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Loksabha Election 2024: गोरखपुर लोकसभा सीट पर गोरखनाथ मठ से तय होती यहां की राजनीति, जानें समीकरण
Gorakhpur Seat Parliament Constituency: देश-प्रदेश में सियासी हवा कोई भी हो, लहर चाहे जैसी भी जिसकी भी हो, लेकिन गोरखपुर लोकसभा सीट पर गोरक्षपीठ की ही चलती है।
Lok Sabha Election 2024: पूर्वांचल के गोरखपुर की पहचान नाथ संप्रदाय के महत्वपूर्ण पीठ गोरक्षनाथ मंदिर के तौर पर होती है। देश-प्रदेश में सियासी हवा कोई भी हो, लहर चाहे जैसी भी जिसकी भी हो, लेकिन गोरखपुर लोकसभा सीट पर गोरक्षपीठ की ही चलती है। यूं तो इस सीट पर पिछड़ा वर्ग के मतदाता निर्णायक होते हैं मगर असल में चुनाव उसी ओर जाता है जिधर गोरक्षपीठ की रुचि होती है। गोरक्षपीठ का सियासत में ऐसा दबदबा है कि जिसे यहां से आशीर्वाद मिलता है, उसकी जीत नामांकन से पहले ही तय मान ली जाती है। भाजपा ने यहां के वर्तमान सांसद रवींद्र श्याम नारायण शुक्ल उर्फ रवि किशन को दुबारा उम्मीदवार बनाया है। जबकि सपा ने काजल निषाद पर दांव लगाया है। रवि किशन अगर अभिनेता हैं तो काजल निषाद अभिनेत्री। वहीं बसपा ने मुस्लिम चेहरा जावेद सिमनानी पर दांव लगाया है। इस बार निषादों की बहुल्यता के कारण काजल के सामने आने से रवि किशन को कड़ी टक्कर मिल रही है। 2018 के उपचुनाव का उलटफेर का उदाहरण काजल निषाद को ऊर्जा दे रहा है।
Gorakhpur Lok Sabha Chunav 2019
Gorakhpur Vidhan Sabha Chunav 2022 Details
Gorakhpur Lok Sabha Chunav 2014 Details
अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो भाजपा के रवि किशन ने सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे रामभुआल निषाद को 3,01,664 वोटों से हराया था। इस चुनाव में रवि किशन को 7,17,122 और रामभुआल निषाद को 4,15,458 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के मधुसूदन त्रिपाठी को 22,972 वोट मिले थे। बता दें कि लोकसभा चुनाव 2014 में यहां से योगी आदित्यनाथ सांसद बने थे। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद लोकसभा सदस्यता के पद से इस्तीफा था तब इस सीट पर 2018 में उपचुनाव हुआ था। जिसमें सपा के प्रवीण कुमार निषाद ने भाजपा के उपेन्द्र दत्त शुक्ल को 21,801 वोट से हरा दिया था। इस चुनाव बसपा भी सपा के साथ थी। उपचुनाव में प्रवीण कुमार निषाद को 4,56,589 और उपेन्द्र दत्त शुक्ल को 4,34,788 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के डॉ सुरहीता करीम को 18,872 वोट मिले थे।
यहां जानें गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र के बारे में
- गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 64 है।
- यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था।
- इस लोकसभा क्षेत्र का गठन गोरखपुर जिले के कैम्पियरगंज, पिपराइच, गोरखपुर शहर, गोरखपुर ग्रामीण व सहजनवा विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
- गोरखपुर लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
- यहां कुल 19,81,197 मतदाता हैं। जिनमें से 8,95,487 पुरुष और 10,85,534 महिला मतदाता हैं।
- गोरखपुर लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 11,84,635 यानी 59.79 प्रतिशत मतदान हुआ था।
गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास
गोरखपुर कौशल राज्य का एक हिस्सा था, जो छठवीं सदी में सोलह महाजनपदों में से एक था। अयोध्या में अपनी राजधानी के साथ इस क्षेत्र में सबसे पहले राजा शासक थे, जिन्होंने क्षत्रियों के सौर वंश की स्थापना की थी। तब से, यह मौर्य, शुंग, कुशना, गुप्ता और हर्ष राजवंशों के पूर्व साम्राज्यों का एक अभिन्न अंग रहा। नाथ परम्परा के अलौकिक संत साधक गुरु श्री गोरक्षनाथ की पावन साधना स्थली होने के कारण ही इसका नाम गोरखपुर पड़ा। गोरखपुर गीताप्रेस के लिए मशहूर है, जहां धार्मिक पुस्तकें छपती हैं। सुन्नी समुदाय का देश का इकलौता इमामबाड़ा भी इसी धरती पर है। यहीं के चौरीचौरा कांड ने भारत की आजादी को अलग दिशा दी, तो इसी जमीन पर पंडित राम प्रसाद बिस्मिल जैसे आजादी के दीवाने हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए। यह शहर हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर मुंशी प्रेमचंद की कर्मभूमि है, तो रघुपति सहाय उर्फ फिराक गोरखपुरी की जन्मभूमि भी है। गोरखपुर लोकसभा सीट पर अब तक कुल 16 लोकसभा चुनाव और 1 उपचुनाव हुए हैं, जिसमें 10 बार 'गोरखनाथ पीठ' के 3 महंतों ने जीत हासिल की है। जबकि 6 बार ये सीट कांग्रेस के हाथ में रही है। आजादी के बाद 1952 में हुए चुनाव में यह सीट कांग्रेस के पास ही रही है। यहां के पहले सांसद ठाकुर सिंहासन सिंह रहे। 1557 के चुनाव में कांग्रेस के महादेव प्रसाद सांसद बने। फिर 1962 के चुनाव में महंत दिग्विजयनाथ मैदान में उतरे और गोरक्षनाथ पीठ की आधिकारिक तौर पर राजनीति में एंट्री हुई। लेकिन कांग्रेस के सिंहासन सिंह ने उनको हराकर सांसद बने।
