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Lok Sabha Election 2024: आंवला लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में किसकी होगी जीत?

Lok Sabha Election 2024: वर्ष 1957 बनी आंवला लोकसभा सीट शुरूआत में कांग्रेस और बाद में भाजपा का गढ़ रही है, शुरूआत से ही इस क्षेत्र में जनसंघ का प्रभाव रहा है

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 5 May 2024 8:49 PM IST
Lok Sabha Election 2024
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Lok Sabha Election 2024

Lok Sabha Election 2024: आंवला में विश्वप्रसिद्ध जैन तीर्थ अहिच्छत्र के अलावा पांडवकालीन धरोहर के रूप में लीलौर झील है। जैन मंदिर, बेगम मस्जिद, रामनगर किला, भीम गाडा यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।इस क्षेत्र में भारी मात्रा में आंवले की खेती होती है। इस वजह से यह क्षेत्र आंवला के नाम से जाना जाता है।इस लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सिटिंग सांसद धर्मेन्द्र कश्यप को उम्मीदवार बनाया है जबकि इंडिया अलायन्स के तहत समाजवादी पार्टी ने नीरज मौर्या को टिकट दिया है। तीसरी चुनती दे रहे हैं बहुजन समाज पार्टी के आबिद अली।

स्थानीय मुद्दे

विकास की बहुत सी योजनाएं चुनाव के समय प्रस्तुत हुईं लेकिन एक पर भी काम नहीं हो सका। शिक्षा, रोजगार, इंफ्रास्ट्रक्चर, कहती किसानी यहाँ के प्रमुख मसले हैं। यहां के रेलवे स्टेशन का उच्चीकरण नहीं हो सका है, एक फुटओवर ब्रिज तक नहीं है। चीनी मिल लगाने के वादे बहुत हुए लेकिन आज तक यह पूरा नहीं हो सका है। कृषि अनुसंधान केन्द्र व राजकीय कृषि विश्वविधालय की स्थापना का वादा भी अधूरा है। विकास के नाम पर बिथरी चैनपुर, शेखूपुर व दातागंज व फरीदपुर काफी पिछड़े हुए हैं। सिर्फ आंवला में इफको की स्थापना वर्ष 1986 में हुई थी। शिक्षा के क्षेत्र में सिर्फ आंवला व फरीदपुर में राजकीय डिग्री कॉलेज हैं।

विधानसभा क्षेत्र

आंवला लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं - आंवला, बिथरी चैनपुर, फरीदपुर (इसी), दातागंज और शेखुपुर। इनमें शेखुपुर सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है जबकि बाकी अन्य भाजपा के पास हैं।

जातीय समीकरण

आंवला लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम वोटरों का खासा प्रभाव है। जिले में करीब 35 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि 65 फीसदी संख्या हिंदुओं की है। लंबे समय से यहां मुस्लिम-दलित वोटरों का समीकरण नतीजे तय करता आया है। इनके अलावा क्षत्रीय-कश्यप वोटरों का भी यहां खासा प्रभाव है।

राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनाव

- वर्ष 1957 बनी आंवला लोकसभा सीट शुरूआत में कांग्रेस और बाद में भाजपा का गढ़ रही है। शुरूआत से ही इस क्षेत्र में जनसंघ का प्रभाव रहा है।

- 1962 में हिन्दू महासभा के ब्रजराज सिंह उर्फ आछूबाबू जीते।

- 1967 के चुनाव में कांग्रेस की सावित्री श्याम ने विजय हासिल की।

- 1971 और 1977 में बृज राज सिंह जनता पार्टी के टिकट पर जीते।

- 1980 में जनता पार्टी से जयपाल सिंह कश्यप विजयी रहे।

- 1984 में कांग्रेस के कल्याण सिंह सोलंकी जीते।

- 1989 और 91 में भाजपा के राज वीर सिंह ने जीत हासिल की।

- 1996 में सर्वराज सिंह समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीते।

- 1998 में भाजपा के राज वीर सिंह ने जीत हासिल की।

- 1999 में सर्वराज सिंह ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर और 2004 में जनता दल (यूनाइटेड) से जीत हासिल की।

- 2009 में भाजपा के टिकट पर मेनका गांधी जीतीं।

- 2014 और 2019 में भाजपा के धर्मेन्द्र कश्यप ने विजय हासिल की। वह सपा छोड़ कर भाजपा में आये थे।



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Shalini singh

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