Lok Sabha Election 2024: कभी थे हमराही, अब हैं राहें जुदा

Lok Sabha Election 2024: कुछ सीटे ऐसी थी जहां चुनावी लड़ाई में खून के रिश्तो पर सियासी प्रतिद्वन्दता भारी पड़ गयी

Jyotsna Singh
Published on: 1 Jun 2024 6:44 AM GMT
Lok Sabha Election 2024
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Lok Sabha Election 2024: कहा जाता है कि राजनीति में न तो कोई स्थाई मित्र होता है और न ही कोई स्थाई शत्रु होता है। इसीलिए राजनीति के बदलते दौर में कौन विरोधी हम राही बन जाए और कौन मित्र विरोधी से मिल जाए, इसका कोई भरोसा नहीं होता है। ऐसा ही कुछ 18वी लोकसभा के लिए हो रहे चुनावों में देखने को मिला है।लोकसभा चुनाव में छह चरण संपन्न हो चुके है। सांतवे चरण का चुनाव एक जून को होना है। इस बार चुनावों में जहां सारे दलों के प्रत्याशी एक दूसरे को टक्कर दे रहे थे। वहीं कुछ सीटे ऐसी थी जहां चुनावी लड़ाई में खून के रिश्तो पर सियासी प्रतिद्वन्दता भारी पड़ गयी। कहीं परिवार के ही लोग एक दूसरे के सामने आ गए तो कहीं किसी प्रत्याशी के खिलाफ उसी के अपने लोग ही चुनाव प्रचार करते देखे गए।

आजमगढ़ लोकसभा सीट से सैफई कुनबे के धर्मेन्द्र यादव एक बार फिर चुनाव मैंदान में है। उनका मुकाबला भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ से है। इससे पहले यह दोनों उपचुनाव में भी आमने-सामने आ चुके है जिसमें धर्मेन्द्र यादव को शिकस्त का सामना करना पड़ा था। इस बार सपा प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव को बसपा भाजपा से ज्यादा अपने ही भाई की पत्नी अपर्णा यादव के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। वे चुनाव मैंदान में नहीं है लेकिन भाजपा के पक्ष में प्रचार करके सपा उम्मीदवार और उनके समर्थकों असहज कर चुकी है।

अपर्णा यादव मुलायम सिंह यादव के जीवित रहते ही भाजपा में शामिल हो गयी थी। तब से वे भाजपा के लिए काम कर रही है। इस बार भाजपा ने उन्हे प्रचारक के तौर पर आजमगढ़ भेजा है। अपर्णा यादव 2017 के विधानसभा का चुनाव लखनऊ कैण्ट से लड़ चुकी है तब उन्हे भाजपा की रीता बहुगुणा ने शिकस्त दी थी। इस बार भी उन्हे मैनपुरी से उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा थी लेकिन भाजपा ने वहां कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह को मैदान में उतारा है। सीतापुर से लगी मिश्रिख संसदीय सीट पर बड़ा दिलचस्प मुकाबला दिखा। यहां भाजपा ने सिटिग सांसद डा. अशोक कुमार रावत एक बार फिर चुनाव मैंदान में उतारा है। इंडिया एलायंस में यह सीट समाजवादी पार्टी के हिस्से में आई है।

सपा ने संगीता राजवंशी मैदान में उतारा है। संगीता रिश्ते में डा. रावत की सरहज हैं। डा. रावत इसी सीट से 2004-2009 में बसपा के टिकट पर संसद का रास्ता तय कर चुके है। सपा को इस बार प्रत्याशी चयन में कई बार अपना निर्णय बदलना पड़ा। सपा ने यहां पहले पूर्व मंत्री रामपाल राजवंशी के उम्मीदवार बनाया था। राजवंशी डा. अशोक रावत के ससुर लगते है। इस रिश्ते के चलते राजवंशी ने दामाद के खिलाफ चुनाव लडऩे में मना किया तो उनके बेटे मनोज कुमार राजवंशी के उम्मीदवारी बनाया। अपने जीजा के खिलाफ मैदान में उतरने की तैयारी कर ही रहे थे कि सपा ने पूर्व सांसद रामशंकर भार्गव को उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी। लेकिन सपा नेतृत्व को अपना यह फैसला बदला दिया।

आखिर में भार्गव की जगह रामपाल राजवंशी की बहू संगीता राजवंशी को उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी। संगीता राजवंशी भाजपा उम्मीदवार डा. अशोक रावत की सरहज यानी साले की पत्नी है। वो अपने जीजा को चुनौती देते हुए मैदान में टिकी हुई है। इसी तरह समाजवादी पार्टी गठबंधन में शामिल अपनादल(कमेरावादी) की विधायक डा.पल्लवी पटेल जिन्होंने चुनाव से पूर्व अखिलेश यादव के पीडीए के मुकाबले औवेसी के साथ मिलकर पीडीएम बनाया है वे इस चुनाव में मैदान में भले न हो लेकिन अपनी बहन और केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की राह में कांटे बिछाने में खासा पसीना बहा रही है। सपा नेतृत्व से नाराज पल्लवी ने पीडीएम का गठन किया।

इस फ्रंट के जरिए अपनी ताकत दिखाने के साथ बाकी दलों के सामने अपने को पिछड़ो का बड़ा नेता साबित करना चाहती है। वे राज्यसभा चुनाव के बाद से सपा नेतृत्व से नाराज चल रही है। बसपा भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री तथा सपा में रहे स्वामी प्रसाद मौर्य इस बार स्वयं राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी से कुशीनगर से चुनाव मैंदान में है। इस पार्टी का गठन उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले ही किया है। इस चुनाव में अकेले दम पर लड़कर सपा बसपा समेत भाजपा को अपनी ताकत दिखाना चाहते है। हालांकि पिछला विधानसभा चुनाव वे कुशीनगर की फाजिलनगर से चुनाव लड़े थे लेकिन उन्हे शिकस्त का सामना करना पड़ा था। इस बार अकेले अपनी ही पार्टी के दम पर चुनाव लड़कर अपनी ताकत दिखाना चाहते थे।

लेकिन पहले ही उन्हे एक झटका तब लगा जब उनके पुत्र उत्कृष्ट मौर्य ने पिता के चुनाव प्रचार में लगने से पहले कांग्रेस की राष्टï्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात कर कांग्रेस की सदस्यता गृहण कर ली। उत्कृष्टï मौर्य ने भी कुशीनगर से लोकसभा के लिए नामांकन किया था। इस बार वे स्वयं लोकसभा का चुनाव लडऩे के इच्छुक थे। हालांकि इससे पहले वे रायबरेली की ऊंचाहार विधानसभा सीट से 2012-2017 में विधानसभा का चुनाव लड़े लेकिन उन्हे शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस बार स्वामी प्रसाद मौर्य अपने परिवार से अकेले चुनाव मैंदान में है। पिछले लोकसभा चुनाव में बदायूं से उनकी पुत्री संघमित्रा मौर्य भाजपा से जीती थी। स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में चले जाने के बाद उनका टिकट कट गया था।

Shalini singh

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