×

Loksabha Election 2024: हाथरस लोकसभा सीट पर सपा और बसपा का आज तक नहीं खुला खाता

Loksabha Election 2024 Hathras Seats Details: हाथरस लोकसभा सीट पर अभी भाजपा का कब्जा है और इस साल के चुनाव में उसकी नजर जीत की हैट्रिक लगाने पर है। भाजपा ने योगी सरकार के राजस्व मंत्री अनूप वाल्मीकि पर दांव लगाया है। जबकि सपा ने जसवीर वाल्मीकि और बसपा ने हेमबाबू धनगर को चुनावी मैदान में उतारा है।

Sandip Kumar Mishra
Published on: 17 May 2024 8:22 PM IST (Updated on: 17 May 2024 8:22 PM IST)
Loksabha Election 2024: हाथरस लोकसभा सीट पर सपा और बसपा का आज तक नहीं खुला खाता
X

Loksabha Election 2024: यूपी के 17 सुरक्षित लोकसभा सीटों में शामिल हाथरस को ब्रज का देहरी कहा जाता है। काका हाथरसी के नाम से पहचाने जाने वाला हाथरस अपनी साहित्यिक व सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ ही औद्योगिक कार्यों के लिए भी मशहूर है। हाथरस लोकसभा सीट पर अभी भाजपा का कब्जा है और इस साल के चुनाव में उसकी नजर जीत की हैट्रिक लगाने पर है। भाजपा ने वर्तमान सांसद राजवीर सिंह दिलेर का टिकट काटकर योगी सरकार के राजस्व मंत्री अनूप वाल्मीकि पर दांव लगाया है। जबकि सपा ने जसवीर वाल्मीकि और बसपा ने हेमबाबू धनगर को चुनावी मैदान में उतारा है। ]

सभी उम्मीदवार-मुस्लिम और जाट मतदाताओं को साधने में जुटे हुए हैं। अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो भाजपा के राजवीर सिंह दिलेर ने बसपा सपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे राम जी लाल सुमन को 2,60,208 वोट से हराकर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में राजवीर सिंह दिलेर को 6,84,299 और राम जी लाल सुमन को 4,24,091 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के त्रिलोकी राम को 23,926 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान भाजपा के राजेश कुमार दिवाकर ने बसपा के मनोज कुमार सोनी को 3,26,386 वोट से हराकर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में राजेश कुमार दिवाकर को 5,44,277 और मनोज कुमार सोनी को 2,17,891 वोट मिले थे। जबकि सपा के रामजी लाल सुमन को 1,80,891 और रालोद के निरंजन सिंह धनगर को 86,109 वोट मिले थे।


Hathras Vidhan Sabha Chunav 2022




Hathras Lok Sabha Chunav 2014


Hathras Vidhan Sabha Chunav 2017


यहां जानें हाथरस लोकसभा क्षेत्र के बारे में

हाथरस लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 18 है।

यह लोकसभा क्षेत्र 1977 में अस्तित्व में आया था।

इस लोकसभा क्षेत्र का गठन हाथरस जिले के सादाबाद, सिकंदराराऊ, हाथरस और अलीगढ़ जिले के छर्रा, इगलास विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।

हाथरस लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों में से 4 पर भाजपा और 1 पर रालोद का कब्जा है।

यहां कुल 18,64,320 मतदाता हैं। जिनमें से 8,54,512 पुरुष और 10,09,746 महिला मतदाता हैं।

हाथरस लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 11,51,461 यानी 61.76 प्रतिशत मतदान हुआ था।

हाथरस लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास

अलीगढ़ और मथुरा जिलों के कुछ तहसीलों को जोड़कर अलीगढ़ का हाथरस तहसील 3 मई 1997 को नए जिले के रूप में प्रदेश के नक्शे पर आया। हाथरस का इतिहास महाभारत और हिन्दू धर्मकथाओं से जुड़ा हुआ है। यह एक ऐसा स्थान है जहां परजाट, कुषाण, गुप्ता और मराठा सबका शासन रहा है। छोटू बनमाली द्वारा रचित 'गोकुल महात्म्य' की एक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय देवाधिदेव शिव और देवी पार्वती इसी रास्ते से होते हुए बृज पहुंचे थे। जिस स्थान पर देवी पार्वती ने विश्राम किया था उसे हाथरसी देवी कहा गया। माना जाता है कि इसी स्थान के कारण ही इस जगह का नाम हाथरस पड़ा था। देश में हाथरस की पहचान उच्च गुणवत्ता की हींग और सुगंधित गुलाल उत्पादन के लिए होती है। यहां का हींग कारोबार अति प्राचीन है। माना जाता है कि अफगानिस्तान से यहां हींग उत्पादन की कला आई थी।

