UP Lok Sabha Election: यूपी में पश्चिम से खुलेगा चक्रव्यूह का पहला द्वार, इन आठ सीटों पर क्या है समीकरण

UP Lok Sabha Election 2024: पहले चरण की कई सीटों पर मुख्य दलों ने भी अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं और इस कारण सियासी तस्वीर साफ नहीं हो सकी है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 20 March 2024 4:21 AM GMT (Updated on: 20 March 2024 4:56 AM GMT)
UP Lok Sabha Election
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UP Lok Sabha Election   (PHOTO: SOCIAL MEDIA )

UP Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण की अधिसूचना जारी होने के साथ आज से नामांकन का काम शुरू हो जाएगा। उत्तर प्रदेश में पश्चिम से चक्रव्यूह का पहला दरवाजा खुलेगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों पर पहले चरण में चुनाव होने वाला है और इसके लिए नामांकन आज शुरू हो जाएगा। पहले चरण की कई सीटों पर मुख्य दलों ने भी अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं और इस कारण सियासी तस्वीर साफ नहीं हो सकी है।

2014 के लोकसभा चुनाव में इन सभी आठ सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल करते हुए अपनी ताकत दिखाई थी मगर 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन ने इनमें से पांच सीटें जीत कर भाजपा को करारा झटका दिया था। इस बार भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पूरी ताकत लगाने की कोशिश में जुटी हुई है। इस बार सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ है जबकि बसपा अकेले अपने दम पर चुनाव मैदान में उतर रही है। इस कारण इस बार के लोकसभा चुनाव में इन आठ सीटों पर समीकरण बदल हुआ दिखेगा।

पश्चिमी यूपी की इन आठ सीटों से होगी शुरुआत

चुनाव आयोग की ओर से घोषित किए गए कार्यक्रम के मुताबिक पहले चरण में 19 अप्रैल को सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना (सुरक्षित), मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होगा। इन सीटों के लिए आज अधिसूचना जारी होने के बाद उम्मीदवार नामांकन पत्र दाखिल कर सकेंगे। नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 27 मार्च तय की गई है।

इन आठ लोकसभा सीटों पर नामांकन पत्रों की जांच 28 मार्च को की जाएगी जबकि 30 मार्च तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे। इन सीटों पर चुनाव प्रचार के लिए एक महीने से भी कम का समय मिलेगा क्योंकि पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को मतदान होने वाला है।

2019 में सपा-बसपा ने दिखाई थी ताकत

2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी लहर में भाजपा ने इन आठ सीटों पर अपनी ताकत दिखाई थी और सभी सीटें जीतकर सपा,बसपा और कांग्रेस को करारा झटका दिया था मगर 2019 के लोकसभा चुनाव में नजारा बदला हुआ नजर आया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा,बसपा और रालोद के बीच गठबंधन का बड़ा असर दिखा था।

गठबंधन में चार सीट सपा, तीन बसपा और एक रालोद को लड़ने को मिली थी। इस गठबंधन ने इन आठ सीटों में से पांच पर जीत हासिल करते हुए भाजपा को करारा झटका दिया था।

2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा को बिजनौर, सहारनपुर और नगीना सीटों पर जीत हासिल हुई थी। सपा ने मुरादाबाद और रामपुर सीटें जीतकर अपनी ताकत दिखाई थी जबकि भाजपा कैराना, मुजफ्फरनगर और पीलीभीत सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में रालोद का खाता नहीं खुल सका था।

इस बार सियासी समीकरण बदला

इस बार के लोकसभा चुनाव में सियासी समीकरण बदले हुए हैं क्योंकि सपा ने इस बार कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है जबकि बसपा अकेले चुनाव मैदान में उतर रही है। दूसरी ओर रालोद ने पाला बदलते हुए भाजपा के साथ हाथ मिला लिया है। पहले चरण की कुछ सीटों पर भाजपा और सपा ने अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं,लेकिन अभी सभी सीटों पर सियासी तस्वीर नहीं साफ हो सकी है।

यदि पहले चरण की आठ सीटों की बात की जाए तो भाजपा-रालोद गठबंधन में 7 सीटों पर भाजपा प्रत्याशी ताकत दिखाएंगे जबकि बिजनौर सीट रालोद के खाते में गई है। दूसरी ओर सपा-कांग्रेस गठबंधन में सहारनपुर सीट कांग्रेस के हिस्से में गई है तो बाकी सात सीटें सपा के पास हैं। बसपा ने सभी आठ सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

रालोद के फैसले का दिखेगा असर

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोटर बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं और इस इलाके को चौधरी चरण सिंह और उनके बाद उनके बेटे चौधरी अजित सिंह के प्रभाव वाला इलाका माना जाता रहा है। यही कारण है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की ओर से रालोद मुखिया जयंत चौधरी को अपने साथ मिलाने की पूरी कोशिश की गई। आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का फैसला कारगर साबित हुआ और जयंत ने एनडीए में शामिल होने का फैसला कर लिया। इस कारण इस बार पश्चिम उत्तर प्रदेश का सियासी समीकरण बदल हुआ नजर आ रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस बार के चुनावी नतीजे से यह बात भी साबित होगी कि आखिरकार जयंत चौधरी का फैसला कितना सही है।

इन दिग्गजों की सीटों पर निगाहें

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में इस बार संजीव बालियान, ओम कुमार और वरुण गांधी जैसे सियासी दिग्गजों की ताकत की परीक्षा होगी। वरुण गांधी पीलीभीत लोकसभा सीट से टिकट के दावेदार हैं मगर भाजपा ने अभी तक उनका नाम घोषित नहीं किया है। उनका टिकट काटने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। पहले चरण में ही आजम खान का गढ़ माने जाने वाली रामपुर लोकसभा सीट भी शामिल है।

इस लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा के घनश्याम लोधी ने जीत हासिल की थी और भाजपा ने इस बार फिर घनश्याम लोधी को ही चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान किया है। दूसरी ओर सपा ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

पहले चरण में बिजनौर सीट रालोद को मिली है और पार्टी ने इस बार चंदन सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। सपा ने यशवीर सिंह को टिकट दिया है जबकि बसपा ने अभी तक अपने प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है।

Monika

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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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