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चुनाव की बातें : चिराग पासवान के सामने पिता की विरासत बचाने की चुनौती
Loksabha Election 2024: कोरोना वायरस के कारण रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद पासवान समुदाय के लोगों ने चिराग को अपना नेता मान लिया है।
Loksabha Election 2024: राम विलास पासवान 1977 में हाजीपुर से 4 लाख से अधिक वोटों के रिकॉर्ड अंतर से लोकसभा में पहुंचे थे। उन्होंने नौ बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। किसी जमाने में क्षेत्र में साइकिल से घूमने वाले रामविलास के संघर्ष को लोग याद करते हैं।
अब रामविलास पासवान के बेटे चिराग को पिता की विरासत आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी है।चिराग 2014 और 2019 में जमुई सीट से लोकसभा सांसद चुने गए थे। उन्होंने अपने पिता की कर्मभूमि मानते हुए इस बार हाजीपुर को चुना। जूनियर पासवान का मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के शिवचंद्र राम से है। राजापाकर से दो बार विधायक और पूर्व राज्य मंत्री शिवचंद्र ने 2019 में चुनाव लड़ा, लेकिन 'मोदी लहर' के कारण पशुपति कुमार पारस से हार गए। शिवचंद्र को लालू प्रसाद का करीबी माना जाता है।
पिता से पहचान
हाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र के ग्रामीण मतदाताओं के लिए भले ही चिराग नए हों, लेकिन लोग उनके पिता से अच्छी तरह परिचित हैं। लोगों का कहना है कि रामविलास ने हाजीपुर के विकास के लिए बहुत कुछ किया। उनकी पहल पर पूर्व-मध्य रेलवे के एक जोनल कार्यालय के अलावा कई औद्योगिक इकाइयाँ और प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किए गए। वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए हमेशा सुलभ थे। कोरोना वायरस के कारण रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद पासवान समुदाय के लोगों ने चिराग को अपना नेता मान लिया है।
चाचा और भतीजा
चिराग और उनके चाचा हाजीपुर के मौजूदा सांसद पारस के बीच प्रतिद्वंद्विता है। 2019 में रामविलास के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस चुने गए और बाद में उन्हें मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया। दोनों को एनडीए में जगह बनाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है। पहले तो पारस हाजीपुर से चुनाव लड़ने पर अड़े थे और उन्होंने मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन भाजपा के कुछ शीर्ष नेताओं के हस्तक्षेप के बाद उन्हें सीट छोड़नी पड़ी। हालाँकि, वह अपने भतीजे के नामांकन के अवसर पर आयोजित औपचारिक सभा में शामिल नहीं हुए।
मुन्ना शुक्ला फैक्टर
एनडीए के साथ अपनी पार्टी के गठबंधन के साथ चिराग को सवर्ण समुदायों से वोट मिलने की उम्मीद है। हालांकि, मुन्ना शुक्ला फैक्टर के कारण ऊंची जाति के भूमिहार वोट बंट सकते हैं। आपराधिक पृष्ठभूमि वाले एक प्रभावशाली भूमिहार विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला पड़ोसी क्षेत्र वैशाली से राजद के उम्मीदवार हैं।माना जा रहा है कि हाजीपुर में मुन्ना शुक्ला के प्रभाव के कारण भूमिहार मतदाताओं का एक वर्ग राजद उम्मीदवार का समर्थन कर सकता है।
वैसे, राजद प्रत्याशी शिवचंद्र राम का कहना है कि वह "हाजीपुर के बेटे" हैं और उन्हें इसका फायदा मिलेगा। उनका दावा है कि जब वो 2015 में महागठबंधन सरकार में मंत्री थे तब इस निर्वाचन क्षेत्र में कई विकास कार्य किए। शिवचंद्र राम रविदास समुदाय से आते हैं। उनका कहना है कि वह न केवल अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं, बल्कि एक विशेष परिवार के प्रभुत्व' को समाप्त करके इतिहास भी बनाएंगे।
क्षेत्र का समीकरण
- हाजीपुर में लगभग 19.5 लाख मतदाता हैं, जिनमें 10.22 लाख पुरुष और 9.26 लाख महिलाएं शामिल हैं।
- जातीय समीकरण के हिसाब से हाजीपुर में करीब तीन लाख पासवान मतदाता हैं। यहां यादव और राजपूत समुदाय के लगभग 3-3 लाख मतदाता हैं।
- इसके अलावा दो लाख मुस्लिम, एक लाख भूमिहार, डेढ़ लाख कुशवाहा, 80,000 ब्राह्मण, 50,000 कुर्मी और दलित-महादलित और तीन लाख से अधिक अन्य मतदाता हैं।
- हाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं: हाजीपुर, महुआ, लालगंज, महनार, राघोपुर और राजापाकर। 2020 के विधानसभा चुनाव में उनमें से चार महागठबंधन में और दो एनडीए के खाते में चले गए।
- हाजीपुर बिहार का 16वां सबसे अधिक आबादी वाला शहर है, इसके अलावा यह पटना के बाद दूसरा सबसे तेजी से विकसित होने वाला शहर भी है। यह गंडक नदी के पास, गंगा के संगम के उत्तर में स्थित है।