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UP Lok Sabha Election: इलाहाबाद में पिता की साख पर ताकत आजमा रहे दो सियासी दिग्गजों के बेटे,जानिए समीकरण

UP Lok Sabha Election: कांग्रेस प्रत्याशी उज्जवल रमण सिंह और भाजपा प्रत्याशी नीरज त्रिपाठी दोनों के साथ एक मजबूत विरासत जुड़ी हुई है।

Anshuman Tiwari
Published on: 28 April 2024 8:38 AM IST
Lok Sabha Election 2024
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नीरज त्रिपाठी और उज्जवल रमण सिंह (Pic: Social Media)

UP Loksabha Election: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव की सियासी जंग में इस बार सबकी निगाहें इलाहाबाद सीट पर भी लगी हुई हैं। इलाहाबाद के चुनावी अखाड़े में इस बार दो सियासी दिग्गजों के बेटों के बीच दिलचस्प मुकाबला हो रहा है। भाजपा इस लोकसभा सीट पर पिछले दो चुनावों से जीत हासिल करती रही है और इस बार पार्टी हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटी हुई है। पार्टी ने इस बार रीता बहुगुणा जोशी का टिकट काटकर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी के बेटे नीरज त्रिपाठी को चुनाव मैदान में उतारा है।

प्रदेश में सपा-कांग्रेस के गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है और कांग्रेस ने इस सीट पर आठ बार विधायक और दो बार सांसद चुने गए कुंवर रेवती रमण सिंह के बेटे उज्जवल रमण सिंह को टिकट देकर नीरज त्रिपाठी की मजबूत घेरेबंदी की है। उज्जवल रमण सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए गत दो अप्रैल को कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी और फिर पार्टी ने उन्हें चुनावी अखाड़े में उतार दिया। दो सियासी दिग्गजों के बेटों के चुनाव मैदान में उतरने से इलाहाबाद में दिलचस्प मुकाबले की बिसात बिछ गई है।

कई दिग्गज चुने जा चुके हैं सांसद

यदि पूर्व के समय को देखा जाए तो कई बड़े दिग्गज इलाहाबाद संसदीय सीट का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इन दिग्गजों में पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी,समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्र और सदी के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन भी शामिल हैं। अमिताभ बच्चन ने तो इस लोकसभा सीट पर बड़े सियासी दिग्गज हेमवती नंदन बहुगुणा को हराकर 1984 का लोकसभा चुनाव जीता था।

इस बार के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कोई सियासी दिग्गज खुद तो नहीं उतरा है मगर दो सियासी दिग्गजों के बेटों में भिड़ंत जरूर हो रही है। दोनों दिग्गजों की इलाहाबाद में मजबूत पकड़ मानी जाती रही है और अब दोनों बेटे अपने पिता की साख के आधार पर चुनाव जीतने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

मुलायम के करीबियों में रहे हैं रेवती रमण

उज्जवल रमण सिंह प्रयागराज की करछना विधानसभा सीट से दो बार विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रहे हैं। उनके पिता रेवती रमण सिंह सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के काफी करीबियों में गिने जाते रहे। वे करछना विधानसभा सीट से आठ बार विधायक रहे हैं। इसके अलावा रेवती रमण सिंह इलाहाबाद लोकसभा क्षेत्र से दो बार सांसद भी चुने गए।

रेवती रमण सिंह ने भाजपा के कद्दावर नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी को चुनाव हराकर अपनी ताकत दिखाई थी। उनकी गिनती सपा के बड़े नेताओं में होती रही और इसी कारण वे एक बार राज्यसभा सदस्य बनने में भी कामयाब हुए।

भाजपा के कद्दावर नेता थे केशरीनाथ

दूसरी ओर केशरीनाथ त्रिपाठी की गिनती भी भाजपा के कद्दावर नेताओं में की जाती थी और वे छह बार विधानसभा का चुनाव जीतने में कामयाब रहे। उन्होंने तीन बार विधानसभा के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभाई। इसके अलावा वे प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे। 2004 में उन्हें बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया।

हालांकि 2007 में हुए चुनाव में वे तत्कालीन बसपा प्रत्याशी नंद गोपाल गुप्ता नंदी से चुनाव हार गए थे। इसके बाद उन्हें राज्यपाल पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में उन्होंने अपने तेवर दिखाए थे। साहित्य की दुनिया से भी उनका काफी जुड़ाव था।

दोनों प्रत्याशियों से जुड़ी है मजबूत विरासत

इस तरह कांग्रेस प्रत्याशी उज्जवल रमण सिंह और भाजपा प्रत्याशी नीरज त्रिपाठी दोनों के साथ एक मजबूत विरासत जुड़ी हुई है। हालांकि दोनों प्रत्याशियों में एक बड़ा अंतर यह है कि जहां उज्जवल रमण सिंह पिछले दो दशक से सियासी मैदान में सक्रिय हैं वहीं दूसरी ओर नीरज त्रिपाठी पहली बार सियासी मैदान में बैटिंग करने के लिए उतरे हैं। हालांकि सियासी परिवार से ताल्लुक होने के कारण वे राजनीति को नजदीक से देखते जरूर रहे हैं मगर खुद के चुनाव लड़ने का उनका यह पहला मौका है।

वैसे दोनों उम्मीदवारों में एक बड़ी समानता भी है और वह यह कि दोनों ने वकालत की पढ़ाई की है। नीरज त्रिपाठी पिछले 21 साल से वकालत के पेशे में सक्रिय हैं और सात साल से वे अपर महाधिवक्ता की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। हालांकि चुनावी मैदान में उतरने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। कानूनी दांवपेंच में माहिर इन दोनों उम्मीदवारों के बीच जब सियासी दांवपेंच की परीक्षा होनी है।

2022 के चुनाव में भाजपा ने दिखाई थी ताकत

इलाहाबाद संसदीय सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आती हैं और 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दल ने इनमें से चार सीटों पर जीत हासिल की थी। सपा सिर्फ मेजा सीट पर जीत हासिल करने में सफल हुई थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में इलाहाबाद दक्षिण की सीट पर कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी, करछना सीट से भाजपा के पीयूष रंजन निषाद, कोरांव सीट से भाजपा के राजमणि कोल और बारा सीट से अपना दल (एस) के प्रत्याशी वाचस्पति को जीत मिली थी।

मेजा सीट से सपा के संदीप सिंह ने जीत हासिल करके सपा की लाज बचाई थी। ऐसे में भाजपा एक बार फिर इलाहाबाद में अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटी हुई है। भाजपा के पक्ष में एक अच्छी बात यह है कि टिकट काटे जाने के बावजूद रीता बहुगुणा जोशी नीरज त्रिपाठी को जीत दिलाने के लिए पूरी तत्परता से जुटी हुई हैं।

दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी उज्जवल रमण सिंह भी सियासी दांवपेंच के माहिर माने जाते हैं और वे भी भाजपा को कड़ी चुनौती देने की कोशिश में जुटे हुए हैं। ऐसे में सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई हैं कि दो सियासी दिग्गजों के बेटों में कौन बाजी मारने में कामयाब होता है।



Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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