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Lok Sabha Election: 47 साल बाद चुनावी जंग से बाहर चौधरी चरण सिंह का कुनबा, जयंत ने राजकुमार सांगवान को सौंपी विरासत
Lok Sabha Election 2024: सोमवार को रालोद ने इनमें से बागपत सीट पर राजकुमार सांगवान और बिजनौर सीट पर चंदन चौहान को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।
Lok Sabha Election 2024: हमेशा की तरह इस बार के लोकसभा चुनाव में भी उत्तर प्रदेश की भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जा रही है। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को राष्ट्रीय लोकदल के रूप में नया सहयोगी मिल गया है और भाजपा की ओर से रालोद को प्रदेश की दो लोकसभा सीटें दी गई हैं। सोमवार को रालोद ने इनमें से बागपत सीट पर राजकुमार सांगवान और बिजनौर सीट पर चंदन चौहान को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।
इसके साथ ही यह साफ हो गया है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान में नहीं उतरेगा। पिछले 47 साल से चौधरी परिवार का कोई न कोई सदस्य लोकसभा की चुनावी जंग में उतरता रहा है मगर 1977 के बाद पहली बार चौधरी परिवार चुनावी जंग से बाहर दिखेगा। रालोद के मुखिया जयंत चौधरी ने बागपत की विरासत राजकुमार सागवान को सौंप दी है जिन्हें जाट बिरादरी के सबसे प्रभावशाली,वरिष्ठ और लोकप्रिय नेताओं में गिना जाता है।
भाजपा के प्रति जयंत का ज्यादा झुकाव
मोदी सरकार की ओर से हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री और जाट बिरादरी के सबसे बड़े नेता माने जाने वाले चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया था। इसके बाद से ही रालोद का भाजपा के प्रति झुकाव साफ तौर पर नजर आया था। आखिरकार रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने सपा मुखिया अखिलेश यादव को करारा झटका देते हुए एनडीए में शामिल होने का फैसला कर लिया।
अब भाजपा की ओर से जयंत चौधरी को दो सीटें दी गई हैं जबकि अखिलेश यादव की ओर से जयंत के सामने इसे अधिक सीटों का ऑफर किया गया था। जयंत ने अब दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवारों का भी ऐलान कर दिया है जिससे साफ हो गया है कि चौधरी परिवार का कोई भी सदस्य इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगा।
चौधरी परिवार का गढ़ रहा है बागपत
बागपत को चौधरी चरण सिंह की कर्मभूमि माना जाता रहा है और उन्होंने 1977 में पहली बार इस लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। 1980 के लोकसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अगुवाई में कांग्रेस ने बड़ी कामयाबी हासिल की थी मगर चौधरी साहब इस सीट पर जीतने में कामयाब रहे थे। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस की लहर होने के बावजूद चौधरी चरण सिंह ने इस लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी।
चौधरी चरण सिंह के निधन के बाद उनके बेटे अजित सिंह को यह सीट विरासत में मिली और उन्होंने 1989 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर पहली बार जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने 2009 तक छह बार इस लोकसभा सीट को जीतने में कामयाबी हासिल की। हालांकि यह भी सच्चाई है कि अजित सिंह को 1998 और 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर हार का भी सामना करना पड़ा। 1998 में उन्हें भाजपा के डॉक्टर सोमपाल शास्त्री ने चुनाव हराया जबकि 2014 में वे भाजपा के सत्यपाल सिंह से चुनाव हार गए।
2019 के लोकसभा चुनाव में अजित सिंह ने मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ा था जबकि उनके बेटे जयंत चौधरी बागपत सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में पित- पुत्र दोनों को चुनावी हार का सामना करना पड़ा था।
अब राजकुमार सांगवान को सौंपी विरासत
मौजूदा समय में जयंत चौधरी राज्यसभा के सदस्य हैं मगर माना जा रहा था कि चौधरी कुनबे का कोई कोई न कोई सदस्य बागपत से चुनावी मैदान में जरूर उतरेगा। उनकी पत्नी चारू को लेकर भी चर्चाएं सुनी जा रही थीं मगर आखिरकार जयंत चौधरी ने चौधरी परिवार की सियासी विरासत राजकुमार सांगवान को उम्मीदवार बनाकर उन्हें सौंप दी है।
हालांकि जयंत चौधरी का यह फैसला हैरान करने वाला माना जा रहा है क्योंकि किसी को उम्मीद नहीं थी कि वे चौधरी परिवार से इतर किसी को बागपत सीट पर अपना उम्मीदवार बनाएंगे।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट और गुर्जर समुदाय से जुड़े काफी मतदाता हैं। इसलिए माना जा रहा है कि जयंत चौधरी ने जाट बिरादरी के राजकुमार सांगवान को बागपत से चुनावी मैदान में उतारा है जबकि गुर्जर समुदाय से जुड़े चंदन चौहान को बिजनौर से टिकट दिया है। इसके जरिए रालोद मुखिया की ओर से जाट और गुर्जर बिरादरी के जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की गई है।