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Loksabha Election 2024: एटा लोकसभा सीट पर सपा और बसपा खोज रहे जीत का राह, जानें समीकरण
Loksabha Election 2024 Etah Seats Details: एटा लोकसभा सीट पर भाजपा ने कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया पर तीसरी बार भरोसा जताया है। जबकि सपा ने देवेश शाक्य को चुनावी रण में उतारा है। वहीं बसपा ने मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के लिए मोहम्मद इरफान पर अपना दांव लगाया है।
Loksabha Election 2024: यूपी के एटा जिले की अपनी अलग ही राजनीतिक महत्ता है। अलीगढ़ मंडल में पड़ने वाला इस जिले को भाजपा के दिग्गज नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की वजह से भी पहचाना जाता है। कभी इस सीट को यादव लैंड की उपाधि और दबदबा के लिए जाना जाता था। लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद से अब यह सीट लोध राजपूत बहुल मानी जाती है। एटा लोकसभा सीट पर भाजपा ने कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया पर तीसरी बार भरोसा जताया है। जबकि इंडिया गठबंधन के तहत सपा ने देवेश शाक्य को चुनावी रण में उतारा है।
वहीं बसपा ने मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के लिए मोहम्मद इरफान पर अपना दांव लगाया है। यहां मुकाबला त्रिकोणीय बन गया है। अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो भाजपा के राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया ने सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे कुंवर देवेंद्र सिंह यादव को 1,22,670 वोट से हराकर दूसरी बार जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया को 545,348 और देवेंद्र सिंह यादव को 4,22,678 वोट मिले थे। जबकि निर्दलीय चुनाव लड़े हरिओम को 6,339 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 की बात करें तो भाजपा के राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया ने सपा के कुंवर देवेंद्र सिंह यादव को 2,01,001 वोट से हराकर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया को 4,74,978 और कुंवर देवेंद्र सिंह यादव को 2,73,977 वोट मिले थे। जबकि बसपा के नूर मोहम्मद खान को 1,37,127 और महान दल के जोगिन्द्र सिंह भदोरिया को 12,445 वोट मिले थे।
यहां जानें एटा लोकसभा क्षेत्र के बारे में
- एटा लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 22 है।
- यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था।
- एटा लोकसभा क्षेत्र का गठन एटा जिले के मारहरा व एटा और कासगंज जिले के अमनपुर, पटियाली और कासगंज विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
- एटा लोकसभा क्षेत्र के 5 विधानसभा सीटों में से 4 पर भाजपा और 1 पर सपा का कब्जा है।
- एटा लोकसभा क्षेत्र में कुल 16,21,295 मतदाता हैं। जिनमें से 7,42,422 पुरुष और 8,78,827 महिला मतदाता हैं।
- एटा लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 10,00,352 यानी 61.70 प्रतिशत मतदान हुआ था।
एटा लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास
एटा जिला को महान कवि, शायर, संगीतकार, गायक और सूफी संत अमीर खुसरो की सरजमीं के रूप में जाना जाता है। यहां की कासगंज विधानसभा सीट के सोरों कस्बे को श्री रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली कहा जाता है। यहां का पटना पक्षी विहार, कैलाश मंदिर, काली मंदिर, हनुमानगढ़ी, राम दरबार दर्शनीय स्थल हैं। प्राचीन काल में एटा को “एंठा” कहा जाता था जिसका अर्थ है ‘आक्रामक रूप से जवाब देना’। कुछ विद्वानों का मत है कि इसका नाम इँटा भी हुआ करता था। 16वीं शताब्दी में सिकंदर लोदी से युद्ध में हार जाने के बाद चौहान राजवंश के प्रताप सिंह ने एटा के नजदीक पहोर क्षेत्र को अपना ठिकाना बना लिया था। इनके पुत्र संग्राम सिंह ने एटा नगर की स्थापना की थी। उनकी छठी पीढ़ी के हिम्मत सिंह ने 1803 में अंग्रेजों से समझौता कर लिया और हिम्मतनगर बझेरा में किला बनवाया था। जिसके अवशेष अभी भी मौजूद हैं।