दिग्विजयनाथ ने रोका कांग्रेस के विजय रथ
1967 के चुनाव में फिर दिग्विजयनाथ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतरे और कांग्रेस के विजय रथ को रोक दिया। दिग्विजयनाथ ने चुनाव में दमदार तरीके से 42 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीता, लेकिन 2 साल बाद ही उनका निधन हो गया। 1969 में यहां उपचुनाव हुआ, जिसमें दिग्विजय नाथ के उत्तराधिकारी और गोरक्षपीठ के महंत अवैद्यनाथ ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और सांसद बन गए। उन्होंने यह जीत 1970 के चुनाव में भी दोहरा दी। इसके बाद 1971 में फिर से कांग्रेस ने इस सीट पर वापसी की और नरसिंह नरायण पांडेय ने निर्दलीय अवैद्यनाथ को चुनाव हराकर जीत दर्ज की। इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में भारतीय लोकदल के टिकट पर हरिकेश बहादुर सांसद बने। उन्होंने 1980 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमाया और जीत गए। लेकिन 1984 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मदन पांडेय सांसद बने।
महंत अवैद्यनाथ ने अशोक सिंघल और आचार्य परमहंस के कहने पर लड़ा 1989 का चुनाव
महंत अवैद्यनाथ ने बाद में राजनीति छोड़ दी और छुआछूत के खिलाफ देशव्यापी अभियान छेड़ दिया। 1989 में विहिप अध्यक्ष अशोक सिंघल व आचार्य परमहंस ने महंत अवेद्यनाथ से चुनाव लड़ने का आग्रह किया। 90 के दशक में देश में चल रहे वीपी सिंह की लहर और राम मंदिर आंदोलन के दौरान एक बार फिर से मंदिर की पॉलिटिक्स में वापसी हुई और महंत अवैद्यनाथ ने 1989 के लोकसभा चुनाव में हिंदू महासभा के टिकट पर जीत दर्ज की। वह अगले तीन बार तक लगातार सांसद बने। 1998 में उन्होंने अपने शिष्य तथा गोरक्षपीठ के अगले उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ को कमान सौंप दी। योगी आदित्यनाथ 1998 से 2014 तक लगातार सांसद रहे।
गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र की जातीय समीकरण
गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो एक समय ब्राह्मण और ठाकुर जातिगत गोलबंदी के पैमाने पर चलती थी, लेकिन अन्य जातियों के उभार के बाद समीकरण काफी हद तक बदल गए हैं। गोरखपुर के समीकरण को समझें तो यहां पिछड़े और दलित वोटरों की बहुलता है। लगभग 4 लाख की आबादी वाली निषाद जाति यहां राजनीति का 'हॉट केक' हो गई है। पिपराइच और गोरखपुर ग्रामीण में सबसे ज्यादा निषाद मतदाता हैं। यादव और दलित मतदाता दो-दो लाख हैं। गोरखपुर में मुस्लिम मतदाता डेढ़ लाख से अधिक हैं। वहीं ब्राह्मण मतदाता डेढ़ लाख, राजपूत एक लाख 30 हजार की संख्या में हैं। यहां पर भूमिहार और वैश्य मतदाताओं की संख्या भी लगभग एक लाख के करीब है।
गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद
- कांग्रेस से सिंहासन सिंह 1952 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से महादेव प्रसाद 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से सिंहासन सिंह 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- निर्दल महंत दिग्विजयनाथ 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- निर्दल महंत अवेद्यनाथ 1970 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से नरसिंह नारायण पांडेय 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भारतीय लोकदल से हरिकेश बहादुर 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से हरिकेश बहादुर 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से मदन पांडेय 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- हिंदू महासभा से महंत अवेद्यनाथ 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से महंत अवेद्यनाथ 1991 और 1996 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से योगी आदित्यनाथ 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- सपा से प्रवीण कुमार निषाद 2018 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से रवींद्र श्याम नारायण शुक्ल उर्फ रवि किशन 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।