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Loksabha Election 2024: फतेहपुर लोकसभा सीट पर 1978 के उपचुनाव में इंदिरा और सुषमा हो गईं थीं आमने सामने, जानें यहां का समीकरण
Fatehpur Loksabha Seat Constituency Details: भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगाने के लिए साध्वी निरंजन ज्योति पर तीसरी बार दांव लगाया है।
Lok Sabha Election 2024: गंगा और यमुना दोआब के पूर्वी या निचले हिस्से में बसे फतेहपुर जिले की अपनी अलग ही महत्ता है। फतेहपुर लोकसभा सीट से पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे और पूर्व पीएम विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) सांसद रह चुके हैं। इस सीट पर 2014 से भाजपा का कब्जा है। भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगाने के लिए साध्वी निरंजन ज्योति पर तीसरी बार दांव लगाया है। जबकि सपा ने प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को चुनावी रण में उतारा है। वहीं बसपा ने पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर मनीष पटेल को उम्मीदवार बनाया है। इस बार यहां त्रिकोणीय लड़ाई देखने को मिल रही है।
अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो यहां एकतरफा मुकाबला देखने को मिला था। भाजपा की साध्वी निरंजन ज्योति ने सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे सुखदेव प्रसाद वर्मा को 1,98,205 वोट से हराकर दुबारा जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में साध्वी निरंजन ज्योति को 566,040 और सुखदेव प्रसाद वर्मा को 367,835 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के राकेश सचान को 66,077 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान भाजपा की साध्वी निरंजन ज्योति ने बसपा के अफजल सिद्दीकी को 1,87,206 वोट से हराकर करीब एक दशक बाद इस सीट पर कमल खिलाया था। इस चुनाव में साध्वी निरंजन ज्योति को 4,85,994 और अफ़ज़ल सिद्दीकी को 2,98,788 वोट मिले थे। जबकि सपा के राकेश सचान को 1,79,724 और कांग्रेस के उषा मौर्य को 46,588 वोट मिले थे।
Fatehpur Vidhansabha 2022 Details
Fatehpur Loksabha Election 2014 Details
Fatehpur Vidhan Sabha 2017 Details
यहां जानें फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र के बारे में (Fatehpur Loksabha Seat Details in Hindi)
- फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 49 है।
- यह लोकसभा क्षेत्र 1957 में अस्तित्व में आया था।
- इस लोकसभा क्षेत्र का गठन फतेहपुर जिले के बिंदकी, जहानाबाद, फतेहपुर, अयाह शाह, हुसैनगंज और खागा विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
- फतेहपुर लोकसभा के 6 विधानसभा सीटों में से 3 पर भाजपा, 2 पर सपा और 1 पर अपना दल (सोनेलाल) का कब्जा है।
- यहां कुल 18,39,312 मतदाता हैं। जिनमें से 8,40,193 पुरुष और 9,99,058 महिला मतदाता हैं।
- फतेहपुर लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 10,44,489 यानी 56.79 प्रतिशत मतदान हुआ था।
फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास (Fatehpur Political History in Hindi)
फतेहपुर जिले को वैदिक युग में “अंतर्देश” के नाम से जाना जाता था। जिसका अर्थ है दो बड़ी नदियों के बीच उपजाऊ क्षेत्र। इसे बाद में “मध्य प्रदेश” के नाम से जाना जाता था जिसका अर्थ केंद्रीय क्षेत्र है। फतेहपुर शहर का नाम स्थानीय परंपरा के अनुसार जौनपुर के इब्राहिम शाह द्वारा अथगढ़िया के राजा सीतानंद पर मिली जीत के बाद रखा गया था। साथ ही इस नाम पर एक और कहानी भी कही जाती है कि फतेहमंद खान ने शहर की स्थापना की थी। यह जानकारी तहसील खागा में डेण्डासई में पाए गए एक खंडित शिलालेख से मिली। इसके