हिम्मत सिंह के पुत्र मेघ सिंह ने 1812 से 1849 तक यहां शासन किया। इनके बेटे डंबर सिंह ने 1857 में अंग्रेजों से मुकाबला किया और वीरगति को प्राप्त हुए। एटा की कासगंज तहसील के कालाजार मैदान पर दिसंबर 1857 में अंग्रेजों और क्रांतिकारियों के बीच भीषण युद्ध हुआ था। दिल्ली से अलीगढ़ होती हुई कर्नल सीटन के नेतृत्व में जा रही अंग्रेजों की टुकड़ी को क्रांतिकारियों ने घेर लिया। युद्ध की जानकारी मिलने पर लेफ्टिनेंट हडसन व सेनापति वालपोल के सैनिकों से भी क्रांतिकारियों ने मुकाबला किया। इस क्षेत्र में भीषण रक्तपात हुआ बाद में अंग्रेजों ने यहां अत्याचार किए।
इस सीट पर 1999 में पहली बार सपा को मिली सफलता
वही राजनीतिक इतिहास की बता करें तो आजादी के बाद 1957-1062 में हुए चुनाव में यह सीट भी केसरिया रंग में रंगा था। इस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर रोहन लाल चतुर्वेदी पहले सांसद चुने गए। लेकिन 1957 और 1962 के चुनाव में यहां की जनता ने हिंदू महासभा के बिशन चंद्र सेठ को अपना सांसद चुन लिया। फिर 1967 और 1971 के चुनाव में कांग्रेस के रोहन लाल चतुर्वेदी ने जीत हासिल की। लेकिन 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर महादीपक सिंह शाक्य ने यहां जीत हासिल की। फिर 1980 में कांग्रेस के मुशीर अहमद खान सांसद बने। 1984 में लोकदल के उम्मीदवार मोहम्मद महफूज अली को इस सीट पर फतेह मिली। लेकिन इसके बाद 1989, 1991, 1996 से 1998 तक लगातार चार बार भाजपा के टिकट पर महादीपक शाक्य ने जीत दर्ज की। उन्होंने छह बार सांसद चुने जाने का रिकॉर्ड कायम कर दिया। लेकिन 1999 में भाजपा के महादीपक सिंह शाक्य की जीत का सिलसिला टूट गया। सपा के कुंवर देवेंद्र सिंह यादव यहां से सांसद बनें। कुंवर देवेंद्र सिंह यादव को 2004 के चुनाव में भी सफलता हाथ लगी और दुबारा सांसद बनें।
2008 के बाद बदल गया यहां का समीकरण
एटा लोकसभा सीट पर 2008 में हुए परिसीमन के बाद सहावर में नई तहसील बनाकर कासगंज को नए जिले का दर्जा मिला। नए परिसीमन के बाद 2009 में हुए चुनाव में पहली बार कासगंज विधानसभा एटा लोकसभा क्षेत्र में शामिल हुआ। अलीगंज विधानसभा क्षेत्र इससे बाहर हो गया। इसके साथ ही लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरणों में बदलाव आ गया। यादव बहुल कई विधानसभा सीटें दूसरी लोकसभा सीटों के साथ जुड़ गई और एटा के साथ लोध राजपूत बहुल सीटें आ गई हैं। इसी वजह से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने बुलंदशहर लोकसभा सीट के बजाए इस क्षेत्र को चुनाव के लिए चुना। कामयाब भी हुए। बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान कल्याण सिंह भाजपा से अलग होकर अपनी जनक्रांति पार्टी से चुनावी मैदान में उतरें। तब उन्हें सपा ने समर्थन दे दिया था। उस चुनाव में 2,75,717 वोट पाकर कल्याण सिंह ने जीत हासिल की थी। बसपा के उम्मीदवार देवेंद्र सिंह यादव को 1,47,449 वोट मिला था।
एटा लोकसभा में जातीय समीकरण
एटा लोकसभा सीट के जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां पर लोधी और राजपूतों की संख्या करीब 2,90,000 है। यादव करीब 2,50,000 और शाक्य 2,00,000 हैं। इसके अलावा 90,000 ब्राह्मण और 90,000 वैश्य मतदाता हैं। वहीं 2,00,000 जाटव मतदाता भी है। बता दें कि बाकी बिरादरियां भी इस सीट पर हैं लेकिन वे कम मात्रा में है। इनमें से मुस्लिम और यादव सपा का कोर वोट बैंक रहा है। इन दोनों वोट बैंक में वह बाकी जातियों के वोट मिलाकर सीट निकालती रही है। लेकिन कल्याण सिंह की लोकप्रियता की वजह से अब कामयाबी सपा से दूर हो गई है। उनके बेटे राजवीर सिंह इस बार हैट-ट्रिक लगाने के लिए मैदान में हैं।
एटा लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद
- कांग्रेस से रोहन लाल चतुर्वेदी 1952 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- हिंदू महा सभा से बिशन चंद्र सेठ 1957 और 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से रोहन लाल चतुर्वेदी 1967 और 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता पार्टी से महादीपक सिंह शाक्य 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से मुशीर अहमद खान 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- लोकदल से मोहम्मद महफूज अली 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से महादीपक सिंह शाक्य 1989, 1991, 1996 और 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- सपा से देवेन्द्र सिंह यादव 1999 और 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जन क्रांति पार्टी से कल्याण सिंह 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।