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Loksabha Election 2024: खीरी लोकसभा सीट पर भाजपा हैट्रिक लगाने की कर रही तैयारी, जानें समीकरण
Loksabha Election 2024 Kheri Seats Details: खीरी लोकसभा सीट से भाजपा के वर्तमान सांसद अजय मिश्र टेनी हैट्रिक लगाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं सपा ने उत्कर्ष वर्मा और बसपा ने दाउद अहमद को उम्मीदवार बनाया है। किसान आंदोलन के दौरान हुए तिकुनिया कांड के बाद यह सीट चर्चा में है।
Loksabha Election 2024: यूपी के सबसे बड़े जिले लखीमपुर खीरी की जमीन को शारदा, गोमती और सरयू नदियां चूमती हैं। यहीं पर दुधवा नेशनल पार्क है। इस जिले के तहत 2 लोकसभा सीटें खीरी और धौरहरा आती हैं। खीरी लोकसभा सीट से भाजपा के वर्तमान सांसद अजय मिश्र टेनी हैट्रिक लगाने की तैयारी कर रहे हैं। भाजपा ने उनको तीसरी बार चुनावी रण में उतारा है। मोदी सरकार में अजय मिश्र टेनी गृहराज्य मंत्री हैं। वहीं सपा ने उत्कर्ष वर्मा और बसपा ने दाउद अहमद को उम्मीदवार बनाया है। किसान आंदोलन के दौरान हुए तिकुनिया कांड के बाद यह सीट चर्चा में है।
अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो भाजपा के अजय मिश्रा टेनी ने सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे डॉक्टर पूर्वी वर्मा को 2,18,807 वोट से हराकर अभूतपूर्व जीत हासिल की थी। इस चुनाव में अजय मिश्रा टेनी को 6,09,589 और डॉक्टर पूर्वी वर्मा को 3,90,782 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के जफर अली नकवी को 92,155 और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विपनेश शुक्ला को 11,857 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान भाजपा के अजय मिश्रा टेनी ने बसपा के अरविंद गिरी को 1,10,274 वोट से हराकर 17 साल बाद इस सीट पर कमल खिलाया था। इस चुनाव में अजय मिश्रा टेनी को 3,98,578 और बसपा के अरविंद गिरी को 2,88,304 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के जफर अली नकवी को 1,83,940 और सपा के रवि प्रकाश वर्मा को 1,60,112 वोट मिले थे।
यहां जाने भाजपा उम्मीदवार अजय मिश्र टेनी के बारे में
अजय मिश्रा टेनी का जन्म 25 सितम्बर 1960 को लखीमपुर खीरी के निघासन में बनबीरपुर में हुआ था। उन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है और व्यवसाय कृषिविद उद्योगपति हैं। उनके पिता का नाम अंबिका प्रसाद मिश्रा और माता प्रेमदुलारी मिश्रा हैं। उनकी पत्नी का नाम पुष्पा मिश्रा है। उनके दो पुत्र और एक पुत्री हैं। अजय मिश्रा टेनी पहली बार साल 2012 में निघासन विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे। फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार वे सांसद बने। सितंबर 2014 में, उन्हें ग्रामीण विकास पर स्थायी समिति के सदस्य और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था। 2014 से 2018 तक, वह आधिकारिक भाषा पर संसद की समिति के सदस्य थे। 2018 से 2019 तक, वह आधिकारिक भाषा पर संसद की पहली उप-समिति के सदस्य, संयोजक बने। मई 2019 में वे दोबारा सांसद चुने गए। 24 जुलाई 2019 को वह लोक लेखा समिति के सदस्य बने। 13 सितंबर 2019 को, वह खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण पर स्थायी समिति के सदस्य बने। 9 अक्टूबर 2019 को वह खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य बने। फिर 7 जुलाई 2021 को उनको गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई।
यहां जानें सपा उम्मीदवार उत्कर्ष वर्मा के बारे में
सपा उम्मीदवार उत्कर्ष वर्मा लखीमपुर सदर सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। पार्टी ने पहली बार उनको लोकसभा चुनाव के लिए उतारा है। एमबीए की पढ़ाई कर चुके उत्कर्ष ने पहला चुनाव अपने दादा कौशल किशोर के निधन से खाली हुई विधानसभा लखीमपुर सदर की सीट पर 2010 में लड़े थे। तब वह सबसे कम उम्र के विधायक बने। फिर 2012 में भी वह विधायक चुने गए। लेकिन 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से जीत दर्ज की।
यहां जानें खीरी लोकसभा क्षेत्र के बारे में
- खीरी लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 28 है।
- यह लोकसभा क्षेत्र 1957 में अस्तित्व में आया था।
- इस लोकसभा क्षेत्र का गठन लखीमपुर खीरी जिले के पलिया, निघासन, गोला गोकर्णनाथ, श्रीनगर और लखीमपुर विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
- खीरी लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
- यहां कुल 17,70,699 मतदाता हैं। जिनमें से 8,23,669 पुरुष और 9,46,994 महिला मतदाता हैं।
