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Election 2024 : हाईकोर्ट के फैसले पर टिका है मुख्तार के भाई अफजाल का सियासी सफर,सपा खेमे में बढ़ी बेचैनी
Election 2024 : पूर्वांचल की सियासी जंग में इस बार सबकी निगाहें गाजीपुर लोकसभा सीट पर भी लगी हुई है, जहां समाजवादी पार्टी ने बाहुबली मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी को चुनाव मैदान में उतारा है।
Election 2024 : पूर्वांचल की सियासी जंग में इस बार सबकी निगाहें गाजीपुर लोकसभा सीट पर भी लगी हुई है, जहां समाजवादी पार्टी ने बाहुबली मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी को चुनाव मैदान में उतारा है। सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी का राजनीतिक भविष्य इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर टिका हुआ है और इस मामले में फैसला कल यानी दो मई को आना है। भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से जुड़े गैंगस्टर मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने अफजाल को चार साल की सजा सुनाई थी और अब इस मामले में हाईकोर्ट को फैसला करना है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला अगर अफजाल के पक्ष में आया तो उनका सियासी सफर जारी रहेगा मगर यदि फैसला अफजाल अंसारी के पक्ष में नहीं आया तो फिर वे इस बार के लोकसभा चुनाव की दौड़ से बाहर हो जाएंगे। ऐसे में इस बात को लेकर भी चर्चा हो रही है कि यदि अफजाल चुनावी दौड़ से बाहर हुए तो मुख्तार कुनबे के किसी सदस्य को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। हाईकोर्ट के फैसले को लेकर समाजवादी पार्टी के खेमे में भी जबर्दस्त बेचैनी दिख रही है।
कृष्णानंद राय की हत्या से जुड़ा है मामला
2002 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले कृष्णानंद राय ने मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर अफजाल अंसारी को हरा दिया था। मोहम्मदाबाद सीट पर मिली इस हार को अंसारी कुनबा पचा नहीं सका और यहीं से मुख्तार अंसारी और कृष्णानंद राय के बीच सियासी अदावत की शुरुआत हुई। बाद में 29 नवंबर 2005 को भाजपा के तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की ताबड़तोड़ गोलियां बरसा कर हत्या कर दी गई थी। पूर्वांचल के इस बहुचर्चित हत्याकांड में संजीव जीवा और मुन्ना बजरंगी सहित साजिश में अंसारी भाइयों के खिलाफ भी केस दर्ज कराया गया था।
हालांकि बाद में अदालत से कृष्णानंद राय हत्याकांड में अंसारी बंधु डरी हो गए थे, लेकिन इसी केस को आधार बनाकर पुलिस ने 2007 में अफजाल अंसारी व मुख्तार अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर का मुकदमा भी दर्ज किया था।
कोर्ट ने सुनाई थी चार साल की सजा
इसी मामले में पिछले साल 29 अप्रैल को एमपी-एमएलए कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था। अदालत ने अफजाल को चार व मुख्तार अंसारी को 10 वर्ष की सजा सुनाई थी। इस फैसले के बाद अफजाल अंसारी को गिरफ्तार कर लिया गया था और उनकी संसद सदस्यता भी रद्द कर दी गई थी। सजा के खिलाफ अफजाल अंसारी ने हाईकोर्ट में अपील की थी मगर वहां से फौरी राहत न मिलने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने उनकी संसद सदस्यता शर्तों के साथ बहाल की थी और उन्हें चुनाव लड़ने के योग्य ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट अफजाल के मामले पर 30 जून तक फैसला दे। सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद ही सपा ने उन्हें टिकट देने का ऐलान किया था।
हाईकोर्ट कल सुनाएगा फैसला
सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद अफजाल अंसारी ने हाईकोर्ट में अपील की थी जिस पर अब 2 मई को फैसला आना है। गाजीपुर सीट पर 7 मई से नामांकन शुरू होना है। गाजीपुर में मतदान सातवें चरण यानी एक जून को होगा। ऐसे में यदि अफजाल अंसारी को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो वे गाजीपुर से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
वैसे कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष राय ने अफजाल अंसारी की सजा को 4 साल से बढ़ाकर 10 वर्ष करने की अर्जी हाईकोर्ट में लगा रखी है। दोनों मामलों की सुनवाई एक साथ हो रही है और अब इस मामले में कल आने वाले हाईकोर्ट के फैसले पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।
फैसला खिलाफ रहा तो इन नामों की चर्चा
जानकारों का कहना है कि यदि हाईकोर्ट का फैसला अफजाल अंसारी के पक्ष में आया तब तो वे चुनाव मैदान में डटे रहेंगे और अगर ऐसा नहीं हुआ तो उनकी बेटी नुसरत को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। अफजाल की बेटी नुसरत ने अपने पिता के लिए पहले ही चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। वे गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली विभिन्न विधानसभा सीटों का दौरा कर रही हैं।
वैसे नुसरत के अलावा मुख्तार अंसारी के छोटे बेटे उमर अंसारी या परिवार के किसी अन्य सदस्य पर भी दांव लगाए जाने की चर्चा है। गाजीपुर के सियासी हलकों में अफजाल अंसारी के संबंध में हाईकोर्ट के फैसले का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।
भाजपा ने इस बार अफजाल अंसारी के खिलाफ पारस राय को चुनाव मैदान में उतारा है और इस बार के लोकसभा चुनाव में कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है।