पिछले साल 31 मार्च को यहां की हींग को जीआई टैग और ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग हासिल हुआ है। इसके अलावा यहां रंग गुलाल का भी बड़ा उत्पादन होता है। यहां के टेसू के फूलों से बने उच्च गुणवत्ता के हर्बल गुलाल की देश भर में मांग रहती है। मौजूदा वक्त में बीस से अधिक फैक्ट्रियों में गुलाल उत्पादन होता है। ये कारोबार तीस करोड़ रुपये से अधिक का है। यहां से गुलाल कई देशों में भेजा जाता है। यहां का बना गुलाल स्किन फ्रेंडली होता है। बता दें कि साहित्य व संगीत जगत की नामचीन हस्ती हास्य कवि काका हाथरसी का जन्म 18 सितंबर, 1906 को हाथरस जिले में ही हुआ था। उनका असली नाम प्रभुलाल गर्ग था। जब वह मात्र 15 दिन के थे तो प्‍लेग की चपेट में आकर उनके पिता की मौत हो गई। पिता के जाने के बाद परिवार भयंकर गरीबी में आ गया।

छोटी मोटी नौकरियां करते हुए काका हाथरसी ने व्‍यंग साहित्‍य की दुनिया में अपना अलग मुकाम बनाया। एक नाटक में उन्‍होंने काका का किरदार निभाया था तभी से वह काका हाथरसी के नाम से मशहूर हो गए। उन्‍होंने हास्‍य रस से ओतप्रोत कविताओं के साथ संगीत पर भी पुस्‍तकें लिखीं। उनका 18 सितबंर 1995 को निधन हो गया। उनके नाम पर कवियों के लिए 'काका हाथरसी पुरस्‍कार' और संगीत के क्षेत्र में 'काका हाथरसी संगीत सम्‍मान' दिया जाता है।

भाजपा खिला चुकी है 7 बार कमल

हाथरस लोकसभा सीट पर 1962 में पहला चुनाव हुआ तो कांग्रेस के नरदेव स्नातक और रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया के ज्योति स्वरूप ने जीत हासिल की थी। 1967 और 1971 में भी यह सीट कांग्रेस के खाते में गई। लेकिन इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी के रामप्रसाद देशमुख सांसद बन गए। फिर 1980 के चुनाव में जनता पार्टी के चंद्र प्रकाश सैलानी सांसद बने। लेकिन इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए चुनाव में कांग्रेस के पूर्ण चंद सांसद बने। फिर 1989 के चुनाव में जनता दल के बंगाली सिंह ने जीत दर्ज की। फिर देश में चल रहे राम लहर के दौरान 1990 से लेकर 2004 तक भाजपा ने लगातार जीत की हैट्रिक लगाई। 1991 में भाजपा के लाल बहादुर रावल यहां से सांसद चुने गए। फिर 1996, 1998, 1999 और 2004 में भाजपा के कृष्ण लाल दिलेर ने लगातार जीत हासिल की। लेकिन 2009 में ये सीट बीजेपी-आरएलडी गठबंधन के तहत आरएलडी को मिली और यहां से सारिका बघेल को जीत हासिल हुई।

हाथरस लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण

हाथरस लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां मुस्लिम-जाट मतदाता प्रभावी किरदार निभाते रहे हैं। 1,50 लाख मुस्लिम तो करीब 2 लाख जाट मतदाता हैं। हालांकि, यहां जाटव समाज के वोट सबसे अधिक हैं। बता दें कि 2.75 लाख जाटव, 1 लाख धनगर, 85 हजार कोरी, 80 हजार धोबी, 40 हजार वाल्मिकी, 1 लाख यादव, 60 हजार कुशवाहा, 30 हजार अहेरिया समाज के मतदाता हैं। वहीं 2.25 लाख क्षत्रिय तो 1.60 लाख ब्राह्मण और 75 हजार वैश्य समाज के मतदाता हैं।

हाथरस लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद

  • कांग्रेस से नरदेव स्नातक और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया से जोति सरूप 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से सेनरदेव स्नातक 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से चंद्रपाल शैलानी 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से राम प्रसाद देशमुख 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से चंद्रपाल शैलानी 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से पूरन चंद 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता दल से बंगाली सिंह 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से लाल बहादुर रावल 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से किशन लाल दिलेर 1996, 1998, 1999 और 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • आरएलडी से सारिका बघेल 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से राजेश दिवाकर 2014 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से राजवीर सिंह दिलेर 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।


Sandip Kumar Mishra

Sandip Kumar Mishra

Content Writer

Sandip kumar writes research and data-oriented stories on UP Politics and Election. He previously worked at Prabhat Khabar And Dainik Bhaskar Organisation.

Next Story