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Electoral Bond New Data: चुनाव आयोग ने जारी किया राजनीतिक दलों के इलेक्टोरल बॉन्ड का नया डेटा
Electoral Bond New Data: भारतीय निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से वापस लौटाए गए चुनावी बॉन्ड्स से संबंधित डेटा को सार्वजनिक कर दिया है। चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से प्राप्त डाटा जस का तस यानी सीलबंद लिफाफा सीधे खोले बिना ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिया था।
Electoral Bond New Data: जहां इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है तो वहीं 2024 लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों द्वारा सीलबंद कवर के तहत जमा किए गए चुनावी बांड विवरण को रविवार को सार्वजनिक कर दिया। माना जा रहा है कि यह विवरण 12 अप्रैल, 2019 से पहले की अवधि से संबंधित हैं। इस तारीख के बाद के चुनावी बांड विवरण पिछले सप्ताह चुनाव पैनल द्वारा सार्वजनिक किए गए थे। चुनाव आयोग ने अपने एक बयान में कहा कि राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट के 12 अप्रैल, 2019 के अंतरिम आदेश के निर्देशानुसार, सीलबंद कवर में चुनावी बांड का डेटा दाखिल किया था।
वेबसाइट पर अपलोड किया डेटा
चुनाव आयोग ने अपने बयान में कहा, राजनीतिक दलों से प्राप्त डेटा सीलबंद लिफाफे को खोले बिना सुप्रीम कोर्ट में जमा किया गया था। 15 मार्च, 2024 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में, सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने सीलबंद कवर में एक पेन ड्राइव में डिजिटल रिकॉर्ड के साथ physical copies वापस कर दी। सुप्रीम कोर्ट के 15 मार्च, 2024 के आदेश के अनुसार, वो सीलबंद डाटा भी सार्वजनिक करना था। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने रजिस्ट्री से उस डाटा की स्कैन नकल सुरक्षित रख मूल आंकड़े की प्रति आयोग को लौटा देने का आदेश दिया। निर्वाचन आयोग ने चुनावी बॉन्ड्स पर सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से डिजीटल रूप में प्राप्त डेटा को रविवार यानी 17 मार्च 2024 को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। इसे इस यूआरएल https://www.eci.gov.in/candidate-politicparty पर एक्सेस किया जा सकता है।
गुरुवार को जारी किया था अप्रैल 2019 से अभी तक डेटा
पिछले गुरुवार को, चुनाव आयोग ने 12 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 तक जारी किए गए चुनावी बांड पर डेटा जारी किया था, यहां तक कि उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पिछली अवधि के डेटा को वापस करने के लिए कहा ताकि इसे भी सार्वजनिक किया जा सके। आयोग ने 12 अप्रैल, 2019 और 2 नवंबर, 2023 को पारित सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेशों के अनुसार 12 अप्रैल, 2019 से पहले बेचे गए और भुनाए गए चुनावी बांड का विवरण सुप्रीम कोर्ट को भेजा था।