अनुसार, सुल्तान अलाउद्दीन के एक अधिकारी फतेहमंद खान को इस संबंध में 1519 में आदेश मिला था। लेकिन खास बात यह है कि इस दौर में अलाउद्दीन नाम का कोई सुल्तान नहीं था, ऐसे में यह दावा सही नहीं माना जाता है। यह क्षेत्र कभी कन्नौज साम्राज्य का हिस्सा था। फिर कुछ समय तक मुगल और मराठों का कब्जा रहा। जिले का उत्तरी क्षेत्र अवधी संस्कृति से प्रभावित है, जबकि दक्षिणी भाग पर बुंदेलखंड का प्रभाव दिखाता है। प्रयागराज से 117 किमी और कानपुर से 76 किमी की दूरी पर स्थित फतेहपुर दोआबा की यह सरजमीं भले ही विकसित और महानगरीय जिलों की श्रेणी में नहीं आ पाई। लेकिन देश की सियासत में इसकी मजबूत दखल रही है। देश का पहला प्रधानमंत्री चुनने का मौका रहा हो या फिर अपनी लोकसभा सीट से संसद में भेजकर प्रधानमंत्री बनाने का। यह दोनों ही गौरव जिले को प्राप्त हो चुका है।गौर तलब है कि पहले यह फूलपुर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था।यह जरूर है कि फतेहपुर जिले को जो आर्थिक व सामाजिक मजबूती मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल सकी है।
1957 से पहले फूलपुर लोकसभा क्षेत्र का था हिस्सा
आजादी के बाद 1952 में हुए पहले चुनाव में यह क्षेत्र इलाहाबाद जिले के फूलपुर व चायल संयुक्त लोकसभा सीट में शामिल था। तब यहां के लोग दो सांसद चुनते थे। यहां से पं. जवाहर लाल नेहरू व मसुरिया दीन कांग्रेस से सांसद बने। जिसमें पं. जवाहर लाल नेहरू को देश का पहला प्रधानमंत्री चुना गया। इसके बाद 1957 में फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र का गठन होने के बाद यहां पहली बार चुनाव हुए, इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार अंसार हरवानी ने जीत दर्ज कराई । जिले के पहले सांसद बने। 1962 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में गौरी शंकर ने जीत का परचम लहराया था। वहीं 1967 और 1971 में कांग्रेस के संत बक्श सिंह इसी सीट से दो बार चुने गए। इसी तरह इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार बशीर अहमद सांसद बने। उनकी आकस्मिक मौत के बाद 1978 के उपचुनाव में जनता पार्टी के ही सैय्यद लियाकत हुसैन सांसद बने थे।
फतेहपुर लोकसभा सीट की 1978 का उपचुनाव रहा दिलचस्प
फतेहपुर लोकसभा सीट पर 1978 के उपचुनाव में कांग्रेस ने प्रेमदत्त तिवारी को मैदान में उतारा था तो उनके सामने जनता पार्टी से सैय्यद लियाकत हुसैन सदन में पहुंचने की दावेदारी कर रहे थे। देश की हुकूमत पर कांग्रेस का कब्जा था। इस सीट को अपने पक्ष में करने के लिए इंदिरा गांधी ने जिले में डेरा डाल दिया था और महिला वोटरों पर वह विशेष फोकस कर रही थीं। उनके सामने प्रचार के लिए उन दिनों 25 वर्ष की सुषमा स्वराज ने मोर्चा संभाला था। सुषमा उन दिनों जनता दल की नेता थीं और हरियाणा सरकार में मंत्री हुआ करती थीं। सुषमा स्वराज शहर के सैय्यदवाड़ा स्थित पार्टी के उम्मीदवार रहे लियाकत हुसैन के कार्यालय पहुंचीं। उन्होंने सबसे पहले पूछा कि मुझे जनसभा के लिए कहां जाना है। इस पर चुनाव प्रभारी रहे सिंचाई राज्यमंत्री छोटेलाल यादव ने उनसे थोड़ी देर आराम करने को कहा था। जिस पर उन्होंने दो टूक जवाब दिया था। मैं यहां काम करने आई हूं, आराम करने नहीं।
