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Lok Sabha Election Results 2024: कहीं ये पांच वजह तो नहीं? जिसने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को दे दिया इतना बड़ा झटका
Lok Sabha Election Results 2024: 2024 के लोकसभा चुनाव में अबकी बार-400 पार के नारे के साथ शुरू हुआ एनडीए का चुनावी अभियान नतीजों में तब्दील नहीं हो पाया। अभी तक की मतगणना को देखें तो एनडीए को बहुमत मिल तो रहा है, लेकिन बीजेपी 272 के आंकड़े से भी पीछे है। वहीं, विपक्षी दलों ने जबरदस्त वापसी की है।
Lok Sabha Election Results 2024: लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के लिए एक जून को वोटिंग हुई थी। उसके बाद 1 जून की शाम को करीब 6ः30 बजे एग्जिट पोल के नतीजे आने शुरू हुए। अधिकतर एग्जिट पोल ने एनडीए को 350 से ऊपर सीटें दी। कई एग्जिट पोल के नतीजों में तो एनडीए को 400 का आंकड़ा छूते हुए बताया गया, लेकिन जब तीन दिन बाद आम चुनाव के नतीजे आने लगे तो हर कोई हैरान रह गया। अभी तक की मतगणना के आंकड़े को देखें तो बीजेपी को बहुत बड़ा और तगड़ा झटका लगता नजर आ रहा है। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में बीजेपी बुरी तरह पिछड़ गई। वहीं, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी सहित विपक्ष के कई दलों ने जबरदस्त वापसी की है। यूपी में तो सपा और कांग्रेस ने मिलकर बीजेपी को करारी शिकस्त दी है।
यहां आइए जानते हैं कि आखिर वो क्या वजह रहीं जिससे बीजेपी उम्मीद के मुताबिक सीटें हासिल करने से चूक गई।
1- केवल मोदी मैजिक के सहारे मैदान में उतरना
अगर पिछले दो महीनों में बीजेपी और एनडीए में उसके सहयोगी दलों का चुनाव प्रचार देखा जाए तो एक बात यहां साफ तौर पर नजर आती है कि इन्होंने 2024 का लोकसभा चुनाव केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा। चुनावी रैलियों और सभाओं में पार्टी के छोटे-बड़े सभी नेता स्थानीय मुद्दों से अक्सर बचते नजर आए। बीजेपी और एनडीए का पूरा प्रचार केवल और केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे पर ही टिका था। बीजेपी के प्रत्याशी और कार्यकर्ता भी सीधे तौर पर जनता से कनेक्ट नहीं हो पाए और आज इसी का खामियाजा पार्टी को लोकसभा चुनावों में भुगतना पड़ा। वहीं दूसरी तरफ देखें तो विपक्ष लगातार महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों के जरिए सरकार को घेरता रहा। इस इश्यू को जोर-शोर से हर रैली और चुनावी सभा में उठाता रहा।
2- बीजेपी के वोटर्स की नाराजगी भी पड़ी भारी
2024 लोकसभा चुनाव के नतीजे इस बात के भी संकेत दे रहे हैं कि कई बड़े मुद्दों पर बीजेपी को अपने ही वोटर्स की नाराजगी झेलनी पड़ी। जैसे अग्निवीर और पेपर लीक जैसे मुद्दे साइलेंट तौर पर बीजेपी के खिलाफ काम करते रहे। वोटर्स के बीच एक सीधा मैसेज गया कि सेना में चार साल की नौकरी के बाद उनके बच्चों का भविष्य क्या होगा? वहीं पेपर लीक के मुद्दे पर युवाओं की नाराजगी को समझने में भी बीजेपी ने भारी चूक की। पुलिस भर्ती परीक्षा के मुद्दे पर लखनऊ में हुआ भारी विरोध प्रदर्शन इसका एक गवाह है। पार्टी के नेता ये मान बैठे थे कि केवल नारेबाजी से वो अपने समर्थकों और वोटर्स को खुश कर सकते हैं। लेकिन जनता ने अपनी नाराजगी को वोट के माध्यम से आ जारी की कर दिया।
3-महंगाई भी रहा बड़ा मुद्दा
जहां विपक्ष महंगाई की बात हर मंच और रैली में उठाता रहा तो वहीं बीजेपी इसको हल्के में लेती रही। लेकिन यह सच है कि महंगाई के मुद्दे ने इस चुनाव पर बहुत ही गहरा असर डाला। पेट्रोल-डीजल से लेकर खाने-पीने की चीजों पर लगातार बढ़ रही महंगाई ने सरकार के खिलाफ एक माहौल पैदा किया। विपक्ष इस मुद्दे के असर को शायद पहले ही भांप गया था, इसलिए उसने हर मंच से गैस सिलेंडर सहित रसोई का बजट बढ़ाने वाली दूसरी चीजों की महंगाई को अपना मुद्दा बनाया। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बढ़ती महंगाई के लिए आर्थिक नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कई बार प्रधानमंत्री मोदी पर सीधा हमला बोला। वहीं अखिलेश यादव महंगाई, अग्निवीर, बेरोजगारी को मुद्दा बनाया और इसे हर मंच पर मजबूती से रखा। वहीं दूसरी तरफ, बीजेपी नेता और केंद्र सरकार के मंत्री महंगाई के मुद्दे पर केवल आश्वासन भरी बातें करते हुए नजर आए।
4- बेरोजगार
2024 के लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी के मुद्दे ने एक बड़े फैक्टर के तौर पर काम किया। विपक्ष ने लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान हर मंच पर सरकार को घेरते हुए बेरोजगारी के मुद्दे पर जवाब मांगा। यहां तक कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में वादा कर दिया कि अगर उनकी सरकार केंद्र में बनती है, तो तुरंत 30 लाख सरकारी नौकरियां दी जाएंगी। मंगलवार को आए चुनाव नतीजे ने यह साफ तौर पर संकेत दे दिया कि राम मंदिर, सीएए लागू करने की घोषणा और यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे मुद्दे भी बीजेपी को बेरोजगारी के खिलाफ बने माहौल के नुकसान से नहीं बचा पाए।
5- स्थानीय नाराजगी भी पड़ी भारी
बीजेपी को इस लोकसभा चुनाव में स्थानीय स्तर पर भी भारी नाराजगी झेलनी पड़ी। पार्टी में कई सीटों पर टिकट बंटवारे की नाराजगी मतदान की तारीख तक भी दूर नहीं हो पाई। वहीं कार्यकर्ताओं के अलावा सवर्ण मतदाताओं का विरोध भी बीजेपी को कुछ सीटों पर देखने को मिला। जनता से डायरेक्ट जुड़े ये मुद्दे आज बीजेपी के लिए काफी भारी पड़ गए। यहां अगर कुल मिलाकर यह देखा या कहा जाए तो बीजेपी लोकसभा के इस चुनाव में केवल उन मुद्दों के भरोसे रही, जो आम जनता से कोसों दूर थे। यही कारण रहा कि भाजपा का 400 का सपना केवल नारों में ही रह गया और वह हकीकत में नहीं उतर पाया।