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Lok Sabha Election 2024: तीन बार के कांग्रेस से विधायक रहें अजय कपूर भाजपा में होंगे शामिल
Lok Sabha Election 2024: अजय कपूर ने अपने ट्विटर से कांग्रेस का logo हटा दिया है, माना जा रहा कि अभी वह दिल्ली में है, अजय कपूर बुधवार को बीजेपी में शामिल होंगे
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को एक और झटका लगने वाला है।जानकारी के मुताबिक यूपी में कानपुर से तीन बार के विधायक रहे अजय कपूर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे।अजय कपूर, कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव थे।कांग्रेस ने उन्हें बिहार के सह प्रभारी अजय कपूर की जिम्मेदारी भी दी थी। कानपुर से विधायक रह चुके अजय कपूर को कांग्रेस कानपुर सीट से लोकसभा चुनाव में उतारना चाहती थी। वहीं सुबह ही अजय कपूर ने अपने ट्विटर से कांग्रेस का logo हटा दिया है। माना जा रहा कि अभी वह दिल्ली में है।अजय कपूर बुधवार को बीजेपी में शामिल होंगे।वह पहले तीन बार विधायक रह चुके हैं। और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव के तौर पर भी उन्होंने काम किया है।वह बिहार में पार्टी के प्रभारी भी रहे हैं और उनकी गिनती कानपुर के बड़े नेताओं में हो सकती है।
पूर्व कांग्रेस नेता अजय कपूर 2002 में पहली बार विधायक बने थे।अजय कपूर (जन्म 21 फरवरी 1967) कानपुर के एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं । उन्होंने पहली बार 2002 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में गोविंद नगर से 53,000 वोटों के अंतर से विधानसभा चुनाव जीता , इसके बाद उन्होंने 2007 में फिर से गोविंद नगर से चुनाव जीता। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने तीसरी बार किदवई नगर विधानसभा से चुनाव जीता,जो पहले गोविंद नगर निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा था। गोविंद नगर से बालचन्द मिश्रा व सत्यदेव पचौरी को हराकर गोविंद नगर से दो बार विधानसभा जीती, और कांग्रेस के विधायक बने। फिर इसी विधानसभा के दो भाग कर दिए गए। जिसमें किदवई नगर विधानसभा बनी। जहां बीजेपी के बीनू शुक्ला को हराकर तीसरी बार कांग्रेस से विधायक बने। फिर 2017 में भाजपा के महेश त्रिवेदी के सामने चुनाव हार गए। फिर पांचवा चुनाव 2022 में कांग्रेस से लड़े। लेकीन भाजपा के महेश त्रिवेदी के सामने हार गए।
दो बार सांसद टिकट में लगाया जोर
दो बार कानपुर से कांग्रेस सांसद टिकट में जोर लगाया। लेकिन श्री प्रकाश जायसवाल के सामने सफलता नहीं मिली। फिर वहीं 2024 में होने वाले सांसद के चुनाव में टिकट को लग गए। सूत्रों के मुताबिक़ कांग्रेस पार्टी में इनके लिए भीतर घात हो रहा था। क्योंकि कभी न तो यह तिलक हाल गए। और न ही किसी कांग्रेस के प्रत्याशी का समर्थन किया। जिससे इनके लिए भीतर घात होना चालू हो गया। वहीं कांग्रेस का जनाधार न दिखते हुए पार्टी छोड़ने का फैसला बना लिया।