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Lok Sabha Election: दिल्ली में आप-कांग्रेस को गठबंधन का फायदा नहीं, साझा कैंपेन से दूरी और अपनी-अपनी सीटों पर प्रचार
Lok Sabha Election 2024: दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व की ओर से गठबंधन का ऐलान तो कर दिया गया मगर जमीनी स्तर पर दोनों दलों के बीच तालमेल नहीं बन पा रहा है।
Lok Sabha Election 2024: राजधानी दिल्ली में भाजपा का दुर्ग ध्वस्त करने के लिए इस बार आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने हाथ मिलाया है। आप ने दिल्ली की चार सीटों पर काफी पहले ही अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए थे जबकि कांग्रेस ने भी लंबे मंथन के बाद तीन सीटों पर अपने पत्ते खोल दिए हैं। आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन होने के बाद इस बार भाजपा को कड़ी चुनौती मिलने की संभावना जताई जाती रही है मगर सच्चाई तो यह है कि दोनों दलों को गठबंधन का फायदा मिलता नहीं दिख रहा है।
दरअसल दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व की ओर से गठबंधन का ऐलान तो कर दिया गया मगर जमीनी स्तर पर दोनों दलों के बीच तालमेल नहीं बन पा रहा है। दोनों दलों के नेता केवल अपनी-अपनी सीटों पर सक्रिय दिख रहे हैं। ऐसे में भाजपा एक बार फिर इस गठबंधन को झटका देते हुए राजधानी दिल्ली में बड़ी जीत हासिल कर सकती है। राजधानी के चुनाव नतीजे से बड़ा संदेश निकलेगा और यही कारण है कि भाजपा ने यहां पर पूरी ताकत लगा रखी है।
केवल चार सीटों पर आप की सक्रियता
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच लंबी चर्चा के बाद सीट शेयरिंग के फार्मूले पर सहमति बन सकी थी। हालांकि दोनों दलों के कई नेता दिल्ली में गठबंधन का विरोध भी कर रहे थे। दिल्ली में हुए गठबंधन के बाद आप ने चार सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं और आप कार्यकर्ताओं की सक्रियता सिर्फ इन्हीं चार सीटों पर दिख रही है।
दोनों दलों की ओर से साझा कैंपेन के लिए संयुक्त प्रचार टीम बनाने का बड़ा दावा किया जा रहा था मगर अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। दोनों दलों ने ऊपरी स्तर पर तो हाथ जरूर मिला लिया है मगर जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं के बीच अभी तक एकजुटता नहीं दिख रही है।
आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता अपने हिस्से के सिर्फ चार सीटों पर प्रचार करते हुए नजर आ रहे हैं जबकि कांग्रेस कोटे की तीन सीटों पर आप कार्यकर्ताओं में पूरी निष्क्रियता दिख रही है। कांग्रेस ने काफी विलंब से अपने तीनों उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है और ऐसे में कांग्रेस का कैंपेन तो अभी रफ्तार ही नहीं पकड़ सका है।
साझा कैंपेन की कोई तैयारी नहीं
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद गत 31 मार्च को रामलीला मैदान में विपक्ष की ओर से बड़ी रैली का आयोजन किया गया था। इस रैली में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के साथ सुनीता केजरीवाल ने भी प्रमुखता से हिस्सा लिया था। रैली में शामिल नेताओं ने मोदी सरकार और भाजपा पर तीखे हमले किए थे।
इस रैली के बाद माना जा रहा था कि दिल्ली में भी आप-कांग्रेस का गठबंधन भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभर सकता है मगर ऐसा होता नहीं दिख रहा है। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों दलों के नेता संयुक्त सभाएं करते हुए नजर नहीं आ रहे हैं। आने वाले दिनों में भी इस तरह की कोई संभावना नहीं दिख रही है क्योंकि इस बाबत अभी तक कोई तैयारी नहीं दिख रही है।
पूर्व में एक-दूसरे पर करते रहे हैं हमला
आम आदमी पार्टी ने अब दूसरे चरण के चुनाव प्रचार के लिए अपना कार्यक्रम तैयार कर लिया है। अभी भी पार्टी ने अपना फोकस उन चार सीटों पर ही रखा है जहां से आप उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे है। आप इस बार पूर्वी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली, दक्षिण दिल्ली और नई दिल्ली लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है और दूसरे चरण के प्रचार में भी पार्टी ने इन सीटों पर ही फोकस कर रखा है।
इस मामले में यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि पूर्व समय में कांग्रेस के नेता भी आप नेताओं पर वैसे ही हमले बोलते रहे हैं जैसे भाजपा। दिल्ली में कांग्रेस के कई बड़े चेहरे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य आप नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं। दोनों दलों के बीच गठबंधन और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस के ऐसे नेताओं ने चुप्पी साध रखी है।
भाजपा को फिर मिल सकती है बड़ी जीत
सियासी जानकारों का मानना है कि इस कारण भी दोनों दलों का सामंजस्य नहीं बन पा रहा है। दोनों दलों के बीच गठबंधन के बाद बड़े-बड़े दावे किए गए थे और साझा कैंपेन के जरिए दिल्ली में भाजपा का दुर्ग ध्वस्त कर देने का बड़ा दावा किया गया था मगर हकीकत में ऐसा कुछ होता नजर नहीं आ रहा है।
अगर आने वाले दिनों में दोनों दलों ने रणनीति नहीं बदली तो भाजपा एक बार फिर राजधानी दिल्ली का किला फतह करने में कामयाब हो सकती है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी राजधानी में अपनी ताकत दिखा चुकी है और पार्टी इस बार भी वैसी ही जीत हासिल करने की कोशिश में जुटी है।