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Election Slogans: हर राजनीतिक दल ने प्रचार में नारों को दी प्रमुखता
Jhansi News: भारतीय राजनीति में नारों को सबसे ज्यादा अहमियत दी गई। कहीं-कहीं यह नारे इतने उत्तेजक होते हैं जो विरोधी पार्टी की बखिया उधेड़ देते हैं।
Jhansi News: चुनाव प्रचार में नारे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। नारे यदि जोशीले हों तो पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश का संचार होता है। गर्मी हो सर्दी या फिर बरसात पार्टी के प्रचार में लगी युवाओं की टोलियां जब थकने लगती हैं तो छुटभइया नेता नारे लगाकर कार्यकर्ताओं में जोश भर देते हैं और कार्यकर्ता भी दूने उत्साह के साथ जनसम्पर्क में जुट जाते हैं।
इन दिनों चुनावी माहौल चल रहा है। गलियों में बच्चों और युवाओं की टोलियां नारे लगाते हुए इधर-उधर चक्कर लगा रहीं हैं, साथ ही उनके नारे भी खूब गूंज रहे हैं। नारों के बिना कोई भी चुनाव अधूरा सा लगता है। जनसंपर्क के दौरान गले में गेंदे की मालाओं से लदे-फदे नेताजी हाथ जोड़े आगे-आगे चलते हैं और उनके पीछे कार्यकर्ता देश का नेता कैसा हो- चंदू भइया जैसा हो जैसे नारे लगाते चलते हैं। कुछ नारे तो इतने सटीक थे कि उन्होंने चुनाव की दिशा ही बदल दी। भारतीय राजनीति में नारों को सबसे ज्यादा अहमियत दी गई। कहीं-कहीं यह नारे इतने उत्तेजक होते हैं जो विरोधी पार्टी की बखिया उधेड़ देते हैं। आजादी के बाद से अब तक चुनावी प्रचार के इतिहास में जब तक सूरज चांद रहेगा इंदिरा जी का नाम रहेगा जैसे नारे सर्वकालिक लोकप्रिय रहे हैं।
चुनाव में नारों की अनिवार्यता
बीते तीन दशकों में उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुत ज्यादा आक्रामकता आई है। चुनाव में जब बसपा ने ‘चढ़ गुंडन की छाती पे- मुहर लगेगी हाथी पे’ जैसा उत्तेजक और आक्रामक नारा दिया तो सब हक्के बक्के रह गए। नारे ने काम कर दिखाया और बसपा ने धमाकेदार कारनामा कर दिखाया। इसके बाद तो चुनाव में नारों की जैसे अनिवार्यता ही हो गई। कुछ नारे तो पार्टी का चेहरा सा बन गए। यह नारे पोस्टर व होर्डिंग पर भी नजर आने लगे।
चूंकि कांग्रेस सबसे पुरानी पार्टी मानी जाती है ऐसे में कांग्रेस द्वारा खूब चुनावी नारे गढ़े गए। वर्षों पहले श्रीमती इंदिरा गांधी के चुनाव के समय कांग्रेस ने गरीबी हटाओ जैसा लुभावना और आकर्षक नारा दिया। उसके बाद के चुनावों में जात पे ना पात पे, वोट पड़ेगा हाथ पे।
लड़की हूं- लड़ सकती हूं, परिवर्तन का संकल्प, कांग्रेस ही विकल्प जैसे नारे दिए।
अबकी बारी अटल बिहारी जैसे नारे के साथ भाजपा वह चमत्कार कर दिखाया जिसकी विपक्षी दलों को उम्मीद नहीं थी। इसके बाद तो एक ही नारा एक ही नाम, जय श्रीराम, जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे, अबकी बार-फिर से भाजपा सरकार, काम दमदार-सोच ईमानदार जैसे नारे खूब लोकप्रिय हुए।
यूपी फिर मांगे, भाजपा सरकार, राजतिलक की करो तैयार फिर आ रहे भगवाधारी जैसे नारों ने कार्यकर्ताओं का खूब जोश बढ़ाया।
सपा भी नारों के मामले में नहीं रही पीछे
सपा कार्यकर्ताओं ने जय अखिलेश-तय अखिलेश, नई हवा है-नई सपा है, बड़ों का हाथ, युवा का साथ। चल पड़ी है लाल आंधी, आ रहे हैं समाजवादी। चलती है साइकिल उड़ती है धूल, न रहेगा पंजा न रहेगा कमल का फूल
नारों के मामले में बसपा हमेशा चर्चा में रही है।
तिलक, तराजू और तलवार....जैसे आक्रामक नारे के साथ अपने तेवर स्पष्ट करने वाले बसपा के अन्य नारों में 10 मार्च-सब साफ, बहनजी हैं यूपी की आस, सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय, जाति पे न पाती पे, बटन दबेगा हाथी पे जैसे नारे खूब चले।