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UP Loksabha Election: रायबरेली की सियासी जंग भी राहुल के लिए नहीं होगी आसान, लगातार बढ़ रहा BJP का वोट शेयर
UP Loksabha Election: पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में सिर्फ इसी सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब हो सकी थी। ऐसे में राहुल गांधी इस बार उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के इस आखिरी दुर्ग को बचाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं।
UP Loksabha Election: लंबे इंतजार के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने बड़ा फैसला लेते हुए राहुल गांधी को रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार दिया है। पार्टी की ओर से अमेठी लोकसभा सीट पर गांधी परिवार के पुराने वफादार किशोरी लाल शर्मा को टिकट दिया गया है। इन दोनों प्रत्याशियों ने आज आखिरी दिन अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया है। राहुल गांधी की उम्मीदवारी के कारण अब सबकी निगाहें रायबरेली लोकसभा सीट पर लगी हुई हैं।
पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में सिर्फ इसी सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब हो सकी थी। ऐसे में राहुल गांधी इस बार उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के इस आखिरी दुर्ग को बचाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। रायबरेली को गांधी परिवार की परंपरागत सीट माना जाता रहा है मगर इस लोकसभा सीट पर राहुल की सियासी राह उतनी आसान नहीं है,जितनी मानी जा रही है। दरअसल पिछले चुनावों को देखा जाए तो भाजपा के वोट शेयर में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है जबकि कांग्रेस का वोट शेयर घट रहा है। यही कारण है कि रायबरेली सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है।
गांधी परिवार का गढ़ मानी जाती है रायबरेली सीट
रायबरेली लोकसभा सीट को गांधी परिवार का गढ़ यूं ही नहीं माना जाता। इस लोकसभा सीट से फिरोज गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी संसद का सफर तय किया था। 2004 से 2019 तक सोनिया गांधी ने लगातार इस सीट से जीत हासिल की। वैसे अब वे लोकसभा चुनाव से दूरी बनाते हुए राजस्थान से राज्यसभा की सदस्य बन चुकी हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी सीट पर राहुल गांधी की हार के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का यह आखिरी दुर्ग बचा हुआ है। इस बार के चुनाव में इस दुर्ग को भाजपा की जीत से बचाने की जिम्मेदारी अब राहुल गांधी के कंधों पर आ गई है।
पिछले चुनाव में कांग्रेस को मिली थी टक्कर
भाजपा ने भी लंबे इंतजार के बाद गुरुवार को इस लोकसभा सीट पर दिनेश प्रताप सिंह को चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान किया था। योगी सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने 2019 की जंग में इस लोकसभा क्षेत्र में सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की दिग्गज उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दी थी।
वैसे रायबरेली लोकसभा सीट के पिछले चार चुनावों के आंकड़े को देखा जाए तो यह बात उजागर होती है कि दिनेश प्रताप सिंह इस बार राहुल गांधी को भी घेरने से नहीं चूकेंगे। इस लोकसभा क्षेत्र में राहुल गांधी की सियासी राह उतनी आसान नहीं होगी,जितनी आमतौर पर मानी जा रही है।
2014 से बढ़ गई भाजपा की ताकत
रायबरेली लोकसभा सीट के बारे में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इस सीट पर भाजपा के वोट प्रतिशत में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है जबकि कांग्रेस का वोट शेयर लगातार गिर रहा है। यदि 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव को देखा जाए तो रायबरेली लोकसभा क्षेत्र में सपा और बसपा प्रत्याशियों ने ही कांग्रेस की सोनिया गांधी को थोड़ी बहुत टक्कर दी थी मगर 2014 के लोकसभा चुनाव से यह ट्रेंड बदल चुका है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी को भाजपा से ही चुनौती मिली थी और भाजपा दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी थी।
सपा-बसपा को पीछे छोड़ भाजपा ने दी चुनौती
2014 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी को 63.80 फीसदी वोट हासिल हुए थे। भाजपा ने सोनिया के खिलाफ इस चुनाव में 21.05 फ़ीसदी वोट हासिल किए थे। दूसरी ओर सपा-बसपा समेत सभी अन्य दलों को सिर्फ 15.15 फीसदी वोट ही मिले थे। ऐसे में भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ अन्य दलों को पीछे छोड़ दिया था।
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अमेठी का किला तो फतह कर लिया था मगर रायबरेली का दुर्ग जीतने में पार्टी कामयाब नहीं हो सकी थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी और भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था। इस चुनाव में सोनिया गांधी ने जीत तो जरुर हासिल की थी मगर कांग्रेस के वोट प्रतिशत में गिरावट दर्ज की गई थी जबकि भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ गया था।
भाजपा का वोट शेयर बढ़ा,कांग्रेस का घटा
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सोनिया गांधी ने 55.80 फीसदी वोट हासिल करते हुए भाजपा को हराया था। दूसरी ओर भाजपा को इस चुनाव में 38.36 फीसदी वोट मिले थे। 2014 के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के वोट शेयर में 17.31 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी जबकि दूसरी ओर कांग्रेस के वोट शेयर में करीब आठ फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी।
इस बार के लोकसभा चुनाव में रायबरेली से नामांकन दाखिल करने के बाद दिनेश प्रताप सिंह ने रायबरेली में कमल खिलाने का दावा किया है। भाजपा की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी की मजबूत घेरेबंदी की कोशिशें शुरू कर दी गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि रायबरेली की सियासी जंग राहुल गांधी के लिए आसान नहीं होगी और इस लोकसभा क्षेत्र में कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है।