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Lok Sabah Election 2024: जालौन (एससी) लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र
Lok Sabah Election 2024: जालौन लोकसभा सीट के तहत कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं - भोगनीपुर, माधवगढ़, कालपी, उरई (एससी) और गरौठा
क्षेत्र की खासियत
- कहा जाता है कि ऋषि जलवान के नाम पर इस जिले का नाम जौलान पड़ा था। 7वीं सदी में इस इलाके पर राजा हर्षवर्धन का शासन बना रहा।
- गंगा के जलोढ़ मैदानों पर बसा जालौन के उत्तर में यमुना नदी और तो दूसरी तरफ बेतवा नदी बहती है।
- जालौन कभी मराठाओं के अधीन था और यहाँ मराठा राज्यपाल का निवास स्थान हुआ करता था। इस क्षेत्र का जिक्र चीनी यात्री ह्यूनसांग की किताब में भी मिलता है।
- इस क्षेत्र का सबसे पुराना पारंपरिक शासक ययाती को बताया गया है, जिसका पुराण और महाभारत में एक महान विजेता के रूप में जिक्र किया गया है।
- यहां की 210 फीट ऊंची लंका मीनार बेहद मशहूर है। इस मीनार के अंदर रावण के पूरे परिवार का चित्रण है।
विधानसभा क्षेत्र
- जालौन लोकसभा सीट के तहत कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं - भोगनीपुर, माधवगढ़, कालपी, उरई (एससी) और गरौठा। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 5 में से 4 सीटों पर जीत मिली थी। कालपी सीट पर सपा को जीत मिली थी जबकि शेष चारों सीटें बीजेपी के खाते में आई थी।
जातीय समीकरण
- जालौन लोकसभा सीट पर अनुसूचित जाति का फैक्टर काफी मायने रखता है। यहां 45 फीसदी एससी मतदाता हैं। इसके बाद ओबीसी मतदाताओं की संख्या 35 और सामान्य 20 फीसदी हैं। डेढ़ लाख कुर्मी तथा सवा लाख मुसलमान हैं।
राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनाव
- यह सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। इस लोकसभा सीट पर हुए 16 चुनावों में 7 बार कांग्रेस को जीत मिली है। लेकिन बीते 34 साल से कांग्रेस जीत के लिए तरस रही है।
- 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लोटन राम सांसद बने थे। 1957 में हुए चुनाव में इसी परिवार के लच्छीराम ने जीत दर्ज कर कांग्रेस का दबदबा बनाया। फिर 1962 में कांग्रेस के रामसेवक ने बाजी मारी। इसके बाद हैट्रिक लगाते हुए चौधरी राम सेवक 1967 और 1971 में भी सांसद चुने गए।
- इमरजेंसी के बाद 1977 के चुनाव में लोकदल ने जीत हासिल की।
- 1980 और 1984 के चुनावों में यहां पर कांग्रेस ने एक बार फिर वापसी की। 1980 में नाथूराम और 1984 में लच्छीराम सांसद बने।
- 1989 में जनता दल के राम सेवक भाटिया ने जीत दर्ज की।
- 1991 के चुनाव में भाजपा के गया प्रसाद कोरी सांसद बने।
- 1996 और 1998 में भाजपा के भानु प्रताप वर्मा सांसद बने।
- 1999 में बसपा के ब्रजलाल खाबरी ने जीत दर्ज की।
- 2004 के चुनाव भाजपा ने वापसी की और भानु प्रताप सिंह जीते।
- 2009 में यहां पहली बार सपा ने खाता खोला और घनश्याम अनुरागी चुनाव जीते।
- 2014 में फिर से ये सीट भाजपा के खाते में गई और भानु प्रताप सांसद चुने गए। 2019 में भी भानु प्रताप वर्मा जीतकर संसद पहुंचे।
इस बार के उम्मीदवार
- इस बार के लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा ने फिर भानु प्रताप वर्मा को उतारा है जबकि इंडिया अलायन्स के तताहत समाजवादी पार्टी ने नारायण दास अहिरवार को मैदान में उतारा है। अहिरवार बसपा के संस्थापक सदस्य रहे हैं लेकिन अब सपा में हैं। बसपा ने सुरेश चन्द्र गौतम को उम्मीदवार बनाया है।
स्थानीय मुद्दे
विकास, रोजगार, शिक्षा, जल संकट, किसानों की समस्याएं प्रमुख मुद्दे हैं।