इसके बाद सुषमा जिले में हर उस जगह गईं, जहां-जहां इंदिरा गांधी ने जनसभा की थी। कार्य व दायित्व के प्रति उनके समर्पण को देखकर सभी आश्चर्यचकित रह गए थे। सुषमा स्वराज यहां तीन दिन तक सर्किट हाउस में रुकी रहीं और इस दौरान उन्होंने खागा, अमौली, खजुहा और बिंदकी में कई जनसभाएं कीं। मलवां की जनसभा में उन्होंने महिलाओं से कहा था कि इंदिरा गांधी महिला होने के नाते महिलाओं से वोट मांग रही हैं। जबकि इमरजेंसी लगाकर उन्होंने देशभर की माताओं के बच्चों को जेल भिजवा दिया था। मामला तो तब गंभीर हो गया जब बिंदकी के ठठराही में इंदिरा गांधी के मंच पर पहुंचकर उन्होंने जनता के सामने ही इंदिरा गांधी को उनके सवालों का जवाब देने की चुनौती दे दी थी। सुषमा स्वराज ने कहा था कि ‘इंदिरा जी आप भी यहां हैं, मैं भी यहीं हूं और जनता भी है। आप मेरे सवालों का जवाब दे दीजिए, मैं आपके सवालों का जवाब दे दूं, फैसला यहीं हो जाएगा’। इंदिरा गांधी इस पर मुस्कुरा कर चली गईं। इस चुनाव में सुषमा स्वराज की तर्कपूर्ण बातों और उनके ओजस्वी भाषणों का यह असर हुआ कि उस दौर की आयरन लेडी के रूप में जानी जाने वाली इंदिरा गांधी अपनी सीट नहीं बचा पाईं और कांग्रेस उम्मीदवार को हराकर जनता पार्टी के सैय्यद लियाकत हुसैन ने जीत का परचम लहरा दिया।
हरिकिशन शास्त्री और विश्वनाथ प्रताप सिंह बने सांसद
फतेहपुर लोकसभा सीट से देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे हरिकिशन शास्त्री कांग्रेस के टिकट पर 1980 और 1984 में लगातार दो बार विजयी घोषित हुए थे। वहीं 1989 और 1991 के चुनाव में जनता दल के टिकट पर राजा मांडा विश्वनाथ प्रताप सिंह ने जीत दर्ज कराई । वह देश के प्रधानमंत्री भी बने। प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के इस्तीफे से खाली हुई फतेहपुर लोकसभा सीट पर 1996 में हुए चुनाव में भाजपा के महेंद्र प्रताप सिंह को हराकर बसपा के विशंभर प्रसाद निषाद सांसद बने। फिर 1998 के चुनाव में भाजपा के डा. अशोक पटेल ने बसपा से यह सीट छीन कर कमल खिला दिया। एक साल बाद हुए मध्यावधि चुनाव में बसपा के सूर्यबली निषाद को हराकर डा. अशोक पटेल ने इस सीट पर अपना कब्जा बहाल रखा। लेकिन 2004 चुनाव में एक बार फिर यह सीट बसपा की झोली में चली गई। भाजपा के डा. अशोक पटेल को हराकर बसपा के महेंद्र निषाद ने जीत दर्ज की। 2009 में सपा के राकेश सचान ने बसपा के महेंद्र निषाद को हराकर इस सीट पर साइकिल दौड़ा दिया।
फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण (Fatehpur Loksabha Seat Caste Equation in Hindi)
फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां चौबीस साल से कुर्मी या निषाद बिरादरी के सिर ताज बंध रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के बाद से यह सिलसिला चल रहा है। बता दें कि यहां करीब 4 लाख एससी, 3 लाख क्षत्रिय, ढाई लाख ब्राह्मण, 2 लाख निषाद (केवट), डेढ़ लाख मुस्लिम, एक लाख 20 हज़ार वैश्य व एक लाख 10 हज़ार यादव के अलावा अन्य जाति के मतदाता हैं।
फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद (Fatehpur MP List Details)
- कांग्रेस से अंसार हरवानी 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- निर्दल गौरी शंकर 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से संत बक्स सिंह 1967 और 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता पार्टी से बशीर अहमद 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता पार्टी से सैय्यद लियाकत हुसैन 1978 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से हरि कृष्ण शास्त्री 1980 और 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता दल से विश्वनाथ प्रताप सिंह 1989 और 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- बसपा से विशंभर प्रसाद निषाद 1996 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से अशोक कुमार पटेल 1998 और 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- बसपा से महेंद्र प्रसाद निषाद 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- सपा से राकेश सचान 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से साध्वी निरंजन ज्योति 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनीं गईं।