- खीरी लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 11,36,772 यानी 64.20 प्रतिशत मतदान हुआ था।
खीरी लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास
नेपाल की सीमा से सटे लखीमपुर-खीरी जिले की पौराणिकता रामायण काल से जुड़ती है, जो यहां स्थित गोला गोकर्णनाथ को छोटी काशी की संज्ञा देती है। हरियाली से इसका नाता यूं समझ लीजिए कि नाम में खीरी लगने का एक संदर्भ यहा 'खैर' के पेड़ों की तादाद से जुड़ता है। गन्ने की मिठास भी भरपूर है। हालांकि, यहां के सियासी मिजाज में स्थायित्व है। खीरी की जनता को जो खरा लगा, उसका दामन उसने बार-बार जीत से भरा है। आजादी के बाद 1957 में इस सीट पर हुए पहले लोकसभा चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार कुशवक्त राय को जीत मिली थी। कांग्रेस से अलग हुए जेबी कृपलानी, नरेंद्र देव, जयप्रकाश नारायण आदि ने मिलकर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी बनाई थी। पूरे देश में पार्टी को 19 सीटें मिलीं। इसमें एक सीट खीरी भी थी। हालांकि, खीरी कांग्रेस की लहर में भीगने से खुद को लंबे समय तक रोक नहीं सकी। 1962 से 1971 तक कांग्रेस से बालगोविंद वर्मा वर्मा ने हैट्रिक लगाई। 1977 में कांग्रेस विरोधी हवा में जीत जनता पार्टी के सूरत बहादुर शाह को मिली। 1980 में फिर बालगोविंद वर्मा ने कांग्रेस की झोली में सीट डाल दी और चौथी बार जीत दिलाई। जीत के कुछ महीनों बाद उनका निधन हो गया। उपचुनाव में उनकी पत्नी ऊषा वर्मा जीतीं। सियायत में यह विरासत और मजबूत हो गई। 1984 और 1989 में भी ऊषा को कांग्रेस के टिकट पर जीत मिली।
इस सीट पर 1991 में पहली बार खिला कमल
देश में चल रहे 90 के दशक में मंडल-कमंडल के माहौल में खीरी में पहली बार कमल खिलाया गेंदालाल कन्नौजिया ने। 1996 में जनता ने फिर भाजपा को मौका दिया। कमंडल के बाद यहां बारी आई 'मंडल' की। सपा 1992 में अस्तित्व में आई थी। 1991 में कांग्रेस से हारने के बाद ऊषा भी सपाई हो गईं। 1996 में महज 5,444 वोट से वह चौथी बार जीतने से रह गई थीं। 1998 में सपा ने ऊषा के बेटे रविप्रकाश वर्मा को टिकट दिया और खीरी में पहली बार साइकिल दौड़ी। अपने पिता व मां की तरह रवि ने भी जीत की हैट्रिक लगाई। हालांकि, 1999 में जीत का अंतर महज 4500 रहा। 2004 में भाजपा ने हिंदुत्व व सामाजिक समीकरण दोनों साधने के लिए यहां से विनय कटियार को लड़ाया, लेकिन वह तीसरे नंबर पर खिसक गए। खीरी में कांग्रेस को जनता ने 20 साल बाद फिर मौका दिया। 2009 में यहां चौतरफा मुकाबला हुआ। खास बात यह है कि जमानत बचाने के लिए जरूरी 1/6 फीसदी वोट किसी भी उम्मीदवार को नहीं मिल सके। महज 14.26 प्रतिशत वोट पाकर कांग्रेस के जफर अली नकवी सांसद बने। चूंकि उन्हें जीत मिली थी इसलिए उनकी जमानत बच गई। बाकी उम्मीदवारों को 11 से 14 प्रतिशत के बीच वोट मिले। हालांकि, इस चुनाव के बाद खीरी ने नजदीकी लड़ाइयों से दूरी बना ली। दूसरी ओर लगभग चार दशक में जिस वर्मा परिवार को 10 बार चुनकर जनता ने संसद भेजा, 2009 के बाद उस परिवार से किसी और चेहरे की लोकसभा में एंट्री नहीं मिल सकी है।
खीरी लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण
खीरी लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो करीब 3.25 लाख मुस्लिम आबादी है। यहां 4.25 लाख दलित हैं, जबकि 4.75 लाख ओबीसी हैं। ये आंकड़े 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले के हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीति के जानकारों का कहना है कि अगर उस समय वोटों का गणित फिट बैठता तो भाजपा सरकार नहीं बनती।
खीरी लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद
- प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से कुशवक्त राय 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से बालगोविंद वर्मा 1962, 1967 और 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता पार्टी से सूरत बहादुर शाह 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से बालगोविंद वर्मा 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से उषा वर्मा 1980, 1984 और 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
- भाजपा से गेंदा लाल कनौजिया 1991 और 1996 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- सपा से रवि प्रकाश वर्मा 1998, 1999 और 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से जफर अली नकवी 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से अजय मिश्र टेनी 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।