख्या करीब 2,75,000 है। इनके अलावा दलित मतदाता भी 2,60,000 के पार है। पिछड़ी जाति में आने वाले मोर्या की आबादी 1,75,000 है। जबकि राजपूत, ब्राह्मण, राजभर और मुस्लिम मतदाता भी करीब 1,00,000 से अधिक हैं। यहां मुख्य रूप से यादव और दलित मतदाता ही किसी भी प्रत्याशी की हार जीत में अहम भूमिका निभाते हैं।
चंदौली लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद
- कांग्रेस से त्रिभुवन नारायण सिंह 1952 और 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- सोशलिस्ट पार्टी से प्रभु नारायण सिंह 1959 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से बालकृष्ण सिंह 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- सोशलिस्ट पार्टी से निहाल सिंह 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से सुधाकर पांडेय 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता पार्टी से नरसिंह यादव 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता पार्टी से निहाल सिंह 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता पार्टी से चंद्रा त्रिपाठी 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता दल से कैलाश नाथ यादव 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से आनंद रत्न मौर्य 1991,1996 और 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- सपा से जवाहर लाल जयसवाल 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- बसपा से कैलाश नाथ यादव 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- सपा से रामकिशुन यादव 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।