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Hot Lok Sabha Seat Karnal: करनाल में भाजपा की हैट्रिक लगाने की कोशिश, विपक्ष की घेराबंदी से कड़े मुकाबले में फंसे पूर्व CM खट्टर
Hot Lok Sabha Seat Karnal: विपक्ष की ओर से खट्टर की मजबूत घेराबंदी भी की गई है। कांग्रेस ने इस सीट से दिव्यांशु बुद्धिराजा को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि एनसीपी की ओर से मराठा वीरेंद्र वर्मा चुनौती दे रहे हैं।
Hot Lok Sabha Seat Karnal: हरियाणा में लोकसभा की सभी 10 सीटों पर छठवें चरण में 25 मई को वोटिंग होने वाली है और इसके लिए सभी दलों ने पूरी ताकत लगा रखी है। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोहर लाल खट्टर के चुनाव मैदान में उतरने के कारण हरियाणा की करनाल लोकसभा सीट को हॉट सीट माना जा रहा है। खट्टर को इस बार करनाल सीट से सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। 2014 और 2019 में जीत हासिल करने के बाद भाजपा इस सीट पर हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटी हुई है।
वैसे विपक्ष की ओर से खट्टर की मजबूत घेराबंदी भी की गई है। कांग्रेस ने इस सीट से दिव्यांशु बुद्धिराजा को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि एनसीपी की ओर से मराठा वीरेंद्र वर्मा चुनौती दे रहे हैं। इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय सिंह चौटाला ने यहां मराठा को समर्थन दिया है। जननायक जनता पार्टी ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सतबीर कादियान के बेटे देवेंद्र कादियान को चुनावी रण में उतार दिया है।
पिछले दो चुनावों में भाजपा को मिली जीत
करनाल लोकसभा सीट पर कभी किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा। कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी इस सीट पर अपनी ताकत दिखाई रहे हैं। वैसे यदि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में करनाल सीट पर भाजपा के संजय भाटिया ने कांग्रेस के कुलदीप शर्मा को हराया था।
भाटिया ने 6,56,142 वोटों से जीत हासिल करते हुए देश में दूसरी सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड कायम किया था मगर इस बार भाजपा ने संजय भाटिया की जगह मनोहर लाल खट्टर को टिकट दिया है। 2014 में इस सीट पर भाजपा के अश्वनी चोपड़ा ने जीत हासिल की थी। इस तरह भाजपा इस बार हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटी हुई है।
कई दिग्गज सीट पर हार चुके हैं चुनाव
2014 से पहले इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा था। वैसे इस सीट पर कई दिग्गज प्रत्याशियों को हार का भी सामना करना पड़ रहा है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय भजनलाल को पहली बार 1999 में इस सीट से ही अपनी पहली हार का सामना करना पड़ा था।
भाजपा की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज को भी इस सीट पर कई बार हार का मुंह देखना पड़ा। सुषमा स्वराज ने तो करनाल सीट से तीन हार मिलने के बाद हरियाणा की राजनीति ही छोड़ दी थी। तीनों बार उन्हें कांग्रेस के चिरंजी लाल शर्मा ने हराया था।
खट्टर को करनाल में जीत का भरोसा
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल कट्टर मूल रूप से करनाल के रहने वाले नहीं हैं और विपक्षी दलों की ओर से उन्हें बाहरी प्रत्याशी बताया जा रहा है। खट्टर पंजाबी जाति और अपनी मजबूत राजनीतिक छवि के दम पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। वे हरियाणा में करीब साढ़े नौ साल तक मुख्यमंत्री रहे हैं और मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद भाजपा ने उन्हें करनाल से चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान किया था। मनोहर लाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता रहा है। करनाल लोकसभा क्षेत्र पंजाबी और ब्राह्मण बहुल है और इसी कारण मनोहर लाल खट्टर को अपनी जीत का भरोसा है।
मनोहर लाल खट्टर के बारे में कहा जा रहा है कि अगर वे जीतने में कामयाब रहे और मोदी सरकार को तीसरी पारी मिली तो उन्हें आगे चलकर बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। वैसे मनोहर लाल खट्टर अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिख रहे हैं और यही कारण है कि वे करनाल के साथ राज्य की बाकी नौ लोकसभा सीटों पर भी पार्टी प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार करने में जुटे हुए हैं।
विपक्ष की ओर से खट्टर की मजबूत घेराबंदी
कांग्रेस की ओर से चुनाव मैदान में उतारे गए दिव्यांशु बुद्धिराजा भी पंजाबी हैं और वे पंजाबी वोट बैंक में सेंध लगाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा, खट्टर के खिलाफ बुद्धिराजा की बैंकिंग में जुटे हुए हैं। हरियाणा की राजनीति में हुड्डा की भी मजबूत पकड़ मानी जाती है और इसलिए बुद्धिराजा की ओर से खट्टर को मजबूत चुनौती मिल रही है एनसीपी और इनेलो के साझा प्रत्याशी मराठा वीरेंद्र वर्मा भी खुद को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। जेजेपी ने इस इलाके में जाट प्रत्याशी देवेंद्र कादियान को चुनाव मैदान में उतरकर भाजपा को चुनौती देने की कोशिश की है। वैसे दुष्यंत चौटाला के खुद ही मुसीबत में घिर जाने के कारण पार्टी की ओर से उनका मजबूत प्रचार नजर नहीं आ रहा है।
खट्टर के सामने कई चुनौतियां
करनाल लोकसभा क्षेत्र में खट्टर की स्थिति मजबूत जरूर मानी जा रही है मगर उन्हें कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। करनाल के ग्रामीण इलाकों में मतदाताओं का समर्थन हासिल करना भाजपा के लिए चुनौती माना जा रहा है। इसके साथ ही उन्हें बाहरी उम्मीदवार बताते हुए उनका विरोध भी किया जा रहा है।
करनाल में रोड बिरादरी के करीब दो लाख मतदाता है और पिछले चुनाव में भाजपा को इन मतदाताओं का समर्थन मिला था। इस बार चुनाव मैदान में उतरे मराठा वीरेंद्र वर्मा खुद रोड बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं और ऐसे में इस बिरादरी का समर्थन हासिल करना भी भाजपा के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है।
भाजपा के लिए पिछला प्रदर्शन दोहराना आसान नहीं
सियासी जानकारों का मानना है कि करनाल लोकसभा क्षेत्र में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। भाजपा प्रत्याशी खट्टर को कांग्रेस की ओर से मजबूत चुनौती मिल रही है और मराठा वीरेंद्र वर्मा मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी और पार्टी इस बार भी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटी हुई है। दूसरी ओर कांग्रेस और आप का गठबंधन भाजपा की मजबूत घेराबंदी में जुटा हुआ है। इस कारण हरियाणा के लोकसभा चुनाव में पिछला प्रदर्शन दोहराना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा।