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UP Lok Sabha Election: चौथे चरण की इन तीन सीटों पर सबकी निगाहें, कड़े मुकाबले में फंसे तीन बड़े सियासी दिग्गज

UP Lok Sabha Election: कन्नौज लोकसभा सीट पर इस बार समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पिछले चुनाव में अपनी पत्नी की हार का बदला लेने के लिए उतरे हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 10 May 2024 4:53 PM IST
Everyones eyes are on these three seats of the fourth phase, three big political giants are trapped in a tough contest
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चौथे चरण की इन तीन सीटों पर सबकी निगाहें, कड़े मुकाबले में फंसे तीन बड़े सियासी दिग्गज: Photo- Social Media

UP Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 13 मई को उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर मतदान होने वाला है। प्रचार के आखिरी दिनों में सभी प्रत्याशियों ने पूरी ताकत झोंक रखी है। चौथे चरण की तीन सीटों को सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है और इन तीन सीटों पर तीन बड़े सियासी दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। चौथे चरण की जिन तीन सीटों को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, उनमें कन्नौज, लखीमपुर खीरी और उन्नाव की लोकसभा सीटें शामिल हैं।

कन्नौज लोकसभा सीट पर इस बार समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पिछले चुनाव में अपनी पत्नी की हार का बदला लेने के लिए उतरे हैं। लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं जबकि उन्नाव लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी सच्चिदानंद साक्षी ने हैट्रिक लगाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। चौथे चरण में मतदाता इन तीन दिग्गजों की किस्मत का फैसला करने वाले हैं और इस कारण इन तीनों सीटों का सियासी समीकरण जानना जरूरी है।

सपा मुखिया अखिलेश यादव- पत्नी डिंपल यादव: Photo- Social Media

कन्नौज लोकसभा सीट

कन्नौज लोकसभा सीट को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है मगर 2019 के चुनाव में इस सीट पर सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को हार का मुंह देखना पड़ा था। पिछले चुनाव में इस सीट पर कड़े मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक ने उन्हें हरा दिया था। भाजपा ने एक बार फिर सुब्रत पाठक को चुनाव मैदान में उतार कर सपा को घेरने की कोशिश की है।

2019 में पत्नी डिंपल यादव की हार का बदला लेने के लिए इस बार सपा मुखिया अखिलेश यादव खुद कन्नौज के चुनावी अखाड़े में कूद पड़े हैं। अखिलेश ने पहले इस सीट पर अपने भतीजे और राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी बनाया था मगर पार्टी में ही उनका विरोध होने पर अखिलेश ने नामांकन के आखिरी दिन इस सीट पर पर्चा भरा था।

पिछले लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के बीच गठबंधन होने के बावजूद इस सीट पर डिंपल यादव 12,353 मतों से हार गई थी। डिंपल यादव को चुनाव हराने के बाद भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक इस लोकसभा क्षेत्र में हमेशा सक्रिय रहे हैं। दूसरी ओर सपा मुखिया अखिलेश यादव पार्टी का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर अपनी ताकत दिखाने के लिए मैदान में उतरे हैं। अखिलेश की सियासी पारी की शुरुआत इस लोकसभा सीट से ही हुई थी और ऐसे में सुब्रत पाठक और अखिलेश यादव के बीच इस सीट पर कड़ा मुकाबला हो रहा है।

चुनावी बाजी जीतने के लिए शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने खुद कन्नौज में संयुक्त में सभा भी की है। इस सभा के दौरान दोनों नेताओं ने कहा कि तीन चरणों के चुनाव से साफ हो गया है कि इस बार भाजपा हारने जा रही है। उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन भाजपा पर हावी हो गया है। भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक की ओर से गृह मंत्री अमित शाह कन्नौज में चुनावी सभा कर चुके हैं और इस दौरान उन्होंने वादा किया था कि आप सुब्रत पाठक को ज़िताओ। हम उन्हें बड़ा आदमी बनाने की गारंटी देते हैं।

केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी: Photo- Social Media

लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट

लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट पर भाजपा ने एक बार फिर केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी पर दांव लगाया है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद टेनी इस बार हैट्रिक लगाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। टेनी की घेराबंदी करने के लिए सपा और बसपा ने जातीय समीकरण का ध्यान रखते हुए मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान टेनी के बेटे की ओर से किसानों को कुचले जाने की घटना का मामला भी गरमाया हुआ है। सपा और बसपा प्रत्याशियों की ओर से लगातार उस घटना की याद दिलाई जा रही है।

कुर्मी वोट बैंक को साधने के लिए समाजवादी पार्टी ने कुर्मी बिरादरी के उत्कर्ष वर्मा को टिकट दिया है तो दूसरी ओर सिख मतदाताओं का समीकरण साधने के लिए बसपा ने सिख बिरादरी के अंशय कालरा को चुनाव मैदान में उतार दिया है। किसान आंदोलन के दौरान लखीमपुर खीरी सबसे ज्यादा चर्चा में रहा और ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि सपा और बसपा की घेरेबंदी के बावजूद टेनी यहां पर कमल खिलाने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं।

खीरी लोकसभा सीट पर सबकी निगाहें इसलिए भी लगी हुई हैं कि क्योंकि इस क्षेत्र के चुनाव नतीजे से यह भी पता लगेगा कि तिकुनिया कांड में चार किसानों की मौत का कितना असर हुआ है। क्षेत्र के कई लोगों का कहना है कि तिकुनिया कांड को लेकर अभी भी किसानों के मन में गुस्सा बना हुआ है। किसानों का यह गुस्सा टेनी के लिए मुसीबत बन सकता है क्योंकि तिकुनिया कांड में उनके बेटे की संलिप्तता उजागर हुई थी। क्षेत्र से जुड़े भाजपा विधायकों की नाराजगी भी टेनी के लिए मुसीबत बनी हुई है।

भाजपा प्रत्याशी सच्चिदानंद साक्षी: Photo- Social Media

उन्नाव लोकसभा सीट

उन्नाव लोकसभा सीट पर भी सबकी निगाहें लगी हुई हैं क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर सच्चिदानंद साक्षी को हैट्रिक लगाने का मौका दिया है। पिछले दो चुनावों में साक्षी ने इस सीट पर बड़ी जीत हासिल की है और अब वे तीसरी बार अपनी ताकत दिखाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर पूर्व सांसद अनु टंडन को चुनाव मैदान में उतार कर साक्षी को घेरने का प्रयास किया है। बसपा मुखिया मायावती ने इस सीट पर वरिष्ठ पत्रकार अशोक पांडेय को टिकट देकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है।

सपा प्रत्याशी अनु टंडन ने 2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की थी। हालांकि उसके बाद पिछले दो चुनावों से साक्षी इस सीट पर चुनाव जीतते रहे हैं। उन्नाव में अनु टंडन के पक्ष में सपा मुखिया अखिलेश यादव सभा कर चुके हैं जबकि भाजपा की ओर से योगी आदित्यनाथ ने साक्षी महाराज की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने की कोशिश की है।

बसपा की ओर से आकाश आनंद भी यहां पार्टी प्रत्याशी अशोक यादव पांडेय के पक्ष में सभा कर चुके हैं। इस लोकसभा सीट पर कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। हालांकि साक्षी महाराज विपक्षियों पर भारी पड़ते दिख रहे हैं। इस लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण साधने वाला प्रत्याशी ही जीत हासिल करने में कामयाब रहेगा।



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Shashi kant gautam

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