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Election 2024 : लोकसभा चुनाव का तीसरा राउंड, गुजरात में है कड़ा मुकाबला
Election 2024 : लोकसभा चुनाव के तीसरे राउंड की वोटिंग 7 मई को है जिसमें गुजरात की बाकी सभी 25 सीटों का निर्णय होना है। सूरत की सीट पहले ही बिना मतदान के तय हो चुकी है। पिछले दो चुनावों में लगातार जीत को देखते हुए भाजपा की राह आसान मानी जा रही है, लेकिन कुछ सीटों पर कड़ी टक्कर दिखाई दे रही है।
Election 2024 : लोकसभा चुनाव के तीसरे राउंड की वोटिंग 7 मई को है जिसमें गुजरात की बाकी सभी 25 सीटों का निर्णय होना है। सूरत की सीट पहले ही बिना मतदान के तय हो चुकी है। पिछले दो चुनावों में लगातार जीत को देखते हुए भाजपा की राह आसान मानी जा रही है, लेकिन कुछ सीटों पर कड़ी टक्कर दिखाई दे रही है।
सात सीटों पर कड़ा मुकाबला
सुरेंद्रनगर, साबरकांठा, बांसकांठा, राजकोट, आनंद, पाटन और जूनागढ़ में कड़े मुकाबले की संभावना है।
- सुरेंद्रनगर में तलपड़ा कोली और चुनवालिया कोली समुदायों के उम्मीदवार टिकट के लिए दावेदार थे। लेकिन चुनवालिया कोली गुट ने बाजी मार ली और चंदू भाई सिहोरा को भाजपा ने टिकट दे दिया। क्षेत्र के लगभग साढ़े चार लाख कोली मतदाताओं में से तलपड़ा कोली लगभग 3 लाख हैं। इसके विपरीत कांग्रेस ने तलपड़ा कोली समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले ऋत्विक मकवाना को उतारा है। इसके अलावा क्षत्रिय आंदोलन इस निर्वाचन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में खड़ा है।तलपड़ा कोली और क्षत्रिय समुदायों का स्पष्ट असंतोष इस सीट पर कोई गुल खिला सकता है।
- साबरकांठा में पूर्व मुख्यमंत्री अमर सिंह चौधरी के बेटे तुषार चौधरी के कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने से राजनीतिक क्षेत्र गर्म हो गया है। कांग्रेस के पूर्व विधायक की पत्नी शोभना बरैया भी इस सीट के लिए दावेदार थीं जिनके पति भाजपा में शामिल हो गए थे। पहले भाजपा ने इस निर्वाचन क्षेत्र के लिए भीखाजी ठाकोर को नामांकित किया था, लेकिन उनके उपनाम को लेकर विवाद के बीच उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली जिससे व्यापक विरोध शुरू हो गया। इस निर्वाचन क्षेत्र में ठाकोर समुदाय के पास 20 प्रतिशत वोट हैं। उनका रुख चुनावी परिदृश्य को प्रभावित कर सकता है।
- बनासकांठा में कांग्रेस नेता गनीबेन ठाकोर मैदान में हैं। उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रमुख सहकारी नेता और गुजरात विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष शंकर चौधरी पर जीत दर्ज की थी। भाजपा ने शंकर चौधरी गुट से जुड़ी मानी जाने वाली रेखा चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। इस निर्वाचन क्षेत्र में कुल 19 लाख मतदाताओं के साथ चौधरी और ठाकोर समुदाय महत्वपूर्ण प्रभाव रखते हैं। यहां चुनाव का नतीजा इन समुदायों के समर्थन पर निर्भर करता है।
- राजकोट को पारंपरिक रूप से भाजपा का गढ़ माना जाता है। लेकिन अतीत में यहां अप्रत्याशित परिणाम भी रहे हैं। हालांकि उलटफेर करने वाले कांग्रेसी नेता अब भाजपा में शामिल हो गए हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता मुख्य रूप से पाटीदार, कोली और क्षत्रिय समुदाय से हैं। क्षत्रिय समुदाय के बारे में भाजपा उम्मीदवार पुरुषोत्तम रूपाला की टिप्पणी का पूरे गुजरात में क्षत्रिय समुदाय में नाराजगी है। रूपाला के सामने कांग्रेस ने लेउआ पाटीदार समुदाय के एक प्रमुख नेता परेश धनानी को उम्मीदवार बनाया है, जिन्होंने अमरेली विधानसभा में रूपाला को हराया था।
- आणंद में क्षत्रिय आंदोलन का प्रभाव और ग्रामीण असंतोष है। एक समय मजबूत नेटवर्क के साथ इस क्षेत्र में एक ताकत रही कांग्रेस ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा को उतारा है, जबकि मितेश पटेल भाजपा के उम्मीदवार हैं। इलाके में अमित चावड़ा परिवार के प्रभाव ने कांग्रेस की संभावनाओं को मजबूत किया है।
- पाटन में भाजपा के भरत सिंह ठाकोर और कांग्रेस के चंदन सिंह ठाकोर आमने-सामने हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में सिद्धपुर, पाटन, चानस्मा, रंधनपुर, वडगाम, खेरालु और सिद्धपुर जैसी विधानसभा सीटें शामिल हैं। जहां भाजपा आम तौर पर खेरालु और सिद्धपुर में मजबूत स्थिति रखती है, वहीं कांग्रेस का प्रभाव रंधनपुर और पाटन में है। पाटीदार समुदाय के नेता और कांग्रेस विधायक किरीट पटेल पाटन से हैं। वैसे, पाटन सीट का नतीजा क्षत्रिय आंदोलन के प्रभाव और अल्पसंख्यक मतदाताओं के समर्थन जैसे कारकों पर निर्भर करता है।
- जूनागढ़ में भाजपा उम्मीदवार राजेश चुडास्मा मैदान में हैं। कांग्रेस नेता हीरा जोतवा की स्थिति, क्षत्रिय आंदोलन के प्रभाव और लोहाना ठक्कर समुदाय के एक डॉक्टर की आत्महत्या से उत्पन्न विरोध ने चुडास्मा की चुनौतियों को बढ़ा दिया है।